श्रीराम ज्योतिष सदन

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मंगलवार, 10 अगस्त 2021

Shriramjyotishsadan

 

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  • ॐ अघोरेभ्योऽथ घोरेभ्यो अघोरघोरेतरेभ्यः । सर्वतः शर्वः सर्वेभ्यो नमस्ते रुद्र रूपेभ्यः ॥ सभी धर्मों में पूजा स्थान श्मशानों या मरघटी से जुड़े हैं, क्योंकि केवल मृत्यु के प्रति सजगता ही वैराग्य ला सकती है, मनुष्य के ज्ञान में स्थित कर सकती है। भारतीय पुराणों के अनुसार शिव का वास कैलाश पर्वत है और साथ ही श्मशान भूमि भी। कैलास का अर्थ है ‘जहां केवल उत्सव है’ और श्मशान का अर्थ है ‘जहां केवल शून्य है’ तो दिव्यता शून्यता में भी है और उत्सव में भी। आपसे(मनुष्य) ही शून्य है, आपसे(मनुष्य) ही उत्सव है। अघोर जो संसार की किसी भी वस्तु को घोर यानी विभत्स नहीं मानते। श्मशान में ही शिव का वास होता है। अघोर मूर्दों में भगवान ढूंढते हैं। अघोर न किसी वस्तु से घृणा करते हैं और न ही प्रेम। अघोर का मानना होता है कि वे लोग जो दुनियादारी और गलत कार्यों के लिए तंत्र साधना करते है अतं में उनका अहित होता है। महिशानाम परो देवों महिमानम परास्तुति.. अघोरानाम परो मंत्रो नास्ति तत्वों गुरु परम.. काल भी जिससे घबराता है, ऐसे महाकाल और महाकाली के चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं। जिससे कई जन्मों जन्मांतर के पाप स्वतः नष्ट हो जाते है .. हर हर महादेव .जय महाकाल .............अघोरी हूँ महादेव अघोरी ............हरी ॐ .....हरी ॐ अघोर और अघोरी के बारे में, समाज में अजीबो-गरीब धारणा है. धारणा क्या, बल्कि ग़लतफ़हमी है. ये ग़लतफ़हमी कई वज़हों से है! अघोर का साफ़ मतलब है अ+घोर ! यानी, जो कठिन ना हो. सरल हो, सहज हो. पर तमाम लोगों ने इसे इतना घोर बना दिया कि, अब इसे भय का पर्याय माना जाने लगा है. किसी भी जगह का सही आकलन, उस जगह के केंद्रबिंदु पर जा कर ही मुमकिन है. पर अघोर के केंद्र बिंदु पर जाने से पहले, थोड़ी सी चर्चा अघोर के बारे में कर ली जाए तो बेहतर होगा. अघोर, एक अवस्था है, संभवतः , आध्यात्मिकता का सर्वोच्च शिखर ! जहां बिरले ही पहुँच पाते हैं. अरबों-खरबों में कोई एक ! इस पद पर पहुँचाने के बाद, रिद्धी-सिद्धी और चमत्कार का कोई मतलब नहीं रह जाता. इन सब बाधाओं को पार कर ही, एक योगी अघोर के पद पर पहुँचता है. और उस अवस्था में रिद्धी-सिद्धी, चमत्कार उसकी वाणियों में ही समा जाते हैं. इच्छा मात्र से ही हर पल-हर मनचाही चीज़ हो जाती है. अघोर की अवस्था में आते ही, योगी *शिवत्व* के रूप में हो जाता है. जहां कुछ भी नामुकिन नहीं है. ये अघोर का असली रूप है. ,,,,,,,,,,,.हरी ॐ .....