Tuesday, 24 August 2021

॥ श्रीगरुडदण्दकम् ॥

हिंदू धर्म के अनुसार गरुड़ पक्षियों के राजा और भगवान विष्णु के वाहन हैं । गरुड़ कश्यप ऋषि और उनकी दूसरी पत्नी विनता की सन्तान हैं । श्री गरुड़ दण्डकम् का नियमित पाठ करने से साधक भयमुक्त व् शक्तिशाली के साथ साथ उसके जीवन की बहुत सी समस्या का समाधान हो जाता हैं , शनि की दशा का फल भी शुभ मिलता हैं पाप जनित ग्रह भी शुभ फल को प्रदान करते हैं !

॥ श्रीगरुडदण्दकम् ॥

ॐ नमो नारायणाय नमः 
श्रीमते निगमान्तमहादेशिकाय नमः ।
श्रीमान् वेङ्कटनाथार्यः कवितार्किककेसरी ।
वेदान्तचार्यवर्यो मे सन्निधत्ताम् सदाहृदि ॥
नमः पन्नगनद्धाय वैकुण्ठवशवर्तिने ।
श्रुतिसिन्धु सुधोत्पादमन्दराय गरुत्मते ॥ १॥

गरुडमखिलवेदनीडाधिरूढम् द्विषत्पीडनोत्कण्ठिताकुण्ठवैकुण्ठपीठीकृत ,
स्कन्धमीडे स्वनीडागतिप्रीतरुद्रासुकीर्तिस्तनाभोगगाढोपगूढ स्फुरत्कण्टकव्रात। वेधव्यथावेपमान द्विजिह्वाधिपाकल्पविष्फार्यमाण स्फटावाटिका,
रत्नरोचिश्छटा राजिनीराजितं कान्तिकल्लोलिनीराजितम् ॥ २॥

जयगरुड सुपर्ण दर्वीकराहार देवाधिपाहारहारिन्,
दिवौकस्पतिक्षिप्तदम्भोळिधाराकिणाकल्प कल्पान्तवातूल कल्पोदयानल्प। वीरायितोद्यच्चमत्कार दैत्यारि जैत्रध्वजारोहनिर्धारितोत्कर्ष, सङ्कर्षणात्मन् गरुत्मन् मरुत्पञ्च काधीश सत्यादिमूर्ते न कश्चित् समस्ते नमस्ते पुनस्ते नमः ॥ ३॥

नम इदमजहत्सपर्याय पर्यायनिर्यातपक्षानिलास्फालनोद्वेलपाथोधि,
चीचपेटाहतागाधपाताळभाङ्कारसंक्रुद्धनागेन्द्रपीडासृणीभावभास्वन्नखश्रेणये । चण्डतुण्डाय नृत्यद्भुजङ्गभ्रुवे वज्रिणे दंष्ट्रय तुभ्यमध्यात्मविद्या, विधेया विधेया भवद्दास्यमापादयेथा दयेथाश्च मे ॥ ४॥

मनुरनुगत पक्षिवक्त्र स्फुरत्तारकस्तावकश्चित्रभानुप्रियाशेखरस्त्रायतां,
नस्त्रिवर्गापवर्गप्रसूतिः परव्योमधामन् वलद्वेषिदर्पज्वलद्वालखिल्यप्रतिज्ञावतीर्ण स्थिरां तत्त्वबुद्धिं परां । भक्तिधेनुं जगन्मूलकन्दे मुकुन्दे म्हानन्ददोग्ध्रीं दधीथा, मुधाकामहीनामहीनामहीनान्तक ॥ ५॥

षट्त्रिंशद्गणचरणो नरपरिपाटीनवीनगुम्भगणः ।
विष्णुरथदण्डकोऽयं विघटयतु विपक्षवाहिनीव्यूहम् ॥ ६॥

विचित्रसिद्धिदः सोऽयं वेङ्कटेशविपश्चिता ।
गरुडध्वजतोषाय गीतो गरुडदण्डकः ॥ ७॥

कवितार्किकसिंहाय कल्यणगुणशालिने ।
श्रीमते वेङ्कटेशाय वेदान्तगुरवे नमः ॥

श्रीमते निगमान्तमहादेशिकाय नमः ॥

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