Sunday 4 January 2015

गढवाल की वनौषधीय वनस्पति



 गढवाल की वनौषधीय वनस्पति

खैर, बबूल, वज्रदंती , मूसली, आंवला , बेहडा , हरड़, पाटी , कंटेल़ा, सतावरी , गिलोय , पिस्सू-घास, जयंत, मदार, अमलतास, तेज, करेली, इन्द्रायण , पोस्ट, भांग, ब्रह्म्बूटी , वकायन,नीम, गुलाबांस , हरसिंगार, अश्वगंधा, शंखपुष्पी, धौलू , सिंगरी, चित्रा, ममेला,मरोड़फली अतीस, मीठा, मासी , ग्गुग्ग्ल, कुटकी, अष्टवर्ग, लहसुनिया, , सालमपंजा, मेदा, , महामेदा, पाषाणभेद, , सूमया, वन काखडि , चोरु , रत्न, ज्योति, , विषकोया, , चंद्रा, कॉल, ममीरी, चीरता, फरण , निर्देशी, , कल्याणी, कल्यारी, वनस्पा,वासा, दारु, चिरायता, अदरक, जीवक, रिश्भ्क, काकोली, क्षीर, रिधि, कचनार, जायफल, खदिर, नागरमोथा, मालकंगनी, काकोली, आपामर्ग, द्रोणपुष्पि, विदारीकन्द, जटामोंसी, भल्लातक, निर्गुन्डी, रीठा, मुलैठी, ब्रिधिकबीला, गुलबंफला, शतावरी, दालचीनी, सालाम्मिश्री,

No comments:

दुर्गा सप्तशती पाठ विधि

  दुर्गा सप्तशती दुर्गा सप्तशती पाठ विधि पूजनकर्ता स्नान करके, आसन शुद्धि की क्रिया सम्पन्न करके, शुद्ध आसन पर बैठ जाएँ। माथे पर अपनी पसंद क...