Monday, 16 August 2021

श्री बटुक-भैरव शापोद्धार व शापविमोचन


 
श्री बटुक-भैरव शापोद्धार व शापविमोचन
श्री बटुक-भैरव के मन्त्र एवं स्तोत्र के 'शाप-विमोचन' एवं शापोद्धार के लिए एक 'मन्त्र' और एक 'स्तव' है जो निम्मन है:
मन्त्र:-
'ॐ ह्रीं बटुक शापं विमोचय विमोचय ह्रीं क्लीं " - इस मन्त्र का मूल-मन्त्र या स्तोत्र के पूर्व कम से कम १० बार जप कर निम्मन स्तव का १ बार पाठ करने से मन्त्र या स्तोत्र का शापोद्धार हो जाता है
स्तव:-
ॐ वृन्दारक-प्रकर-वन्दित-पाद-पद्मम्,
चञ्चत-प्रभा-पटल-निर्जित-नील-पद्मम्॥
सर्वार्थ-साधकमगाध-दया-समुद्रम्,
वन्दे विभुं बटुक-नाथमनाथ-बन्धुम ॥
मुण्डमालाधरं शान्तं, कुण्डल-प्रभयाऽन्वितम्,
भुजंग-मेखलं दिव्यं बटुकाख्यं नमाम्यहम्॥
चतुर्बाहुं कलामूर्त्तिं, युगान्त-दहनोपमम्,
सर्वार्थ-साधकं देवं, भैरवं प्रणमाम्यहम्॥
ज्वलदग्नि-प्रतीकाशं, खट्वांग-वरधारकम्,
श्वगणै: सर्वतो व्याप्तं, भैरवं प्रणमाम्यहम्॥
ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च, मरीच्याद्या महर्षय:,
बटुकं प्रणमन्ते तं, सदासम्पन्न-मानसम्॥
पञ्चवक्त्रं कृपासिन्धुं, नानाऽऽभरणभूषितम्,
धर्मार्थ-काम-मोक्षाणां, दातारं प्रणमाम्यहम्॥
विद्यावन्तं दयावन्तं, शंकर-प्रिय-बान्धवम्,
उत्पत्ति-स्थिति-संहारं, भैरव् प्रणमाम्यहम्॥
॥फल-श्रुति॥
य इदं पठते नित्यं, बटुक-स्तव पूर्वकं ।
सर्वाबाधा-विनिर्मुक्त:,स सर्वेप्सितभाग् भवेत॥

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