कालभैरवः!!
भगवान शिव के ही अंश हैं। ऐसा माना जाता है कि कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा अर्चना करने से जीवन में स्वयं की एवं घर की रक्षा करते हैं आने वाली बाधाओं का नाश हो जाता है और जातक सुखी और निरोगी रहता है।
कालभैरव को प्रसन्न करने के लिए कवच स्तोत्र के 5/11पाठ कर सकते हैं। और अधिक करना चाहें तो काले आसन पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके वैठ जाएं रुद्राक्ष या काली हकीक माला से "ॐ ह्रीं भ्रं भैरवाय नमः"! की 21 माला जप करें!
!!तान्त्रोक्तकवच!!
ऊँ सहस्त्रारे महाचक्रे कर्पूरधवले गुरुः।
पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु।।
पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा।
संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः।।
ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः।
सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः।।
रामदेवो वनान्ते च वने घोरस्तथावतु।
जले तत्पुरुषः पातु स्थले ईशान एव च।।
डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः।
हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः।।
पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः।
मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गंजास्तथा।।
महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा।
वाद्यम् वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा।।
कालभैरव अष्टमी के दिन बाबा भैरव नाथ को चमेली के पुष्प चड़ाये, तेल का दीपक लगाएँ, नैवेद्य में पापड़,उड़द की दाल के पकोड़े मलपुए,गुड़,जलेबी,पान का भोग लगाएं। इसके बाद थोड़ा प्रसाद ग्रहण करें एवं थोड़ा किसी कुत्ते को खिला दें। कुत्ता बाबा भैरव नाथ की सवारी माना जाता है।अतः बाबा भैरवनाथ को कुत्ता अतिप्रिय होता है।
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