रविवार, 29 अगस्त 2021

भैरव साधना शाबर मंत्र

शाबर मंत्र :
ॐ गुरुजी काला भैरुँ कपिला केश, काना मदरा, भगवाँ भेस। 
मार-मार काली-पुत्र। बारह कोस की मार, भूताँ हात कलेजी खूँहा गेडिया। 
जहाँ जाऊँ भैरुँ साथ। बारह कोस की रिद्धि ल्यावो। चौबीस कोस की सिद्धि ल्यावो। 
सूती होय, तो जगाय ल्यावो। बैठा होय, तो उठाय ल्यावो। 
अनन्त केसर की भारी ल्यावो। गौरा-पार्वती की विछिया ल्यावो। 
गेल्याँ की रस्तान मोह, कुवे की पणिहारी मोह, बैठा बाणिया मोह, 
घर बैठी बणियानी मोह, राजा की रजवाड़ मोह, महिला बैठी रानी मोह। 
डाकिनी को, शाकिनी को, भूतनी को, पलीतनी को, ओपरी को, पराई को, 
लाग कूँ, लपट कूँ, धूम कूँ, धक्का कूँ, पलीया कूँ, चौड़ कूँ, चौगट कूँ, काचा कूँ, 
कलवा कूँ, भूत कूँ, पलीत कूँ, जिन कूँ, राक्षस कूँ, बरियों से बरी कर दे। 
नजराँ जड़ दे ताला, इत्ता भैरव नहीं करे, 
तो पिता महादेव की जटा तोड़ तागड़ी करे, माता पार्वती का चीर फाड़ लँगोट करे। 
चल डाकिनी, शाकिनी, चौडूँ मैला बाकरा, देस्यूँ मद की धार, भरी सभा में द्यूँ आने में कहाँ लगाई बार? 
खप्पर में खाय, मसान में लौटे, ऐसे काला भैरुँ की कूण पूजा मेटे। 
राजा मेटे राज से जाय, प्रजा मेटे दूध-पूत से जाय, जोगी मेटे ध्यान से जाय। 
शब्द साँचा, ब्रह्म वाचा, चलो मन्त्र ईश्वरो वाचा।
 
यह मंत्र की जप और साधना विधि:- किसी योग्य जानकार से ही जानकर इस मंत्र का जप करें। क्योंकि भैरवनाथ के शाबर मं‍त्र कई है।और सभी मंत्रों के कार्य अलग अलग है। आपके उद्येश्य के अनुसार ही मंत्र का चयन करना होता है।

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