Monday, 23 August 2021

श्री रामदुर्ग सिद्ध स्तोत्रम्

श्री रामदुर्ग स्तोत्रम् 
ॐ अस्य श्रीरामदुर्गस्तोत्रमन्त्रस्य कौशिकऋषिरनुष्टुप्छन्दः
श्रीरामो देवता रां बीजं नमः शक्ति ।
रामाय कीलकम् श्रीरामप्रसादसिद्धिद्वारा मम सर्वतो
रक्षापूर्वकनानाप्रयोगसिध्यर्थे श्रीरामदुर्गमन्त्रस्य पाठे विनियोगः ।
ॐ ऐं क्लीं ह्रीं रीं चों ह्रीं रीं चों ह्रीं श्रीं आं क्रौं
ॐ नमोभगवते रामाय मम सर्वाभीष्टं साधय साधय फट् स्वाहा ॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ रामाय नमः ॥
ॐ नमो भगवते रामाय मम प्राच्यां ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल निर्धनं
सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा ॥ १॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ॐ लं लक्ष्मणाय नमः ॥
ॐ नमो भगवते लक्ष्मणाय मम याम्यां ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
मां रक्ष रक्ष सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा ॥ २॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ भं भरताय नमः ।
ॐ नमो भगवते भरताय मम प्रतीच्यां ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष
सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा ॥ ३॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ शं शत्रुघ्नाय नमः ।
ॐ नमो भगवते शत्रुघ्नाय मम उदीच्यां ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष
सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा ॥ ४॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ जानक्यै नमः ।
ॐ नमो भगवते मे ऐशान्यां ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष
सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा ॥ ५॥

ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ सुं सुग्रीवाय नमः ।
ॐ नमो भगवते सुग्रीवाय ममाग्नेय्यां ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष
सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा ॥ ६॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ विं विभीषणाय नमः ।
ॐ नमो भगवते विभीषणाय मम नैरृत्यां ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष
सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा ॥ ७॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ वं वायुसुताय नमः ।
ॐ नमो भगवते वायुसुताय मम वायव्यां ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष
सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा ॥ ८॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ मं महावीरविष्णवे नमः ।
ॐ नमो भगवते महाविष्णवे मम ऊर्ध्वं ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष
सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा ॥ ९॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ नृं नृसिंहाय नमः ।
ॐ नमो भगवते नृसिंहाय मम मध्ये ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष
सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा ॥ १०॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ वं वामनाय नमः ।
ॐ नमो भगवते वामनाय मम अधो ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष
सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा ॥ ११॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ॐ कं केशवाय नमः ।
ॐ नमोभगवते केशवाय मम सर्वतः ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष
सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा ॥ १२॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ मं मर्कटनायकाय नमः ।
ॐ नमो भगवते मर्कटनायकाय मम सर्वदा ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष
सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा ॥ १३॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ कं कपिनाथाय कपिपुङ्गवाय नमः ।
ॐ नमो भगवते कपिपुङ्गवाय मम चतुर्द्वारं सदा ज्वल ज्वल
प्रज्वल प्रज्वल निर्धनं सधनं साधय साधय मां रक्ष रक्ष
सर्वदुष्टेभ्यो हूं फट् स्वाहा ॥ १४॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं रां रीं चों ह्रीं श्रीं आं क्रौं
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ नमो भगवते रामाय सर्वाभीष्टं साधय साधय
हूं फट् स्वाहा ॥ १५॥

इति श्रीरामदुर्गस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

ॐ रां रामाय नमः
श्री राम ज्योतिष सदन 
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