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मंगलवार, 16 अप्रैल 2019
सप्तसती रहस्य के सन्दर्भ में कुछ बाते .......... आज भी भारतीयमानस में कुछ ग्रन्थ ऐसे हैं जो घर घर में उपस्थित हैं और वे धार्मिक तो हैं पर अपने आप में एक पूरी परंपरा को भी हमारे सामने रखते हैं की कैसे थे हमारे पूर्वज .. या हमारा समाज किन किन उच्च आदर्शो से भरा रहा हैं. और इन ग्रंथो में राम चरितमानस और महाभारत और बाल्मीकि कृत रामायण का स्थान अपने आप में बहुत उच्च हैं. और यह तो उस काल की गाथा हमारे सामने रखते हैं , पर इनके साथ एक साधनात्मक ग्रन्थ भी ऐसा हैं जो घर घर में प्रशंशित हैं यह अलग बात हैं की वह घर घर में न हो . पर उसकी उच्चता को लेकर शायद ही कोई संदेह हो उस ग्रन्थ का नाम हैं “दुर्गा सप्तसती” या जिसे चंडी पाठ के नाम से भी संबोधित किया जाता हैं. आज भी यह ग्रन्थ अपने लगभग मूल स्वरुप में ही उपलब्ध हैं , और लाखो लोग रोजाना इसका पाठ करते हैं , पर क्या यह सिर्फ पाठ करने का ग्रन्थ हैं .. इसका उत्तर हाँ भी हैं और नहीं भी . इसमें कोई दो तर्क नहीं हं की इस ग्रन्थ का निर्माण हजारो तान्त्रिको उच्च मनस्वियो और प्रकांड तंत्र ज्ञाताओ का परिणाम हैं क्योंकि जितनी उच्च रहस्यमयता . उच्च ज्ञान इसमें समाहित हैं वह भला इतना आसान तो नहीं . और इस ग्रन्थ के सभी ७०० श्लोक अपने आप में अद्भुत हैं , एक और जहाँ भगवद गीता में ७०० श्लोक हैं वहीँ इस ग्रन्थ में ७०० श्लोको का होना कुछ एक अद्भुत साम्य का प्रतीक हैं . महाकाली , कुछ तंत्र ग्रंथो के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की बहिन मानी जाती हैं . और क्या इस तरह से इसे नहीं देखा जा सकता की एक भाई के उच्च ज्ञान का प्रतीक हैं तो दूसरा बहिन की उच्च ज्ञान से सम्बंधित ग्रन्थ हैं . अब चूँकि इसके सभी श्लोक अपनेआप में मंत्रमय हैं तो कोई भी श्लोक जो आप अपनी क्षमतानुसार चुनते हैं वह आपको लाभ देगा ही??? . इस प्रशन पर भी थोडा सा विचार कर ले . ऐसा सही तो लगता हैं पर हैं नहीं ... मंत्रो का मनमाना उपयोग कभी कभी भयंकर समस्याए ला सकता हैं और अनेको ऐसे उदहारण भी हैं . तंत्र साहित्य इस बात के लिए बारम्बार सचेत करता हैं की आपने आप कोई भी मंत्र का चुनाव न करे . क्योंकि साधक जब तंत्र ग्रंथो का अध्ययन करता हैं तो पाता हैं की वहां तो मंत्रो का वर्गीकरण भी आया हैं जैसे की सिद्ध मंत्र , अरि मंत्र (शत्रु मंत्र ) असिद्ध मन्त्र , इस तरह के अनेको वर्गीकरण पर
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