Showing posts with label मां का ध्यान. Show all posts
Showing posts with label मां का ध्यान. Show all posts

Tuesday 7 September 2021

मां का ध्यान

मां का ध्यान

ध्यानम्
खड्‌गं चक्र-गदेषु-चाप-परिघाञ्छूलं भुशुण्डीं शिर:
शंखं संदधतीं करौस्त्रिनयनां सर्वाड्गभूषावृताम्।
नीलाश्म-द्युतिमास्य-पाददशकां सेवे महाकालिकां
यामस्तौत्स्वपिते हरौ कमलजो हन्‍तुंमधुं कैटभम्॥

भगवान विष्णु के क्षीरसागर में शयन करने पर महा- बलवान् दैत्य मधु कैटभ के संहार-निमित्त पद्मयोनि-ब्रह्माजी ने जिनकी स्तुति की थी, उन महाकाली देवी का मैं स्मरण करता हूँ। वे अपने दस भुजाओँ में क्रमशः खड्ग, चक्र, गदा, बाण, धनुष, परिघ (फेंककर चलाया जाने वाला एक प्राचीन अस्त्र), शूल, भुशुण्डि, मस्तक और शंख धारण करती हैं। वह तीन नेत्रोँ से युक्त हैं और उनके संपूर्ण अंगों में दिव्य आभूषण पड़े हैं। नीलमणि के सदृश उनके शरीर की आभा है एवं वे दसमुखी तथा पादोँ वाली हैं।

ध्यानम्
ॐ अक्ष-स्रक्‌-परशुं गदेषु-कुलिशं पद्मं धनुष्कुण्डिकां
दण्डं शक्तिमसिं च चर्म जलजं घण्टां सुराभाजनम्।
शूल पाश-सुदर्शने च दधतीं हस्तै: प्रसन्नाननां
सेवे सैरिभमर्दिनीमिह महालक्ष्मीं सरोजस्थिताम्॥

मैं कमलासन पर आसीन प्रसन्नवदना महिषासुरमर्दिनी भगवती श्रीमहालक्ष्मी का ध्यान करता हूँ। जिनके हाथों में रुद्राक्ष की माला फरसा, गदा, बाण, वज्र, पद्म, धनुष, कुण्डिका, दण्ड, शक्ति, खड्ग, ढाल, शंख, घण्टा, सुरापात्र, शूल, पाश, और चक्र सुशोभित है।

ध्यानम्
ॐ घण्टा शूल-हलानि शंखमुसले चक्रं धनु: सायकं
हस्ताब्जैर्दधतीं घनान्तविलसच्छीतांशुतुल्यप्रभाम्।
गौरीदेहसमुद्‌भवां त्रिजगतामाधारभूतां महा-
पूर्वामत्र सरस्वतीमनुभजे शुम्भादिदैत्यार्दिनीम्॥

जिनके कर-कमलोँ में घण्टा, शूल, हल, शंख, मुसल, चक्र और धनुष-बाण है, जिनके शरीर की दीप्ति शारदीय चंद्र के समान सुंदर है, जो त्रैलोक्य की आधारभूता और शुम्भ-निशुम्भ आदि दैत्योँ का संहार  करनेवाली हैं, उन गौरी देवी के शरीर से उत्पन्न महासरस्वती देवी का मैं निरंतर स्मरण करता हूँ।

https://youtu.be/XfpY7YI9CHc

https://youtu.be/XfpY7YI9CHc