यदि गंभीरता से केवल एक लोटे जल के साथ कुछ क्रियाएं कर दी जाए ,तो व्यक्ति के जीवन की बहुत सी समस्याएं ,दुःख ,रोग-शोक-कष्ट ,ग्रह बाधा दूर हो सकती है ,सफलता बढ़ सकती है और सुख प्राप्ति के साथ आय के साधन बढ़ सकते हैं |इसके लिए केवल नियमित कुछ क्रियाएं भर कर दें ,बिना किसी अतिरिक्त खर्च और श्रम के जीवन में बहुत कुछ अच्छा होने लगेगा |
इसके लिए करें बस इतना ही कि सुबह सूर्योदय पूर्व उठें और नित्यकर्मों से निवृत्त हो स्नान कर ले ,शुद्ध वस्त्र धारण कर एक लोटा शुद्ध जल लें ,उसमे एक चुटकी रोली ,थोड़ा गुड और लाल फूल डालें ,अब उगते सूर्य को यह जल अर्पित करें अपने हाथों को सर की उंचाई तक रखते हुए ,यहाँ केवल इतना ध्यान दें की सूर्य उगता हुआ हो जिसे आप देख सकें अर्थात लालिमा युक्त निकलता सूर्य हो न की तपता हुआ सूर्य ,दूसरा यह की इस चढ़ते जल के छींटे आपके पैरों पर न पड़ें अर्थात किसी ऐसे स्थान पर गिरें जिससे आपके पैरों पर छींटे न आयें ,न ही यह किसी अशुद्ध स्थान पर गिरें ,इस समय सूर्य का या गायत्री मंत्र बोल सकें तो और अच्छा है |,यह क्रिया किसी भी शुक्ल पक्ष के रविवार से शुरू करें और लगातार करते रहें ,यदि किसी कारणवश रोज संभव नहीं है तो रविवार-रविवार जरुर करें |,,इसके साथ एक क्रिया और केवल रविवार -रविवार करें ,रात्री में सोते समय अपने सिरहाने एक लोटा जल में थोड़ा सा दूध डालकर रख लें ,ध्यान दें की यह गिरे -फैले नहीं ,,सुबह[सोमवार ] उठाकर इसे किसी बबूल के वृक्ष को चढ़ा दें ,यहाँ यह ध्यान दें की कोई आपको टोके नहीं |
उपरोक्त एक लोटे जल की क्रियाओं से आपके ग्रह दोष ,बाधा दोष ,अशुभता ,रोग-शोक-कष्ट धीरे धीरे समाप्त होने लगेंगे ,जीवन में नवीन ऊर्जा और उमंग का संचार होने लगेगा ,दैनिक दिनचर्या व्यवस्थित-शुभ और मंगलमय हो जायेगी ,पित्र दोष में कमी आने लगेगी ,ईष्ट कृपा बढ़ जायेगी, स्वास्थय अच्छा होने लगेगा ,सफ़लता बढ़ जायेगी |