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Friday, 10 September 2021

हनुमान जी का शत्रु-नाशक मन्त्र

हनुमान जी का शत्रु-नाशक मन्त्र
 “ॐ हनुमान वीर नमः। ॐ नमो वीर, हनुमत वीर, शूर वीर, धाय-धाय चलै वीर। मूठी भर चलावै तीर। मूठी मार, कलेजा काढ़ै। क्रोध करता, हियरा काढ़ै। मेरा वैरी, तेरे वश होवै। धर्म की दुहाई। राजा रामचन्द्र की दोहाई। मेरा वैरी न पछाड़ मारै तो माता अञ्जनी की दोहाई।” विधि- काले उड़द को अभिमन्त्रित करके शत्रु की ओर फेंके। इससे शत्रु का नाश होगा। प्रयोग करते समय मन्त्र का जप २१ से लेकर १०८ बार करे। पहले होली, दीपावली, एकादशी में सिद्ध कर लें। जप संख्या १००८।


हनुमान जी का शत्रु-नाशक मन्त्र

हनुमान जी का शत्रु-नाशक मन्त्र 
“ॐ हनुमान वीर नमः। ॐ नमो वीर, हनुमत वीर, शूर वीर, धाय-धाय चलै वीर। मूठी भर चलावै तीर। मूठी मार, कलेजा काढ़ै। क्रोध करता, हियरा काढ़ै। मेरा वैरी, तेरे वश होवै। धर्म की दुहाई। राजा रामचन्द्र की दोहाई। मेरा वैरी न पछाड़ मारै तो माता अञ्जनी की दोहाई।” विधि- काले उड़द को अभिमन्त्रित करके शत्रु की ओर फेंके। इससे शत्रु का नाश होगा। प्रयोग करते समय मन्त्र का जप २१ से लेकर १०८ बार करे। पहले होली, दीपावली, एकादशी में सिद्ध कर लें। जप संख्या १००८।


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