रविवार, 14 नवंबर 2021

भैरव देव

शिवपुराण में वर्णित प्रसंग के अनुसार भैरव देव की उत्पत्ति भगवान शिव के अंश से हुई । भगवान् भैरव की उत्पत्ति कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को मध्यान के समय हुई । जिस दिन भैरव देव की उत्पत्ति हुई  उस तिथि को कालभैरव के रूप में जाना जाता है। हिन्दू धर्म में भैरव-उपासना की दो प्रमुख शाखाएं हैं। जिसके अन्तर्गत बटुकभैरव तथा काल भैरव देव की साधना की जाती है। बटुक भैरव देव अपने सौम्य रूप में रहते हैं। और भक्तों को अभय वर देते हैं। काल भैरव देव अत्यन्त ही उग्र रुप में रहते है। तथा आपराधिक प्रवृत्तियों को नियन्त्रित करते हैं।
ओर साथ ही शिव की सेना में सेनापति के रूप में नियुक्त है। माना यह भी जाता है। तन्त्र साधनाओ में बिना भैरव अनुमति कोई भी उनकी पूजा नही कर सकता ।
वह अपना शिष्य भक्त स्वम् चुनते है।
इनके स्मरण मात्र से सभी नकरात्मक शक्ति अपना मार्ग छोड़ देती है। और साधक के जीवन मे नई ऊर्जा का संचार होता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

astroashupandit

              Consultations by Astrologer - Pandit Ashu Bahuguna Skills : Vedic Astrology , Horoscope Analysis , Astrology Remedies  , Prash...