गोरिल, ग्विल्ल, गोरिया , गोल देवता का मन्त्र
नाथपंथ ने कुमाऊं - गढ़वाल क्षेत्र को की देवता व मन्तर दिए है . इनमे एक मन्त्र ग्विल्ल , गोरिल देवता का सभी गाँव में महत्व है . यदि किसी पर ग्विल्ल/गोरिल का दोष लग जाय तो मान्त्रिक दूध , गुड, ल़ूण, राख आदि को मंत्रता है और यह मन्त्र इस प्रकार है :
ॐ नमो गुरु को आदेस
रिया : हंकार आऊ : बावन ह्न्तग्य तोडतो आऊ : हो गोरिया : कसमीर से चली आयो : जटा फिकरन्तो आयो,: घरन्तो आयो :गाजन्तो आयो : बजन्तो आयो : जुन्ज्तो आयो : पूजन्तो आयो : हो गोरिया बाबा : बारा कुरोड़ी क्रताणी : कुबन्द : नौ करोडी उराणी कुबन्द : : तीन सौ साट : गंगा बंद , नौ सौ नवासी नदी बंद : यक लाख अस्सी हजार वेद की कला बंध : रु रु बंद : भू भू बंद : चंड बंद : प्रचंड बंद : टूना पोखर बंद : अरवत्त बंद : सब रत्त बंद :अगवाडा बंद का बेद बंदऊँ : पीछे पिछवाडा को बेद बंदऊँ : महाकाली जा बन्दों : वन्द वन्द को गोरिया : हो गोरिया : नरसिंग की दृष्टा बंद : युंकाल की फांस बंद : चार कुणे धरा बंद : लाया तो भैराऊं बंद : खवायाँ चेडा बंद : सगुरु विद्या कु बंद निगु
इस मन्तर के अध्ययन से साफ़ पता चलता है की इस मन्तर में गोरिल की वीरता व ज्ञान की प्रशंशा की गयी है
9 गोरिल कलुआ देव के भाई थे और राजतंत्र या अधिनायक तंत्र के विरुद्ध जन आन्दोलन में भाग लेते थे एवम वे विकराल रूप भी धारण करते थे यही कारण है की गोरिल ग्राम देवताओं की सूची में आते हैं क्योंकि वे जन नेता थे )
1 comment:
kya goriya devta ka vaidik mantra aur tantrokt mantra hai.....yadi ho to kripya bataye
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