।। नवार्ण तांत्रिक महामंत्र ।।
ओम ऐं ह्रीं क्लीं महादुर्गे नवाक्षरी नवदुर्गे नवात्मिके नवचन्डी महामाये महायोगनिंद्न्जये मधूकैटभ विद्राविणी महिषासुरमर्दिनी धूम्रल़ोचन संहंत्री चंड मुंड विनाशिनी रक्तबीजान्तके निशुम्भध्वंशिनी शुम्भ दर्पघ्नी देवी अष्टादशबाहुके कपाल खट्वांग शूल खडग खेटकधारिणी छिन्नमस्तकधारिणी रूधिरमांसभोजिनी समस्त भूतप्रेतादियोगध्वंसिनी ब्रम्हा इन्दा्दिक स्तुते देवी माम रक्ष रक्ष मम शत्रून नाशय नाशय ह्रीं फट् हूं फट्।
ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुन्डायै विच्चे नमः
इस मंत्र का सिर्फ नित्य एक 108 बार जप करना चाहिये।
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ॐ रां रामाय नमः
श्री राम ज्योतिष सदन
पंडित आशु बहुगुणा
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