गोरक्ष कील मंंत्र
सत नमो आदेश गुरु जी को आदेश ॐ गुरु जी गंगा यमुना सरस्वती तहां बसन्ते योगी, गोउ दुहान्ते ग्वाला गवां, संग तरंते क्रिया पुजनते क्रिया मोहनते, ताँके पीछे मोया मशान जागे मनसा वाचा कील किलन्ता, ताकें आगे ऐसी चले
गर चले घराट चले, कुम्भकर्ण का चक्र, चले द्रोपती का खप्पर चले, परशुराम का परसा चले, शेष नाग की खोपड़ी चले, नागा बागा चोरटा तीनो दिने फाह, ईश्वर महादेव का वाचा फुरे गोरख चले गोदावरी आंचल मांगी भिक्षा, श्री नाथ जी को आदेश आदेश
ॐ गुरु जी चौर को धर कीलूं, सर्प का दर कीलूं, शेष नाग की खोपड़ी कीलूं, शेर का मुख कीलूं, डाकनी शाकनी का खड्क कीलूं, बैठती की दाढ़ कीलूं, भाजती का पुष्ठा कीलूं, छल कीलूं छिद्र कीलूं, भूत कीलूं प्रेत कीलूं, बिच्छू का डंक कीलूं, सर्प का डंक कीलूं, ताप तेईया चौथयिया कीलूं, कलेजे की पीड़ा कीलूं, आधे सिर का दर्द कीलूं, दुष्ट कीलूं मुस्ठ कीलूं, सार की कोठी वज्र का ताला, जहाँ बसे जीव हमारा, रक्षा करे श्री शम्भू जती गुरु गोरख नाथ जी बाला
ॐ गुरु जी शीश कीलूं, कलेजा कीलूं, पिंड प्राण पीछे से कीलूं, काया का सरजन हार नरसिंह वीर कीलूं, अंजनी का पुत्र वीर बंक नाथ कीलूं, सिरहाने की सुई कीलूं, उठता अजयपाल कीलूं, बैठा वीर बैताल कीलूं, अष्ट कुली नाग कीलूं, तीन कुली बिच्छु कीलूं, वार पर वार कीलूं, पांव की किसमिस मिर्चा कीलूं, मडी कीलूं मशान कीलूं, चौसठ योगनी कीलूं, बावन वीर कीलूं, खेलता क्षेत्रपाल कीलूं, आकाश उड़ती कुञ्ज कीलूं, महिषासुर दानव कीलूं, इतनी मेरे गुरु जी की भक्ति की शक्ति, फुरो मंत्र ईश्वर वाचा, देखो सिद्धों गोरक्ष कील का तमाशा
ॐ गुरु जी घट पिंड कीलूं, मच्छर डांस कीलूं, संध्या बत्ती को कीलूं, उड़ते के पंख कीलूं, राजा कीलूं प्रजा कीलूं और कीलूं संसार, कंथ के मथ के आकाश की कड़कड़ाहट कीलूं, पताल का वासुकी नाग कीलूं, अंग संग गोरक्ष कील सखियारी सत्य सवारी, चले पीर दस्तगीर, सर्वर धाम अली अहमद फातमा धरे श्री नाथ की का ध्यान, मक्का कीलूं मदीना कीलूं और कीलूं हिन्दू का द्वार, देव परी जड़ सांगले कीलूं, कीलूं आई बला
पूर्व कीलूं ,पश्चिम कीलूं ,उत्तर कीलूं ,दक्षिण कीलूं, रोम रोम कीलूं, नाड़ी नाड़ी कीलूं, बहत्तर सो कोठा कीलूं ,बैरी की विध्या कीलूं ,गाँव कीलूं ,नगर कीलूं, डगर कीलूं ,चौगान मैदान कीलूं , कीलूं राज द्वारा नजर कीलूं ,टपकार कीलूं , और कीलूं रोग सारा
ॐ गुरु जी गोरख चले मक्के मदीने, ले मुसल्ला हाथ, कबर कीलूं, गुस्तान कीलूं, किर किर करे आकाशा जरे, श्री नाथ जी का नाम, दादा मछेन्द्र नाथ जी की आन, कलयुग में सिद्धों, गोरक्ष कील प्रणाम ॐ फट स्वाहा
श्री नाथ जी गुरु जी को आदेश आदेश।
विधि :-
"गोरख कील" के बारे में मेरे मित्र साधकों ने बहुत से सवाल पूछे और बहुत से सवाल उनके मन में भी होंगे कि गोरख कील को कैसे प्रयोग में लाया जाये और साधारण रूप में उसे कैसे सिद्ध किया जाये !
मित्रों होली दीपावली ग्रहण या शुभ नक्षत्रों योगो में 21 बार गोरख कील को पढ़ कर साधारण हवन सामग्री से हवन कर लें फिर रोज 21 मन्त्र अपनी दैनिक पूजा में शामिल कर लें बस आपकी गोरख कील साधारण प्रयोग हेतु सिद्ध हो जाएगी
अब जब भी प्रयोग करना हो तो एक किसी भी धातु के लोटे में एक लोहे की कील और पानी डाल लें फिर महायोगी श्री गुरु गोरख जति का ध्यान करके 21 मन्त्र पढ़ें और ह मन्त्र के बाद एक फूंक पानी पर मारे ! जिससे पानी अभिमंत्रित हो जायेगा और प्रयोग के काबिल हो जायेगा।
फिर जल में थोडा गंगाजल और धुप या अगर बत्ती की राख मिलाकर थोडा कच्चा दूध भी मिला लें और घर में यह पवित्र जल छिड़क दें आपका घर का कीलन हो जायेगा यह प्रयोग महीने दो महीने बाद करते रहें तो हर बला से सुरक्षित रहेंगे।
लोटे
वाली लोहे की कील को मंदिर में रख दे,
जब
दुबारा प्रयोग करें तो उसे लोटे में डाल
दें मंगल वाल को यह प्रयोग करे उस दिन ब्रहमचर्य
का पालन अवश्य करें ।
और
गुग्गुल लोबान आदि की धुप का धुआं भी पुरे घर में कर
सकते है।
गोरख कील तो कवच मंत्रो की शिरोमणि है।
ॐ रां रामाय नमः
श्री राम ज्योतिष सदन
भारतीय ज्योतिष, अंक ज्योतिष
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मुजफ्फरनगर UP