शनिवार, 5 जनवरी 2013

श्री कार्तवीर्यार्जुन दर्पण-प्रयोग

.
श्री कार्तवीर्यार्जुन दर्पण-प्रयोग
घर से भागे हुए व्यक्ति के बारे में यदि पता चल रहा हो, तब उसकी स्थिति परिस्थिति जानने के लिए यह प्रयोग किया जा सकता है वैसे तो इस प्रयोग के द्वारा चोरी गई वस्तुओम तथा उनके चोरों का भी ज्ञान पाया जा सकता है, परन्तु क्योंकि प्रयोग मँहगा तथा श्रम-साध्य है, अतः अत्यन्त जटिल परिस्थिति में ही, जब और कोई उपाय काम आए, तभी इसदर्पण-प्रयोग को करना चाहिए
१॰ शुभ मुहूर्त में, शुद्ध स्थानम में, शुद्ध होकर बैठ जाएँ (प्रयोग स्थान निर्वात, पर्याप्त खुला, हवादार, रोशन-दान, झरोखा आदि से युक्त होना चाहिए, ताकिदीपकबुझे नहीं तथा दीपकों का धुँआ बाहर निकलता रहे ) विधि-पूर्वक इच्छित कार्य की सफलता हेतु सङ्कल्प एवं श्रीगणपत्यादि पूजन करें
२॰ साधक मध्य-भाग में बैठे अपने सामने काँसे / ताँबे की थाली / कटोरे में तैल भर कर रखे दूसरा सहायक व्यक्ति, साधक के चारों तरफ गोल घेरे की आकृति में, एक हजार मिट्टी के बनेदीपक’, इस प्रकार रखे कि सभी दीपकों के मुख साधक की तरफ रहें साधक का स्वयं का मुख, ‘उत्तर-दिशाकी तरफ होगा तथा उसके दाहिने हाथप्रधान-दीपकरहेगाताकिप्रधान-दीपकका मुखपश्चिमकी ओर रहे
३॰ साधक के वस्त्र, सहायक के वस्त्र, पूजा-सामग्रीसभी लाल होनी चाहिए लाल चन्दन या गहरे लाल मूँगे की माला, सरसों के तेल में रोली मिली बत्तियों की रुई या तो लाल रँगी या मोली-निर्मित होनी चाहिए कमरे की दीवार या परदे लाल रंग के हो, तो अच्छा रहेगा दीपकमिट्टी के तथा लाल रंग के अतिरिक्त अन्य किसी रंग का दाग / धब्बा नहीं होना चाहिए दीपकों को दूर-दूर रखें ताकि यदि किसी दीपक में तेल कम हो जाए, तो उसमें तेल डालने कि लिए या बत्ती ऊँची करने के लिए सहयोगी व्यक्ति के आने-जाने के लिए पर्याप्त स्थान रहे बत्तियाँ बड़ी प्रयोग करे, क्योंकि दूसरी बत्ती प्रयोग नहीं की जा सकती है
४॰ सभीदीपकजलाकर निम्न मन्त्र का दस सहस्र जप करें -
नमो भगवते श्रीकार्तवीर्यार्जुनाय सर्व-दुष्टान्तकाय तपोबल-पराक्रम-परिपालित-सप्त-द्वीपाय, सर्व-राजन्य-चूडामणये, सर्व-शक्ति-मते, सहस्र-बाहवे हुं फट् (मम) अभिलषितं दर्शय-दर्शय स्वाहा
५॰ जब तक दस सहस्र जप पूरे हो जाए, तब तकआसनसे उठें नहीं कोई दीपक बुझने दें मन सभी इन्द्रियाँजप-काल में एकाग्र रखें
विशेषः-
१॰ यदि भागे हुए व्यक्ति का चित्रप्रयोगस्थान पर रख सकें, तो अच्छा रहेगा
२॰ यदि साधक को लगे किमन्त्रबड़ा है तथा एकासन पर पूरा जप सम्भव नहीं है, तो सहयोगी रखे जा सकते हैं सहयोगी एक या कई हो, परन्तु सच्चरित्र शुद्ध उच्चारण करने वाले होने चाहिए सहयोगियों के वस्त्रादि का विधान साधक की तरह ही रहेगा
३॰जपपूरा होने पर, अभिलषित व्यक्ति की हालत स्थान आदि सामने रखे हुए तैल में प्रत्यक्ष चित्र के समान स्पष्ट हो जाते हैं
४॰ प्रयोग को दिग्-दर्शन मानें, केवल पढ़ कर उपयोग में लें, किसी विद्वान के मार्ग-दर्शन में ही उपयोग करें

कोई टिप्पणी नहीं:

astroashupandit

Consultations by Astrologer - Pandit Ashu Bahuguna Skills : Vedic Astrology , Horoscope Analysis , Astrology Remedies , Prashna kundli Indi...