Showing posts with label कुल देवता/देवी के संबंध में व्याप्त विसंगतियों का निदान---. Show all posts
Showing posts with label कुल देवता/देवी के संबंध में व्याप्त विसंगतियों का निदान---. Show all posts

Wednesday, 22 September 2021

कुल देवता/देवी के संबंध में व्याप्त विसंगतियों का निदान---

कुल देवता/देवी के संबंध में व्याप्त विसंगतियों का निदान---

सामान्यतः प्रत्येक सनातन हिन्दु परिवार में कुल देवता/देवी के नामों के संबंधों में व्याप्त विसंगतियों एवं विवादों का सबसे पहले निदान आवश्य है । जैसे कोई कहता है कि, हमारी कुल देवी ''खजूरी वाली माताजी'' हैं, कोई कहता है कि, हमारी कुल देवी ''ईट वाली माताजी'' हैं । कोई कहता है कि, हमारी कुल देवी ''कैला देवी'' हैं। कोई कहता है ''नैनोद वाली देवी'' है । कोई कहता है कि, ''पावागढ वाली देवी'' है। कोई कहता है कि, ''बगावद वाली देवी'' है । कोई कहता है कि ''मैडता वाली देवी'' है । कोई कहता है कि ''जीन वाली देवी'' है । कोई कहता है कि ''सती वाली माता'' है । इसी प्रकार कुल देवता के संबंध में कोई कहता है कि हमारे कुल देवता ''खेडे वाले देवता'' हैं । कोई कहता है कि, ''काले देवता'' हैं । कोई कहता है कि ''हिसार वाले देवता'' हैं । कोई कहता है कि ''गुडगाँव वाले देवता'' हैं । कोई कहता है कि ''सालासर वाले बालाजी'' हैं । कोई कहता है कि ''खाटू श्यामजी'' हैं । कोई कहता है कि ''खप्पर वाले देवता'' हैं

किन्तु वास्तव में खजूरी वाली देवी, ईट वाली देवी, कैला देवी, नैनोद वाली देवी, पावागढ वाली देवी, बगावद वाली देवी, जीन वाली देवी, रानी सती देवी, मैडता वाली देवी तथा खेडे वाले देवता, काले देवता, हिसार वाले देवता, गुडगाँव वाले देवता, सालासर वाले बालाजी, खाटू श्यामजी देवता आदि के उपरोक्त नाम से वेदों, शास्त्रॊं में कोई देवता या देवी नहीं है । यह सिद्घ है कि, जहां परिवार के पूर्वज निवास करते होंगे उस गांव के नाम या जहां देवी/देवता का मंदिर स्थित रहा होगा उसके नाम से देवी/देवता का अपभ्रंश नाम प्रचलित हो गया और हम उसी नाम से उनको पूजते चले आ रहे हैं । अब स्वयं सोचिए कि इन अपभ्रंश (जड) नामों की प्रार्थना करने से हमें कैसे धनात्मक सूक्ष्म ऊर्जा प्राप्त होगी । हमारी कुल देवी/देवता के प्रति की गई प्रार्थना हमेशा निष्फल होती रहती है । वास्तव में कुल देवता/देवी वही रही होगी जिसका शास्त्रॊं में उल्लेख है
कुल देवी/देवता एवं कुलमहापुरुष :---
हम जिस परिवार या वंश या घराने में जन्म लेते हैं उस परिवार के बुजुर्गों के हम ऋणी रहते हैं । हमें याद रखना चाहिए कि हम अकेले नहीं हैं, हम एक सुदीर्घ परम्परा की कडी हैं, हमारे पूर्व-पुरुषों (कुल-पुरुष, पितृ-पुरुष एवं कुल महापुरुष) की एक लम्बी श्रृंखला है । ये पूर्वज आज पंच भौतिक देह में नहीं है, किन्तु उनका सूक्ष्म देहधारी शरीर ब्रह्माण्ड में अवश्य विद्यमान है ।

अगस्त्य ऋषि कृत सरस्वती स्तोत्रम्

  अगस्त्य ऋषि कृत सरस्वती स्तोत्रम्  देवी सरस्वती को समर्पित एक पवित्र मंत्र है, जिन्हें ज्ञान, बुद्धि और शिक्षा के रूप में पूजा जाता है। ...