रविवार, 5 सितंबर 2021

रोग निवारक महामंत्र

रोग निवारक महामंत्र - नीलकंठ अघोर मंत्र स्तोत्र -अनुभूत मंत्र है।
मैं एक महा मंत्र देने जा रहा हूँ जो अगर पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ रोज़ जपा जाए तो सर्व प्रकार के रोगों को हरने वाला है । असाध्य रोगों को भी हरने कि क्षमता इस महा मंत्र में है । १०८ पाठ करने पर यह सिद्ध हो जाता है ।
विधि: रोज़ सुबह स्नान करके और स्वच्छ धुले हुए कपड़े पहन कर एक लाल रंग के कपडे पर बैठिये पूर्व दिशा की और मुख करके और फिर नीचे दिए हुआ मंत्र 108 बार पूरी श्रद्धा और विशवास के साथ जपिये । अवश्य लाभ प्राप्ति होगी ।
नीलकंठ अघोर मंत्र स्तोत्र
--------------------------------
विनियोग-------
ओम अस्य श्री नीलकंठ स्तोत्र-मन्त्रस्य ब्रह्म ऋषि अनुष्टुप छंद :नीलकंठो सदाशिवो देवता ब्रह्म्बीजम पार्वती शक्ति:शिव इति कीलकं मम काय जीव स्वरक्षनार्थे सर्वारिस्ट विनाशार्थे श्री परमेश्वर प्रीत्यर्थे च जपे पाठे विनियोग: ।
मंत्र --------------
ओम नमो नीलकंठाय श्वेत शरीराय नमःसर्पलिंकृत भूषनाय नमः भुजंग परिकराय नाग यग्योपविताय नमः,अनेककाल मृत्यु विनाशनाय नमः,युगयुगान्त काल प्रलय प्रचंडाय नमः ज्वलंमुखाय नमः दंष्ट्रा कराल घोर रुपाय नमःहुं हुं फट स्वाहा,ज्वालामुख मंत्र करालाय नमः,प्रचंडार्क सह्स्त्रान्शु प्रचंडाय नमः
कर्पुरामोद परिमलांग सुगंधीताय नमः इन्द्रनील महानील वज्र वैदूर्यमणि माणिक्य मुकुट भूषणाय नमः श्री अघोरास्त्र मूल मन्त्रस्य नमःओम ह्रां स्फुर स्फुर ओम ह्रीं स्फुर स्फुर ओम ह्रूं स्फुर स्फुर अघोर घोरतरस्य नमः रथ रथ तत्र तत्र चट चट कह कह मद मदन दहनाय नमः ।
श्री अघोरास्य मूल मन्त्राय नमः ज्वलन मरणभय क्षयं हूं फट स्वाहा अनंत घोर ज्वर मरण भय कुष्ठ व्याधि विनाशनाय नमः डाकिनी शाकिनी ब्रह्मराक्षस दैत्य दानव बन्धनाय नमः अपर पारभूत वेताल कुष्मांड सर्वग्रह विनाशनाय नमः यन्त्र कोष्ठ करालाय नमः सर्वापद विच्छेदाय नमः हूं हूं फट स्वाहा आत्म मंत्र सुरक्ष्नाय नमः ।
ओम ह्रां ह्रीं ह्रूं नमो भूत डामर ज्वाला वश भूतानां द्वादश भूतानां त्रयोदश भूतानां पंचदश डाकिनीना हन् हन् दह दह नाशय नाशय एकाहिक द्याहिक चतुराहिक पंच्वाहिक व्यप्ताय नमः।
आपादंत सन्निपात वातादि हिक्का कफादी कास्श्वासादिक दह दह छिन्दि छिन्दि श्री महादेव निर्मित स्तम्भन मोहन वश्यआकर्षणों उच्चाटन किलन उद्दासन इति षटकर्म विनाशनाय नमः।
अनंत वासुकी तक्षक कर्कोटक शंखपाल विजय पद्म महापद्म एलापत्र नाना नागानां कुलकादी विषं छिन्धि छिन्धि भिन्धि भिन्धि प्रवेशय शीघ्रं शीघ्रं हूं हूं फट स्वाहा ।
वातज्वर मरणभय छिन्दि छिन्दि हन् हन्:भूतज्वर प्रेतज्वर पिशाचाज्वर रात्रिज्वर शीतज्वर सन्निपातज्वर ग्रह ज्वर विषमज्वर कुमारज्वर तापज्वर ब्रह्मज्वर विष्णुज्वर महेशज्वर आवश्यकज्वर कामाग्निविषय ज्वर मरीची- ज्वारादी प्रबल दंडधराय नमः परमेश्वराय नमः।
आवेशय आवेशय शीघ्रं शीघ्रं हूं हूं फट स्वाहा चोर मृत्यु ग्रह व्यघ्रासर्पादी विषभय विनाशनाय नमः मोहन मन्त्राणा पर विद्या छेदन मन्त्राणा, ओम ह्रां ह्रीं ह्रूं कुली लीं लीं हूं क्ष कूं कूं हूं हूं फट स्वाहा, नमो नीलकंठाय नमः दक्षाध्वरहराय नमः श्री नीलकंठाय नमः ओम ।।

कोई टिप्पणी नहीं:

astroashupandit

Consultations by Astrologer - Pandit Ashu Bahuguna Skills : Vedic Astrology , Horoscope Analysis , Astrology Remedies , Prashna kundli Indi...