जिस साधक पर भगवती बगलामुखी की कृपा हो जाती है, उसके शत्रु कभी अपने षड़यंत्र मे सफल नही हो पाते है.क्युकी भगवती का मुद्गर उन शत्रुओ की समस्त क्रियाओ को निस्तेज कर देता है.
प्रस्तुत साधना उन साधको के लिये है,जो शत्रू के कारण समस्याओ से घिर जाते है.वैसे दरिद्रता,रोग,दुख ये भी माँ कि दृष्टि मे आपके शत्रू ही है.अतः सभी को यह साधना करनी करनी चाहिये.
यह साधना आपको २६ तारीख को करना है.किसी कारणवश ना कर पाये तो किसी भी रविवार को करे.समय रात्रि १० के बाद का रखे.आसन वस्त्र पिले हो.आपका मुख उत्तर की और होना चाहिये.सामने बाजोट रखकर उस पर पिला वस्त्र बिछा दे.और वस्त्र पर पिले सरसो कि एक ढ़ेरी बनाये.इस ढ़ेरी पर एक मिट्टि का दिपक सरसो का तेल डालकर प्रज्जवलित करे.ईसके अतिरिक्त किसी सामग्री की आवश्यक्ता नही है.दिपक की सामान्य पुजन कर गुड़ का भोग अर्पित करे.अब संकल्प ले .
हे माता बगलामुखी हर शत्रू से,रोगो से,दुखो से,दरिद्रता से तथा हर कष्ट प्रद स्थिती से रक्षा हेतु मै यह प्रयोग कर रहा हु.आप मेरी साधना को स्विकार कर.मुझे सफलता प्रदान करे.
अब निम्न मंत्र कि पिली हकीक माला,हल्दि माला,अथवा रूद्राक्ष माला से २१ माला करे.
क्रीं ह्लीं क्रीं सर्व शत्रू मर्दिनी क्रीं ह्लीं क्रीं फट्
यह मंत्र महाकाली समन्वित बगला मंत्र है.जो कि अत्यंत तिव्र है.ईसका जाप वाचिक कर पाये तो उत्तम होगा अन्यथा उपांशु करे.पंरतु मानसिक ना करे.जाप समाप्त होने के बाद.घृत मे सरसो मिलाकर १०८ आहुति प्रदान करे.इस प्रकार साधना पुर्ण होगी.साधना के बाद पुनः स्नान करना आवश्यक है.अगले दिन गुड़,सरसो पिला वस्त्र किसी वृक्ष के निचे रख आये.यह एक दिवसीय प्रयोग साधक को शत्रू से मुक्त कर देता है.साधक चाहे तो साधना को ३,७, या २१ दिवस के अनुष्ठान रूप मे भी कर सकता है।।।