Showing posts with label श्री गणपति माला मंत्र. Show all posts
Showing posts with label श्री गणपति माला मंत्र. Show all posts

Saturday 11 September 2021

श्री गणपति माला मंत्र

श्री गणपति माला मंत्र
इस माला मंत्र मे 1008 से ज्यादा अक्षर हैं इसलिए इसका उपयोग वह साधक भी कर सकते हैं जो गुरु दीक्षा नहीं लिए है ।

ॐ क्लीं ह्रीं श्रीं ऐं ग्लौं ॐ ह्रीं क्रौं गं ॐ ,
नमो भगवते महागणपतये स्मरणमात्रसंतुष्टाय सर्वविद्याप्रकाशकाय सर्वकामप्रदाय भवबंधविमोचनाय
ह्रीं सर्वभूतबंधनाय ।
क्रों साध्याकर्षणाय ।
क्लीं जगतत्रयवशीकरणाय ।
सौ: सर्वमनक्षोभणाय ।
श्रीं महासंपत्प्रदाय ।
ग्लौं भूमंडलाधिपत्यप्रदाय ।
महाज्ञानप्रदाय चिदानंदात्मने गौरीनंदनाय महायोगिने शिवप्रियाय सर्वानंदवर्धनाय सर्वविद्याप्रकाशनप्रदाय
द्रां चिरंजिविने ।
ब्लूं सम्मोहनाय ।
ॐ मोक्षप्रदाय ।
फट वशी कुरु कुरु ।
वौषडाकर्षणाय ।
हुं विद्वेषणाय विद्वेषय विद्वेषय ।
फट उच्चाटय उच्चाटय ।
ठ: ठ: स्तंभय स्तंभय ।
खें खें मारय मारय ।
शोषय शोषय ।
परमंत्रयंत्रतंत्राणि छेदय छेदय ।
दुष्टग्रहान निवारय निवारय ।
दु:खं हर हर ।
व्याधिं नाशय नाशय नम: ।
संपन्नय संपन्नय स्वाहा ॥
सर्वपल्लवस्वरुपाय महाविद्याय गं गणपतये स्वाहा ॥
यन्मंत्रे क्षितलांछिताभमनघं मृत्युश्च वज्राशिषो भूत प्रेत पिशाचका: प्रतिहता निर्घातपातादिव उत्पन्नं च समस्त दु:ख दुरितं उच्चाटनोत्पादकं वंदेsभीष्टगणाधिपं भयहरं विघ्नौघनाशं परम ॥
ॐ गं गणपतये नम: ।
ॐ नमो महागणपतये , महावीराय , दशभुजाय , मदनकाल विनाशन , मृत्युं हन हन , यम यम , मद मद , कालं संहर संहर , सर्व ग्रहान चूर्णय चूर्णय , नागान मूढय मूढय , रुद्ररूप, त्रिभुवनेश्वर , सर्वतोमुख हुं फट स्वाहा ॥

ॐ नमो गणपतये , श्वेतार्क गणपतये , श्वेतार्क मूल निवासाय , वासुदेव प्रियाय , दक्ष प्रजापति रक्षकाय , सूर्य वरदाय , कुमार गुरवे , ब्रह्मादि सुरावंदिताय , सर्प भूषणाय , शशांक शेखराय , सर्पमालालंकृत देहाय , धर्म ध्वजाय , धर्म वाहनाय , त्राहि त्राहि , देहि देहि , अवतर अवतर , गं गणपतये , वक्रतुंड गणपतये , वरवरद , सर्व पुरुष वशंकर , सर्व दुष्टमृग वशंकर , सर्वस्व वशंकर , वशी कुरु वशी कुरु , सर्व दोषान बंधय बंधय , सर्व व्याधीन निकृंतय निकृंतय , सर्व विषाणि संहर संहर , सर्व दारिद्र्यं मोचय मोचय , सर्व विघ्नान छिंदि छिंदि , सर्व वज्राणि स्फोटय स्फोटय , सर्व शत्रून उच्चाटय उच्चाटय , सर्वसिद्धिं कुरु कुरु , सर्व कार्याणि साधय साधय , गां गीं गूं गैं गौं गं गणपतये हुं फट स्वाहा ॥
ॐ नमो गणपते महावीर दशभुज मदनकालविनाशन मृत्युं हन हन , कालं संहर संहर , धम धम , मथ मथ , त्रैलोक्यं मोहय मोहय , ब्रह्म विष्णु रुद्रान मोहय मोहय , अचिंत्य बल पराक्रम , सर्व व्याधीन विनाशाय , सर्वग्रहान चूर्णय चूर्णय , नागान मोटय मोटय , त्रिभुवनेश्वर सर्वतोमुख हुं फट स्वाहा ॥

यह एक सिद्ध माला मंत्र है ।
आप इसे नित्य पूजन मे प्रयोग कर सकते है ।
किसी समस्या समाधान हेतु इसका 21, 51 या 108 पाठ कर सकते है ।

https://youtu.be/XfpY7YI9CHc

https://youtu.be/XfpY7YI9CHc