1) भगवान के नाम रस मे प्रीति बढ़ेगी.. चिंता, दुःख मिटते , पाप नाश होते तो भगवान मे आनंद आने लगता है , सुमिरन ध्यान मे आनंद आने लगता है..प्रीति का रस प्रगट होता जायेगा |
2) मन की चंचलता मिटने लगेगी, मन्त्र जाप से अध्यात्मिक तरंगे उत्त्पन्न होती है..इससे चित्त में आनंद और शांती व्याप जाती है..चित्त की चंचलता मिटती , मनोराज मिटते, फालतू विचारो का शमन
चित्त को शांती मिलती, समाधान मिलता |
3) परमात्मा की प्रेरणा होने लगेगी, इष्ट देव सपने मे आकर दर्शन देंगे या और किसी प्रकार से आप को मार्गदर्शन मिलेगा.. …बुध्दी की प्रसादी मिलती, अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा समझने की सूझ बुझ मिलती..सही गलत का निर्णय करने में अंतर्यामी परमात्मा की प्रेरणा मिलती तो व्यावहारिक ज्ञान में सूझ बुझ आती… फिर तो राजे महाराजाओं के सुख को भी तुच्छ माने |
4) नाम का, धन का अहंकार और घमंड नहीं होगा…अहंकार गलने लगता…धन, पद , अ-सत का प्रभाव गलने लगता है |
5) मन और बुध्दी निर्मल होती है ..बुध्दी मे शुध्द प्रकाश और प्रेरणा होगी की क्या करना है, कब और कैसे करना है… मन बुध्दी की पुष्टि होती जाती.. …गुरू मन्त्र का जप करने से नीरसता दूर होगी और आस्था बढ़ेगी..बुध्दी में शुद्धि आती |
6) रोग बीमारी से क्षीण नहीं होंगे.. ‘रोग आया तो शरीर मे आया , मैं तो अमर आत्मा हूँ’ ये समझ विकसित होगी..मन्त्र के उच्चारण से हमारे शरीर पर — 5 ज्ञानेन्द्रियां और 5 कर्मेन्द्रियों पर , लीवर और ह्रदय पर ऐसा प्रभाव पड़ता है की रोग कण नाश होते है और रक्त का प्रवाह शुध्द होता है….. .. रोग प्रतिकार की शक्ति बढती..रोगों के कणों को भगाती है |
7) सुख मे बहोगे नहीं और दुःख से दबोगे नहीं, उनका साधन बनाकर उन्नति करने की बुध्दी विकसित होगी..जप करनेवाला वाला दुखी खिन्न नहीं होता. ..दुःख मिटेंगे, दुःख को उखाड़ फेकने वाले परमानंद की प्राप्ति होगी .. भगवान के नाम मे रस आयेगा तो दुखो की जड़ उखाड़ के फेकनेवाला आनंद आएगा..दुःख नाशिनी शक्ति बढती… भविष्य में दुःख देने वाली परिस्थितियां भी क्षीण होती.. .’सुख स्वपना दुःख बुलबुला , दोनों है मेहमान’ …सुख दुःख आने-जानेवाला है -उस को जाननेवाला ‘मैं’ नित्य हूँ..इस प्रकार सुख दुःख की थपेड़ो से बचकर हम परम आनंद के दाता ईश्वर के रास्ते पहुँचने में सफल हो जाते… ‘सुख दुःख मन को है , मैं उस को देखने वाला हूँ’ ये जान कर सुख दुःख का भी उपयोग कर के सुख दुःख को स्टेप बना लेते है..ईश्वर के रास्ते उन्नत होते जाती है |
8 ) गुरु मन्त्र के जप से सभी जन्मो के पाप नाश होंगे..(ज+प = ‘ज’ का मतलब जन्म मरण का नाश और ‘प’ का मतलब पाप का नाश : इसी का नाम जप है.)
पाप मिटने से पुण्यमय भाव बनने लगता है…पाप क्षीण होने लगते…पाप मिटते, पुण्य बढ़ते. .. सुनिश्चय करनेवाली पापनाशिनी शक्ति जागृत होती…पाप वासना मिटती, बेवकूफी मिटती , आप को बेवकुफ बनानेवाला बेवकुफ बनता और आप सजाग हो जाते |
9) घटाकाश और व्यापक परमात्मा के एकत्व का दैवी ज्ञान प्रगट होता है …दिव्य प्रेरणा प्रगट होने लगती…
आत्मा ब्रह्म है , जैसे घड़े का आकाश महा आकाश से जुड़ा है ,एक ही है ,भिन्न नहीं है …ऐसे ही आप का आत्मा उस परमात्मा से जुड़ा हुआ है ..यह ज्ञान होगा..आत्मा ब्रम्ह है ..बुध्दी में चैत्यन्य चिन्मय वासुदेव का प्रसाद है…तो ‘सब में वासुदेव है’… इस प्रकार की दिव्यता का अनुभव होने लगता …भगवान की कथा समझ में आने लगती…
एक कौर चावल को देखा आप ने तो आप को चावल का डेगा देखने की जरुरत नहीं.. चुल्लू भर पानी से सरोवर के पानी की खबर मिलती… एक सूर्य की किरण से सूर्य की खबर मिलती … ऐसे एक हमारे आत्मा की खबर मिलती तो पुरे ब्रम्ह की खबर मिलती |
10) आप का आत्म विश्वास बढेगा, चिंता –निश्चिन्तता मे बदलती है..विवेक विकसित होता, अ-विवेकी निर्णय दूर होते.
नाम जपने वाले के निर्णय और निगुरे के निर्णय देखो तो फरक पता चल जायेगा |
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