मंत्र
ॐ गुरु जी सत नाम आदेश आदि पुरुष को ! काला भैरूं, गोरा भैरूं, भैरूं रंग बिरंगा !! शिव गौरां को जब जब ध्याऊं, भैरूं आवे पास पूरण होय मनसा वाचा पूरण होय आस लक्ष्मी ल्यावे घर आंगन में, जिव्हा विराजे सुर की देवी ,खोल घडा दे दड़ा !! काला भैरूं खप्पर राखे,गौरा झांझर पांव लाल भैरूं,पीला भैरूं,पगां लगावे गाँव दशों दिशाओं में पञ्च पञ्च भैरूं !! पहरा लगावे आप !दोनों भैरूं मेरे संग में चालें बम बम करते जाप !! बावन भैरव मेरे सहाय हो गुरु रूप से ,धर्म रूप से,सत्य रूप से, मर्यादा रूप से, देव रूप से, शंकर रूप से, माता पिता रूप से, लक्ष्मी रूप से,सम्मान सिद्धि रूप से, स्व कल्याण जन कल्याण हेतु सहाय हो, श्री शिव गौरां पुत्र भैरव !! शब्द सांचा पिंड कांचा चलो मंत्र ईश्वरो वाचा !!
प्रयोग विधि :---
कार्य सिद्ध करने हेतु अत्यंत गुप्त एवम प्रभावी मन्त्र है . इसका उपयोग परोपकार करने के लिए करे . सिद्धि मिलने के हेतु भैरव साधना मन्त्र अलग है , रोजाना ११ बार जप करना चाहिए . श्री शिव पुत्र भैरव आपकी सहायता करेगें . चार बुन्दी के लड्डू लेकर मन्त्र कहने के बाद काले रंग के कुत्ते को खिलादे
शनिवार या रविवार से अनुष्ठान चालू करे ।किसी पत्थर तीन कोण वाला टुकड़ा लेकर उसे एकांत मैं स्थापन करे . उस पर तेल और सिंदूर लगाए . भोग मैं बेसन लड्डू चढाये।
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