हरी ॐ मंत्र: मंत्र एक सिद्धांत को कहते हैं। किसी भी आविष्कार को सफल बनाने के लिए एक सही मार्ग और सही नियमों की आवश्यकता होती है। मंत्र वही सिद्धांत है जो एक प्रयोग को सफल बनाने में तांत्रिक को मदद करता है। मंत्र द्वारा ही यह पता चलता है की कौन से तंत्र को किस यन्त्र में समिलित कर के लक्ष्य तक पंहुचा जा सकता है। मंत्र के सिद्ध होने पर ही पूरा प्रयोग सफल होता है। जैसे क्रिंग ह्रंग स्वाहा एक सिद्ध मंत्र है। मंत्र मन तथा त्र शब्दों से मिल कर बना है। मंत्र में मन का अर्थ है मनन करना अथवा ध्यानस्त होना तथा त्र का अर्थ है रक्षा। इस प्रकार मंत्र का अर्थ है ऐसा मनन करना जो मनन करने वाले की रक्षा कर सके। अर्थात मन्त्र के उच्चारण या मनन से मनुष्य की रक्षा होती है। तंत्र: श्रृष्टि में इश्वर ने हरेक समस्या का समाधान स्वयम दिया हुआ है। ऐसी कोई बीमारी या परेशानी नही जिसका समाधान इश्वर ने इस धरती पर किसी न किसी रूप में न दिया हो। तंत्र श्रृष्टि में पाए गए रासायनिक या प्राकृतिक वस्तुओं के सही समाहार की कला को कहते हैं। इस समाहार से बनने वाली उस औषधि या वस्तु से प्राणियों का कल्याण होता है। तंत्र तन तथा त्र शब्दों से मिल कर बना है। जो वस्तु इस तन की रक्षा करे उसे ही तंत्र कहते हैं। यन्त्र: मंत्र और तंत्र को यदि सही से प्रयोग किया जाए तो वह प्राणियों के कष्ट दूर करने में सफल है। पर तंत्र के रसायनों को एक उचित पात्र को आवश्यकता होती है। ताकि साधारण मनुष्य उस पात्र को आसानी से अपने पास रख सके या उसका प्रयोग कर सके। इस पात्र या साधन को ही यन्त्र कहते हैं। एक ऐसा पात्र जो तंत्र और मन्त्र को अपने में समिलित कर के आसानी से प्राणियों के कष्ट दूर करे वही यन्त्र है। हवन कुंड को सबसे श्रेष्ठ यन्त्र मन गया है। आसन, तलिस्मान, ताबीज इत्यादि भी यंत्र माने जाते है। कई प्रकार को आकृति को भी यन्त्र मन गया है। जैसे श्री यन्त्र, काली यन्त्र, महा मृतुन्जय यन्त्र इत्यादि। यन्त्र शब्द यं तथा त्र के मिलाप से बना है। यं को पुर्व में यम यानी काल कहा जाता था। इसलिए जो यम से हमारी रक्षा करे उसे ही यन्त्र कहा जाता है।
  • ॐ श्री काल भैरव बटुक भैरव शाबर स्तोत्र मंत्र
    ॐ श्री काल भैरव बटुक भैरव शाबर स्तोत्र मंत्र ॐ अस्य श्री बटुक भैरव शाबर स्तोत्र मन्त्रस्य सप्त ऋषिः ऋषयः , मातृका छंदः , श्री बटुक भैरव ...
  • “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते हनुमते मम कार्येषु ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल असाध्यं साधय साधय मां रक्ष रक्ष सर्वदुष्टेभ्यो हुं फट् स्वाहा।” विधिः-मंगलवार से प्रारम्भ करके इस मन्त्र का प्रतिदिन १०८ बार जप करता रहे और कम-से-कम सात मंगलवार तक तो अवश्य करे। इससे इसके फलस्वरुप घर का पारस्परिक विग्रह मिटता है, दुष्टों का निवारण होता है और बड़ा कठिन कार्य भी आसानी से सफल हो जाता है। ४॰ “हनुमन् सर्वधर्मज्ञ सर्वकार्यविधायक। अकस्मादागतोत्पातं नाशयाशु नमोऽस्तु ते।।” या “हनूमन्नञ्जनीसूनो वायुपुत्र महाबल। अकस्मादागतोत्पातं नाशयाशु नमोऽस्तु ते।।” विधिः- प्रतिदिन तीन हजार के हिसाब से ११ दिनों में ३३ हजार जप जो, फिर ३३०० दशांश हवन या जप करके ३३ ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाये। इससे अकस्मात् आयी हुई विपत्ति सहज ही टल जाती है..............................

