विभूति मंत्र अथवा आपरक्षा मन्तर
(कृपया किसी
भी मन्तर को अपने आप अनुष्ठान नही करना चाहिए . बगैर गुरु के अनुष्ठान नही किया
जाता है )
ॐ नमो गुरूजी को आदेस गुरु को जुवार विद्वामाता को
नमस्कार : विभूति माता विभूति पिता विभूति तीन लोक
तारणी अंतर सीला मौन प्रवात सुमरी मै . श्री
गोरख ऊँ दर्शन पैरो मै तुमरे नाऊँ ज्ञान खड्ग ल़े मै काल सन्गारो जब मरों
तब डंक बजाऊं डंकण शंकण
मै हाफिर खाऊं रोग पिंड विघिन बिनास ण जावै कचा
घडा तरवे
पाणि : डाडा वस्त्र
गये कुआर शंकर स्वामी करले विचार : गल मै
पैरो
मोती हार
: अमर दूदी पिउन धीर : बजरन्ग्या सादी
ल़े रे बाबा श्री गोरखबीर : गोरख कुञ्जळी चारन्ति
अर विचारती श्री गुरुपा काय नमस्तुते : घट
पर गोष छेने रुतहा के वस्त्र नाथ का वचन : सीदा जने ना मा रि भय दुत : धर्म
धात्री तुम को आरि : वंदि कोट
तुमकौ आरि: वालारो वै फन्तासुर दाड़ी
ईस
पिंड का असी मसाण ताड़ी :बावन बीर ताड़ो छ कड़ दैत्र
तोड़ो ताड़ी अग्नि पठ देउन उज्याळी ताड़ी
ताड़ी माहा ताड़ी ईस पिंड का सब्बा सौ बाण दियुं
ढोळी प्र्च्चेद का बाण दिऊँ ढाळी प्रभेद को बाण दिऊँ ढाळी प्रजन्त्र को
बाण दिऊँ ढाळी प्रमन्त्र को बाण दिऊँ टाळी ल्यूं बाण दिऊँ टाळी लग्वायुं वां
दिऊँ टाळी
वायुं बाण दिऊँ ढाळी बाप बीर हणमंत चार डांडा पुरवी तोड्न्तो
लायो : बाप बीर हणमंत चार डांडा पसीमी तोडंतो ल्याओ : बाप बीर हणमंत
चार डांडा दखणी तोड्न्तो लायो बाबा बाप हणमंत चार डांडा उतरी तोड्न्तो
ल्यायो : बाबा बीर बापबीर हणमंत जोधा चार दिसा का चार बाण तोड्न्तो
ल्यायो : चार बाण औदी का तोड्न्तो ल्यायो बापबीर हणमंत जोधा से क्वा
क्वा लंकाण
बाण झंकाण बाण उखेल : बाबा बापबीर हणमंत खायु बाण
उखेल
लायुं बाण लग्वायुं बाण उखेल , कौं
कौं बाण उखेल कवट को बाण उखेल छल को बाण उखेल
छिद्र को बाण उखेल ,
लस्ग्दो बाण उखेल चस्गदो बाण
उखेल ,
नाटक चेटक को
बाण उखेल ,:
ईस पिंड को आब्र्ट भैरों को बाण उखेल , धौण
तोड्दा भैरों का बाण उखेल , मौण
मोड़दा भैरों का बाप उखेल बापबीर हणमंत जोधा दृष्टि भैरों का
बाण उखेल ,
घोर भैरों
का बाण उखेल अघोर भैरों का बाण उखेल, कच्च्या भैरों
को
बाण उखेल , निच्या
भैरों को बाण उखेल ,
खंकार भैरों को बाण उखेल , हंकार
भैरों को बाण उखेल ,
लोटण भैरों को बाण उखेल , लटबटा
भैरों का बाण उखेल , . सुसा
भैरों का बाण उखेल ,
चौसठ भैरों का बाण उखेल , नौ
नरसिंगुं
,बाण उखेल , .प्रथम सुन
भैरोंकी बाणी को बाण उखेल , बसून भैरों
की बाणी
को बाण उखेल घोर
भैरिओं की बाणी को बाण उखेल , अघोर
भैरों की बाणी को बाण उखेल
चौसठ भैरों की बाणी को बाण उखेल : बापबीर हणमंत जोधा दूना भैरों को बाणी
को बाण उखेल ,
पोसण भैरों की बाणी को बाण उखेल, धौण
तोड्दा भैरों की बाणी को बाण उखेल , मौण
तोड्दा भैरों की बाणी को बाण उखेल , बाबा
अठावन सौ
कलुवा का बाण उखेल , बाप बीर
हणमंत नि उखेली खाई त सात भाई चमारिका हात को पाणी
पी : सुई का रंगत नायी: गै काच्डा दांत लगाई : नरम जाई : जागजंत्र लागतन्त्र
: फुर मन्तर इश्वरो वाच : या रखवाळी विभूति मंत्रणि की छ : अपणा वास्ता
आप रक्षा की छ और उखेल का काम कु सीध छ : शुभम :
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