Friday 11 February 2022

श्री महाकाल कवच स्तोत्र

श्री महाकाल कवच स्तोत्र 

ॐ ह्रं शिर: पातु मे काल: ललाटे ह्रीं सदा मम 
ह्रं कारकं प्रतीच्यां मे बीजद्वयस्वरुपिणी !! 

ह्रीं पातु लोचनद्वंदं मुखं ह्रींबीजरुपिणी ! 
ह्रींकारकं कण्ठदेशे ह्रीं पातु स्कंधयोर्मम !! 

महाकाल: सदा पातु भुजौ सव्ये नसौ मम ! 
ह्रीकारं ह्रदयं पातु ह्रं मेs व्यादुदरं सदा !! 

ह्रीं नाभिं पातु सततं देवी ह्रींकाररुपिणी ! 
अव्यान्मे लिंगदेशं च ह्रीं रक्षेद गुह्यदेशके !! 

कूर्चयुग्मं पातु पादौ स्वाहा पादतलं मम ! 
श्रीषोडशाक्षर: पातु सर्वांगे मम सर्वदा !! 

अंतर्वन्हिश्च मां पातु देवदत्तश्च भैरव: ! 
नगलिंगामृतप्रीत: सर्वसंधिषु रक्षतु !! 

महोग्रे मां सदा पातु ममेंद्रियसमूहकम ! 
शिवो ममेंद्रियार्थेषु रक्षयेद दक्षिणेष्वपि !! 

महाकाल: पश्चिमेsव्याद दक्षिणे देवदत्तक: 
भगलिंगामृतं प्रीतो भगलिंगस्वरुपक: !! 

उदीच्यामूर्ध्वग: पातु पूर्वे संहारभैरव: ! 
दिगंबर: श्मशानस्थ: पातु दिक्षु विदिक्षु च !! 

!! इति श्रीरुद्रयामले तंत्रे विश्वमंगलं नाम महाकाल कवचं संपूर्णम !!

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