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  • ॐ दुं दुर्गायै नमःगुप्त-सप्तशती।
  • ॐ नमो महा नरसिंहाय-
  • अंक ज्योतिष के अनुसार जन्म तारीख के कुल योग को मूलांक कहते है।
  • अथ दुर्गा सूक्तम्
  • अदभूत प्रयोग
  • अदृश्य बला से मुक्ति
  • अनिष्ट शक्तिसे सम्बन्धित आध्यात्मिक उपाय
  • अपराजिता
  • अशुभ ग्रहों का उपाय किस प्रकार से करे।
  • अष्टचिरंजीवी पवनपुत्र हनुमानजी
  • आकर्षण साधना
  • आपदा उद्धारक बटुक भैरव यंत्र
  • आर्थिक समस्या के छुटकारे के लिए
  • ईष्ट के चुनाव का दूसरा उपाय है।
  • उड्डीस तंत्र
  • उपाय जाने
  • एक लोटा जल किस्मत में भारी बदलाव ला सकता है।
  • कनकधारा मंत्र यंत्र
  • कब करें शादी
  • कामयाबी के लिए करें गुरु पूजा
  • कामाख्या देवी ध्यान
  • कामाख्या ध्यानं स्तोत्रं
  • कामाख्या स्तोत्र
  • कार्य-सिद्धि कारक गोरक्षनाथ मंत्र
  • काल भैरव
  • काला जादू
  • काला जादू और माँ बगलामुखी
  • काली के विभिन्न भेद
  • काली पञ्च वाण
  • काली बीज सहस्त्राक्षरी
  • काली-सहस्रनाम पाठ
  • कीर्ति
  • कुबेर साधना रहस्य -
  • कुमारीस्तवः(अति गोपनीय)
  • कुल देवता/देवी के संबंध में व्याप्त विसंगतियों का निदान---
  • क्या आपको अपने कार्यक्षेत्र में अनावश्यक दबाव
  • गणपति पूजन में तुलसी निषिद्ध क्यों
  • गणेश जी के विभिन्न रूपों की आराधना का महत्त्व
  • गुरु की आवश्यकता क्यों होती है। ?
  • गोमती चक्र का संशोधन और उसके प्रभाव शाली उपयोग
  • गोरख कील मन्त्र
  • ग्रह पीड़ा निवारक टोटके
  • ग्रहो से आजीविका का चुनाव लग्न कुन्डली
  • चतुर्थी को ही गणेश व्रत क्यों?
  • चमत्कारी यक्षिणी साधना
  • जगदम्बा यंत्र
  • जानते हैं कैसा फूल शिव को अर्पित करें -
  • जीवन साथी कहां मिलेगा ?
  • ज्योतिष के विशिष्ट उपाय
  • ज्वालामालिनी यंत्र
  • तंत्र उपाय
  • तंत्र के उपाय
  • तंत्र समस्या समाधान
  • तिलक क्यों धारण करना चाहिए ?
  • तिलक क्यों लगाना चाहिए ?
  • तिव्र चण्डिका स्तोत्र
  • तीन प्रमुख स्थान
  • त्रैलोक्यमोहन गौरी प्रयोग
  • दरिद्त्रता नाशक प्रचंड प्रयोग
  • दिपावली पूजन विधि:
  • दुर्गा सप्तशती का अनुष्ठान तथा तांत्रिक
  • दुश्मन चाहते हुए भी आपका विरोध ना कर पाए
  • दूकान की बिक्री अधिक हो-
  • दूकान की बिक्री अधिक हो।
  • देवी महाकाली
  • धन प्राप्ति का मंत्र
  • नजर उतारने के उपाय
  • नजर झाड़ने का मंत्र---
  • नजर दोष से बंधी दूकान
  • नवग्रहों के वेद मंत्र
  • नवरात्रि देवी पूजन की सही और सरल विधिदेवी कृपा पाने के सरल प्रयोग ।
  • नवरात्रि में प्रतिदिन दुर्गा के सिद्ध बीज मंत्रों का जप करने का विधान ।
  • नवार्ण और नवदुर्गा मंत्र साधना.
  • नवार्ण मंत्र महत्व:-
  • नवार्ण मंत्र साधना विधी:-
  • नाथ सम्प्रदाय
  • नौकरी जाने का खतरा हो या ट्रांसफर रूकवाने के लिए :
  • पंचमुख शिव
  • पति मोहन मंत्र --
  • पीताम्बरा पीठ दतिया
  • पीपल के वृक्ष द्वारा अपनी समस्याओं को दूर करें…
  • पूजन में फूलों का महत्व
  • प्रवास में सुविधा पाने के लिए
  • प्राणायाम की प्रक्रिया
  • बगलामुखी देवी
  • बटुक भैरव उतारा
  • बाबा भैरव साधना
  • बैरि-नाशक हनुमान ग्यारहवाँ
  • भगवती मां श्रीलक्ष्मी
  • भगवती श्री काली
  • भगवान शिव
  • भगवान शिव के 19 अवतारों
  • भारतीय ज्योतिष शास्त्र में कमजोर शुभ कैसे करे।
  • भूत प्रेत बाधा एवं निवारण।
  • भूत-प्रेत
  • भैरव देव
  • भैरव शाबर मन्त्र
  • मंत्र दीक्षा के लाभ
  • मंत्र प्रयोग
  • मंत्रों का पाठ 108 बार ही क्यों?
