Tuesday, 16 April 2019

।। ॐ ।। श्रीनाथादिगुरुत्रयं गणपतिं पीठत्रयं भैरवं सिद्धौघं बटूकत्रयं पदयुगं दूतीक्रमं मण्डलम् । वीरान् द्व्यष्टचतुष्कषष्टिनवकं वीरावलीपन्चकम् श्रीमन्मालिनीमन्त्रराजसहीतं वन्दे गुरोर्मण्डलम् ।। श्रीगुरुदेव , परम गुरुदेव , और परात्पर गुरुदेव स्वरुप श्रीनाथादी तीन गुरुदेव , गणपति , कामरुप , पूर्णगिरि जालंदर तीन पीठ , मन्थानादी आठ भैरव , सिद्धोंका समुदाय , विरंची , चक्र , स्कंद आदी तीन बटूक , प्रकाश और विमर्श ( शिव और शक्ति ) दो चरण , योन्यंम्बादी दूती , अग्निमण्डल , सूर्यमण्डल , सोममण्डल आदी मण्डल , दस वीर (भैरव ) , चौसठ योगिनी , सर्वसंशोधिनी आदी नौ मुद्रा , ब्रम्हा विष्णू रुद्र ईश्वर और सदाशिव आदी पंच वीर , "अ" से "क्ष" पर्यंत इक्यावन मात्राओंसे युक्त मालिनी मन्त्र - इन सब तत्वोंसे युक्त जो गुरु का मण्डल है , अर्थात जो श्रीगुरु की राजसभा है , उसे मै नमन करता हुं ।

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