लक्ष्मी स्तोत्र
त्रैलोक्यपूजिते देवि कमले विष्णुवल्लभे। यथा त्वमचला कृष्णे तथा भव मयि स्थिरा।।
कमला चंचला लक्ष्मीश्चला भूतिर्हरिप्रिया। पद्मा पद्मालया सम्यगुच्चौ: श्री पद्मधारिणी।।
द्वादशैतानि नाममि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत्। स्थिरा लक्ष्मीर्भवेत्तस्य पुत्रदारादिभि: सह।।
इस मंत्र का केवल एक जप ही पर्याप्त होता है, दीपावली की रात्रि को यदि दक्षिणावर्ती शंख के सामने इस स्तोत्र का 101 बार जप कर दिया जाय तो उसकी मनोवांछित कामना अवश्य ही पूरी हो जाती है। इस शंख में जल भर कर स्तोत्र का मात्र 11 बार जप कर उस जल को घर में छि़डकने पर घर में शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। यदि दक्षिणावर्ती शंख पर इस स्तोत्र का नित्य 21 बार जप तथा यह प्रयोग 11 दिन तक करें तो व्यापार में विशेष अनुकूता प्राप्त होती है तथा उसे मनोवांछित फल प्राप्त होता है। यदि पांच दिन तक नित्य शंख में जल भर कर इस स्तोत्र के 11 पाठ करके उस जल को दुकान के दरवाजे के आगे छि़डक दिया जाये तो उस दुकान की बिक्री बढ़ जाती है।
प्रयोग समाप्त पर शंख को तिजोरी में स्थापित कर देना चाहिए। इस प्रयोग को प्रत्येक गृहस्थ व्यक्ति को अपनाना चाहिए। दीपावली की रात्रि में लाल वस्त्र धारण कर लाल रंग के ऊनी आसन पर दक्षिण मुख होकर बैठें, सामने लाल वस्त्र पर तांबे के पात्र में तांत्रोक्त ढंग से चैतन्य की गई बिल्ली की नाल (जेर) को पूरी तरह से तेल मिश्रित सिंदूर में रख दें तथा मूंगे की माला से निमA मंत्र का ग्यारह माला मंत्र जप करें-
मंत्र - ह्रीं ह्रीं क्लीं नानोपलक्ष्मी श्रीं पद्मावती आगच्छ आगच्छ नम:।।
उपरोक्त मंत्र अत्यन्त तीव्र एवं पूर्णत: तांत्रोक्त मंत्र है और इतना अधिक तीव्र है कि प्राय: साधक को सुबह होते-होते अपनी समस्या का हल मिल जाता है। साधक इस साधना में दृढ़ता पूर्वक और बिना किसी भय के साधना रत रह सकता है। मंत्र जप के उपरान्त रात्रि-शयन उसी स्थान पर करें और स्वपन में अपने आकस्मिक संकट का कोई न कोई उपाय प्राप्त होता ही है। सम्पूर्ण पूजन काल में तेल का दीपक जलता रहे और वह सुबह तक प्रज्वलित रहे, इस बात का ध्यान रखें बिल्ली की नाल को किसी पात्र में बंद करके रखना है। भविष्य में जब-जब आकस्मिक धन की तीव्र आवश्यकता आ पडे़ तब-तब प्रयोग को दोहरायें। सफलता अवश्य आपके हाथ लगेगी।
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Saturday, 17 August 2019
लक्ष्मी स्तोत्र
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