रविवार, 4 जनवरी 2015

एक नाथपंथी मंत्र



नगेलो जागर : एक नाथपंथी मंत्र
गढवाल कुमाऊँ में नागराजा कृष्ण रूप है यद्यपि नाग देवता वेदों से पहले के देवता हैं . नाग देवता का उल्लेख ऋग्वेद आदि में भी है. गढवाल में नाग वंशियों का भी अधिपत्य रहा है और गढवाली में कई शब्द नागवंशी काल के शब्द मिलते हैं . खस व कोल वंस का नाग वंश के साथ अटूट रिश्ता रहा है
गढवाल कुमाऊं में नाग देवता के जागर लगते हैं और नागराजा नाचते हैं
नागराजा का जागर यद्यपि खड़ी व ब्रिज मिश्रित ( व गढवाली के एक दो शब्द हैं )भाषा में है किन्तु यही समझा जाता है कि यह मंत्र या जागर गढवाली भाषा का है जबकि यह जागर नाथपंथी मंत्र है
ॐ नमो आदेस, गुरु को आदेस ,
प्रथम सुमिरों नादबुद भैरों
द्वितीय सुमिरों ब्रह्मा भैरों ,
तृतीय सुमिरों मछेंद्रनाथ भैरों
मच्छ रूप धरी ल्याओ ,
चतुर्थ सुमिरों चौरंगी नाथ ,
विन्धा उतीर्थ करी ल्यायो .
पंचम सुमिरों पिंगला देवी
षष्ठे सुमिरों श्री गुरु गोरख साईं
सप्तमे सुमिरों चंडिका देवी
या पिंड को छल करी छिद्र करी
भूत प्रेत हर ल़े स्वामी
प्रचंड बाण मारी ल़े स्वामी
सप्रेम सुमिरों नादबुद भैरों
तेरा इस पिंड का ध्यान छोड़ा दे
इस पिण्डा को भूत प्रेत ज्वर उखेल दे स्वामी
फिर सुमिरों दहिका देवी
इस पिंड को दग्ध बाण उखेल दे स्वामी
अब मैं सुमिरों कालिपुत्र कलुवा बीर
गू ल़ो तोई स्वामी गूगल को धूप
कलुवा बीर आग रख पीछ रख
स्वा कोस मू रख , पातळ मू रख
फीलि फेफ्नी को मॉस रख
मूंड कि मुंडारो उखेल
मुंड को जर उखेल
पीठी को स्लको उखेल
कोखी को धमाल उखेल
बार बिथा छतीस बलई तू उखेल रे बाबा
मेरी भक्ति , गुरु कि शक्ति सब साचा
पिण्डा राचा चालो मंत्र , ईस्रोवाच
फॉर मंत्र फट स्वाहा
या बिक्षा आन मि दूसरी बार

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