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Tuesday 16 April 2019
क्या आपके बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता? प्रत्येक अभिवावक की आकांक्षा होती है कि वह अपनी सन्तान को हर सम्भव साधन जुटाकर बेहतर से बेहतर शिक्षा उपलब्ध करा सके जिससे उसके व्यकितत्व में व्यापकता आये और वह स्वंय जीवनरूपी नैय्या का खेवनहार बनें। सारी सुविधायें होने के बावजूद भी जब बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है एंव जो कुछ पढ़ते है, वह शीघ्र ही भूल जाते हैं या फिर अधिक परिश्रम करने के बावजूद भी परीक्षाफल सामान्य ही रहता है। ऐसी सिथतियों में वास्तु का सहयोग लेने से आश्चर्यचकित परिणाम सामने आते है। अध्ययन कक्ष में इस प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिए कि बच्चों का पढ़ाई के प्रति रूझान बढ़े एंव मन एकाग्र होकर अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हो सके। घर में अध्ययन कक्ष ईशान कोण अथवा पूर्व या उत्तर दिशा में बनवाना चाहिए। अध्ययन कक्ष शौचालय के निकट कदापि न बनवायें। पढ़ने की टेबल पूर्व या उत्तर दिशा में रखें तथा पढ़ते समय मुख उत्तर या पूर्व की दिशा में ही होना चाहिए। इन दिशाओं की ओर मुख करने से सकारात्मक उर्जा मिलती है जिससे स्मरण शकित बढ़ती है एंव बुद्धि का विकास होता है। पढ़ने वाली टेबल को दीवार से सटा कर न रखें। पढ़ते वक्त रीढ़ को हमेशा सीधा रखें। लेटकर या झुककर नहीं पढ़ना चाहिए। पढ़ने की सामग्री आखों से लगभग एक फीट की दूरी पर रखनी चाहिए। अध्ययन कक्ष में हल्के रंगों का प्रयोग करें। जैसे- हल्का पीला, गुलाबी, आसमानी, हल्का हरा आदि। राति्र को आधिक देर तक नहीं पढ़ना चाहिए क्योंकि इससे तनाव, चिड़चिड़ापन, क्रोध, दृषिट दोष, पेट रोग आदि समस्यायें होने की प्रबल आशंका रहती है। ब्रहममुहूर्त या प्रात:काल में 4 घन्टे अध्ययन करना राति्र के 10 घन्टे के बराबर होता है। क्योंकि प्रात:काल में स्वच्छ एंव सकारात्मक ऊर्जा संचरण होती है जिससे मन व तन दोनों स्वस्थ्य रहते हैं। अध्ययन कक्ष में किताबों की अलमारी को पूर्व या उत्तर दिशा में बनायें तथा उसकी सप्ताह में एक बार साफ-सफार्इ अवश्य करनी चाहिए। अलमारी में गणेश जी की फोटो लगाकर नित्य पूजा करनी चाहिए। बीएड, प्रशासनिक सेवा, रेलवे, आदि की तैयारी करने वाले छात्रो का अध्ययन कक्ष पूर्व दिशा में होना चाहिए। क्योंकि सूर्य सरकार एंव उच्च पद का कारक तथा पूर्व दिशा का स्वामी है। बीटेक, डाक्टरी, पत्रकारिता, ला, एमसीए, बीसीए आदि की शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रो का अध्ययन कक्ष दक्षिण दिशा में होना चाहिए तथा पढ़ने वाली मेज आग्नेय कोण में रखनी चाहिए। क्योंकि मंगल अगिन कारक ग्रह है एंव दक्षिण दिशा का स्वामी है। एमबीए, एकाउन्ट, संगीत, गायन, और बैंक की आदि की तैयारी करने वाले छात्रों का अध्ययन कक्ष उत्तर दिशा में होना चाहिए क्योंकि बुध वाणी एंव गणित का संकेतक है एंव उत्तर दिशा का प्रतिनिधित्व करता है। रिसर्च तथा गंभीर विषयों का अध्ययन करने वाले छात्रों का अध्ययन कक्ष पशिचम दिशा में होना चाहिए क्योंकि शनि एक खोजी एंव गंभीर ग्रह है तथा पशिचम दिशा का स्वामी है।
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