शत्रुनाशक बगला माला-मन्त्र
ॐ नमो भगवति ॐ नमो वीरप्रतापविजय भगवति बगलामुखि मम सर्वनिन्दकानां सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं गतिं स्तम्भय स्तम्भय ब्रह्मीं मुद्रय मुद्रय बुद्धिं विनाशय विनाशय अपराबुद्धिं कुरु कुरु आत्मविरोधिनां शत्रूणां शिरो ललाट मुख नेत्र कर्ण नासिकोरु पद अणुरेणु दन्तोष्ठ जिह्वा तालु गुह्य गुद कटि जानु सर्वाङ्गेषु केशादिपादपर्यन्तं पादादिकेशपर्यन्तं स्तम्भय स्तम्भय खें खीं मारय मारय परमन्त्र परतन्त्राणि छेदय छेदय आत्मयन्त्रमन्त्रतन्त्राणि रक्ष रक्ष सर्वग्रहं निवारय निवारय व्याधिं विनाशय विनाशय दुखं हर हर दारिद्रयं निवारय निवारय सर्वमन्त्रस्वरूपिणि सर्वतन्त्रस्वरूपिणि सर्वशिल्प-प्रयोग-स्वरूपिणि सर्वतत्वस्वरूपिणि दुष्टग्रह भूतग्रह आकाशग्रह पाषाणग्रह सर्वचाण्डालग्रह यक्षकिन्नर-किम्पुरुषग्रह भूतप्रेतपिशाचानां शाकिणी-डाकिणीग्रहाणां पूर्वदिशां बन्धय बन्धय वार्तालि मां रक्ष रक्ष दक्षिणदिशां बन्धय बन्धय किरातवार्तालि मां रक्ष रक्ष पश्चिमदिशां बन्धय बन्धय स्वप्नवार्तालि मां रक्ष रक्ष उत्तरदिशां बन्धय बन्धय कालि मां रक्ष रक्ष ऊर्ध्वदिशं बन्धय बन्धय उग्रकालि मां रक्ष रक्ष पातालदिशं बन्धय बन्धय बगलापरमेश्वरि मां रक्ष रक्ष सकलरोगान् विनाशय विनाशय सर्वशत्रून् पलायनाय पञ्चयोजनमध्ये राजजनस्त्रीवशतां कुरु कुरु शत्रून् दह दह पच पच स्तम्भय स्तम्भय मोहय मोहय आकर्षय आकर्षय मम शत्रून् उच्चाटय उच्चाटय हुम् फट् स्वाहा !
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