हिन्दू धर्मशास्त्रों में सुखी जीवन, दीर्घायु और धन सुख के लिए ही बुद्धिदाता श्री गणेश व मां लक्ष्मी की उपासना का महत्व है। इन खास पदार्थो की मूर्तियां अपार धनलाभ देने वाली मानी गई है।
हरिद्रा गणपति - हल्दी से बनी गणेश मूर्ति बहुत ही मंगलकारी मानी गई है। खासतौर पर इसे लक्ष्मी का रूप माना गया है। पुराणों के मुताबिक धनलक्ष्मी देने वाली सोने की गणेश प्रतिमा न होने पर उसकी जगह हल्दी से बनी गणेश प्रतिमा की पूजा का महत्व बताया गया है।
श्वेतार्क गणेश - सफेद आंकडे की जड़ में बनी गणेश की प्रतिमा अपार सुख-सौभाग्य देने वाली ही नहीं चमत्कारी रूप से मनचाहे फल देने वाली भी मानी गई है। रविवार या पुष्य नक्षत्र में मिली अंगूठे के आकार की इस गणेश मूर्ति की पूजा लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिये बहुत ही शुभ है।
गोमय गणेश मूर्ति - हिन्दू धर्म परंपराओं में गो मातृशक्ति और पवित्र मानी गई है। यहां तक कि गाय के गोबर यानी गोमय में लक्ष्मी का वास माना गया है। यही कारण है कि गोमय से बनी गणेश मूर्ति की पूजा घर में अपार धन लाभ देने वाली मानी गई है।
काष्ठ या लकड़ी के गणेश - हिन्दू धर्म में अनेक पेड़-पौधे पूजनीय और पवित्र माने गए हैं। इसलिए प्राकृतिक रूप में लकड़ी धार्मिक दृष्टि से भी बहुत पवित्र मानी गई है। पवित्रता में ही लक्ष्मी का वास माना गया है। इसी कारण धार्मिक मान्यताओं में काष्ठ यानी लकड़ी से बने भगवान गणेश की मूर्ति को घर के बाहरी दरवाजे के ऊपरी हिस्से में स्थापित कर पूजने पर घर में मंगल होने के साथ ही श्री यानी लक्ष्मी का वास बना रहता है।
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