प्रसिद्ध तांत्रिक ग्रन्थ "" शारदा तिलक """ में इस पवित्र मुद्रिका के विषय और प्रयोग के बारे में विशद उल्लेख किया गया हैं . त्रिधातु ( सोना २ रत्ती , चाँदी १२ रत्ती , और तांबा १६ रत्ती , ) से शास्त्रोक्त पद्धतिके अनुसार निर्मित तथा श्री यन्त्र जड़ित इस चमत्कारी मुद्रिका को धारण करने से दरिद्रता का समूल नाश हो जाता हैं .
सामग्री - जल पात्र , घी का दीपक , अगरबत्ती , भोजपत्र , मंत्र सिद्धि पवित्री मुद्रिका .
माला - पवित्री माला ( मंत्र सिद्धि चैतन्य )
समय - दिन या रात में कोई भी समय
दिन - शुक्रवार .
धारणीय - वस्त्र - पीले रंग की धोती
आसन - पीले रंग का
दिशा - पूर्व
जप संख्या - ११००० हजार
अवधि - ११ दिन
मंत्र - ॐ क्लीं नमः ( कनकधारा स्त्रोत )
प्रयोग -
सर्व प्रथम भोजपत्र पर केशर से उपरोक्त यन्त्र को अंकित कर दे और उसके ऊपर पवित्री मुद्रिका रख दे , ( जो की मंत्र सिद्धि प्राण - प्रतिष्ठा युक्त हो ) इसके बाद सामने अगरबत्ती व दीपक लगा दे तथा कनक धरा स्त्रोत का जाप प्रारम्भ कर दे . उसके बाद निम्न मंत्र का ११०० मंत्र का जाप प्रतिदिन करे , ११ दिन . ११ वे दिन जाप पूरा कर के भोजपत्र को चांदी के ताबीज में बंद कर गले में धारण कर ले और मंत्र सिद्धि प्राण - प्रतिष्ठा युक्त पवित्री मुद्रिका दाहिने हाथ की किसी भी ऊँगली में धारण कर ले ,
इस अगूंठी के प्रभाव से राज्य से सम्बंधित सभी बंधाये दूर हो जाती हैं . और उसे मान सम्मान प्राप्त होता हैं साथ ही यह पवित्री मुद्रिका धारण करता की दरिद्रता का विनाश कर के उसके लिए लक्ष्मी प्राप्त में परम सहायक होती हैं ।।
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