  • मन्त्र ऐसे दिव्यशब्दों का समूह है।
  • महाकाल स्तोत्रं
  • महागणपति मंत्र
  • महाविद्यास्तोत्रम्-सप्रयोग
  • मां का ध्यान
  • मां काली तंत्र
  • माँ दुर्गा की साधना
  • मां नील तारा
  • यजुर्वेद में वर्णित है नवग्रहों के सुंदर मंत्र
  • यश
  • यह स्तोत्र शत्रुनाश एव परविद्या छेदन करने वाला है ।
  • रोग निवारक महामंत्र
  • रोग मुक्ति के अदभूत उपाय
  • लघु श्रीगणेश पूजन
  • लोक कल्याण-कारक शाबर मन्त्र
  • वनेश्वरी संहिता
  • वशीकरण मंत्र
  • वायव्य बाधा और तांत्रिक अभिचार से मुक्ति के उपाय
  • व्याधि नाश के लिए मंत्र --
  • शंख को विजय
  • शत्रु नाशक बगला प्रयोग
  • शनिचरी अमावस्या 2022
  • शरीर रक्षा शाबर
  • शाबर तंत्र में हनुमान
  • शाबर मन्त्र को जाग्रत करने की अनुभूत विधि
  • शाबर मन्त्र साधना
  • शिव की पंचामृत पूजा है।
  • शुक्रवार को श्रीसूक्त अथवा श्री लक्ष्मी सूक्त का पाठ होता है
  • श्री कमलात्मिका (लक्ष्मी) तंत्र
  • श्री काली प्रत्यंगिरा स्तोत्र
  • श्री काली-शाबर मंत्र
  • श्री गजेन्द्र मोक्ष
  • श्री गणपति माला मंत्र
  • श्री गणेश अष्टोत्तर शत नाम
  • श्री गणेश स्त्रोत
  • श्री गणेशास्त्र महास्त्रोत्र
  • श्री घंटाकर्ण मूल मंत्र
  • श्री बटुक-बलि-मन्त्र
  • श्री महालक्ष्म्यष्टकम्
  • श्री राजराजेश्वरी अष्टकम्
  • श्री वीर भैरों मंत्र शाबर
  • श्री सिद्ध बगलामुखी
  • श्री हनुमान
  • श्रीगुरुदेव
  • श्रीचक्र साधना
  • श्रीमहागणपति-वज्रपञ्जर-कवच
  • श्रीयंत्र पूजा से मिलती है। अद्भुत शक्तियां
  • श्रीयंत्र साधना
  • श्रीलक्ष्मी-नारायण-वज्र-पञ्जर-कवच
  • श्रीविद्या
  • श्रीहनुमानजी के कई अर्थ हैं।
  • षोड्श मातृकाएं
  • समृद्धि
  • सर्व रोग नाशक हनुमान शाबर मंत्र
  • सर्व-कामना-सिद्धि स्तोत्र
  • सर्वविघ्नहरण मंत्र
  • साधना काल के नियम इस प्रकार है ।
  • साधना स्थल कैसा हो -
  • सिद्ध लक्ष्मी सहस्त्राक्षरी मंत्र साधना।
  • सिद्धि -साधना
  • सुख
  • सुख-शान्ति-दायक महा-लक्ष्मी महा-मन्त्र प्रयोग
  • सुगंध का महत्त्व
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  • हनुमान जी का शत्रु-नाशक मन्त्र
  • हनुमान पताका
  • हनुमान शाबर मंत्र
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  • होली 2022- 18 या 19 मार्च को कब है।
  • होली और तंत्रविद्या और उपाय
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Pandit Ashu Bahuguna(Astrologer) । भारतीय वैदिक ज्योतिष अंक ज्योतिष एवं तंत्र,नवग्रह रत्न,अनुष्ठान परामर्शदाता । मोबाइल-9760924411-. सरल थीम. Cimmerian के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.