शाबर मन्त्र साधना लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
शाबर मन्त्र साधना लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 10 सितंबर 2021

शाबर मन्त्र साधना

शाबर मन्त्र साधना के महत्त्वपूर्ण तथ्य
 १॰ इस साधना को किसी भी जाति, वर्ण, आयु का पुरुष या स्त्री कर सकती है । २॰ इन मन्त्रों की साधना में गुरु की इतनी आवश्यकता नहीं रहती, क्योंकि इनके प्रवर्तक स्वयं सिद्ध-साधक रहे हैं । इतने पर भी कोई निष्ठा-वान् साधक गुरु बन जाए, तो कोई आपत्ति नहीं, क्योंकि किसी होने वाले विक्षेप से वह बचा सकता है । ३॰ साधना करते समय किसी भी रंग की धुली हुई धोती पहनी जा सकती है तथा किसी भी रंग के कम्बल का आसन बिछाया जा सकता है । ४॰ साधना में घी या मीठे तेल का दीपक प्रज्वलित रखना चाहिए, जब तक मन्त्र जप चले । ५॰ अगर-बत्ती या धूप किसी भी प्रकार की प्रयुक्त हो सकती है, गूग्गूल तथा लोबान की अगरबत्ती या धूप विशेष महत्ता मानी गई है । ६॰ जहाँ ‘दिशा’ का निर्देश न हो, वहाँ पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके साधना करनी चाहिए । ७॰ जहाँ माला का निर्देश न दिया हो, वहाँ कोई भी ‘माला’ प्रयोग में ले सकते हैं । ‘रुद्राक्ष’ की माला सर्वोत्तम मानी गयी है । ८॰ ‘शाबर’ मन्त्रों पर पूर्ण श्रद्धा होनी आवश्यक है । अधूरा विश्वास या मन्त्रों पर अश्रद्धा होने पर फल नहीं मिलता । १०॰ साधना-काल में एक समय भोजन करें और ब्रह्मचर्य-पालन करें । ।मन्त्र-जप करते समय नहा-धोकर बैठना चाहिए । ११॰ साधना दिन या रात्रि किसी भी समय कर सकते हैं । १२॰ मन्त्र का जप ‘जैसा-का-तैसा’ करें । उच्चारण शुद्ध रुप से करें, लेकिन मन्त्र की वर्तनी आदि न सुधारें । १३॰ साधना-काल में हजामत बनवा सकते हैं । अपने सभी कार्य-व्यापार या नौकरी आदि सम्पन्न कर सकते हैं । १४॰ मन्त्र-जप घर में एकान्त कमरे में या मन्दिर में या नदी के किनारे – कहीं भी किया जा सकता है । १५॰ ‘शाबर’- मन्त्र की साधना यदि अधूरी छूट जाए या साधना में कोई कमी रह जाए, तो किसी प्रकार की हानि नहीं होती । शाबर मेरु मन्त्र तथा आत्म रक्षा मन्त्र किसी भी शाबर मन्त्र को सिद्ध करने से पूर्व शाबर मेरु मन्त्र या सर्वार्थ-साधक मन्त्र को सिद्ध कर लेना चाहिए । इसके लिए शाबर मेरु-मन्त्र अथवा सर्वार्थ-साधक मन्त्र का १० माला जप कर, १०८ बार हवन करना चाहिए । यथा – सर्वार्थ-साधक-मन्त्र- “गुरु सठ गुरु सठ गुरु हैं वीर, गुरु साहब सुमरौं बड़ी भाँत । सिंगी टोरों बन कहौं, मन नाऊँ करतार । सकल गुरु की हर भजे, घट्टा पकर उठ जाग, चेत सम्भार श्री परम-हंस ।” इसके पश्चात् गणेश जी का ध्यान करके निम्न मन्त्र की एक माला जपें – ध्यानः- “वक्र-तुन्ड, माह-काय ! कोटि-सूर्य-सम-प्रभ ! निर्विघ्नं कुरु मे देव ! सर्व-कार्येषु सर्वदा ।।” मन्त्रः- “वक्र-तुण्डाय हुं ।” फिर निम्न-लिखित मन्त्र से दिग्बन्धन कर लें – “वज्र-क्रोधाय महा-दन्ताय दश-दिशो बन्ध बन्ध, हूं फट् स्वाहा ।” उक्त मन्त्र से दशों दिशाएँ सुरक्षित हो जाती है और किसी प्रकार का विघ्न साधक की साधना में नहीं पड़ता । नाभि में दृष्टि जमाने से ध्यान बहुत शीघ्र लगता है और मन्त्र शीघ्र सिद्ध होते हैं । हवनः- साधारण हवन सामग्री तथा गौ-घृत से १०८ बार मूल मन्त्र के अन्त में ‘स्वाहा’ का उच्चारण करते हुए हवन करें । आत्म-रक्षा मन्त्रः- “ॐ नमः वज्र का कोठा, जिसमें पिण्ड हमारा पैठा । ईश्वर कुञ्जी, ब्रह्मा ताला, मेरे आठों याम का यती हनुमन्त रखवाला ।” तीन बार उक्त मन्त्र का जप करने से शरीर की सदा रक्षा होती है । ‘शाबर मेरु मन्त्र’ और ‘आत्म रक्षा मन्त्र’ को चैतन्य करने के बाद आवश्यक प्रयोग करने से कार्य-सिद्धि शीघ्र होती है अन्यथा हानि, कार्य-सिद्धि में विलम्ब या निष्फलता की प्राप्ति होती है।


astroashupandit

Consultations by Astrologer - Pandit Ashu Bahuguna Skills : Vedic Astrology , Horoscope Analysis , Astrology Remedies , Prashna kundli Indi...