अघोरी तांत्रिक मानव खोपड़ी से तांत्रिक विधान क्यों करते हैं ?
यद्यपि कुमाऊं या गढवाल के
ग्रामीण इलाकों में अघोरी तांत्रिक नही
मिलते हैं किन्तु इस लेखक ने एक बार नयार गंगा संगम - व्यासचट्टी में
बिखोत मेले में मानव खोपड़ी
की सहायता से एक स्त्री की छाया पूजते देखा था .
वैसे यह बात आम लोगों हेतु
चौंकाने वाला है किन्तु हट्ठ योग या अघोर पंथियों के लिए मानव
खोपड़ी एक पूज्य वस्तु है और इस के पीछे विज्ञानं भैरव का
निम्न सिद्धांत काम करता है
कपालांतर्मनो न्यस्य तिष्ठन्मीलितलोचन:
क्रमेण मनसो दाध्यार्त लक्षयेल्लक्ष्यमुत्तम (विज्ञानं भैरव , ३४
स्थिरता पुर्बक बैठकर , ऑंखें मूंदकर कपाल के आंतरिक भाग पर ध्यान केन्द्रित करो धीरी धीरे
भैरव प्राप्ति हो जायेगी
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