Wednesday 25 August 2021

भूतशुद्धि

भूतशुद्धि
आगमोक्त पूजन में "भूतशुद्धि" एक आवश्यक अंग है। यह आगम में राजयोग का हिस्सा है। यों तो ग्रन्थों में इसके विस्तृत विधान का वर्णन है परन्तु इसके एक सुगम मन्त्रात्मक विधान का मैं उल्लेख आप विद्वत जनों के समालोचनार्थ प्रस्तुत कर रहा हूँ।
निम्मन मन्त्र पढते हुए वाम नासिका से श्वास ग्रहण करे:
ॐ भूत-श्रृङ्गाटाच्छिर: सुषुम्नापथेन जीव शिवं परमशिव पदे योजयामि स्वाहा
अब श्वास को रोके रख निम्मन मन्त्रों को पढे:
ॐ यं लिङ्ग शरीरं शोषय शोषय स्वाहा
ॐ रं संकोच शरीरं दह-दह पच-पच स्वाहा
ॐ वं परमशिवामृतं वर्षय-वर्षय स्वाहा
ॐ शाम्भव शरीरं उत्पादय-उत्पादय स्वाहा
अब निम्मन मन्त्र पढते हुए दाहिनी नासिका से धीरे-धीरे श्वास को छोड़े:
ॐ हंस: सोऽहम् अवतरावतर परमशिव जीवं सुषुम्ना-पथेन प्रविश मूल श्रृङ्गाटमुल्लसोल्लस ज्वल ज्वल प्रज्वल-प्रज्वल सोऽहं हंस: स्वाहा
अपने शरीर को सभी पापों से मुक्त एवं देवता की साधना के योग्य समझे।
"भूत-शुद्धि" करें या "ॐ ह्रौं " का ११बार जप करे ।
आचमन, प्राणायाम कर इष्टदेवता का मानसोपचार (संभव हो तो बाह्य भी) पूजन करे ।

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