Tuesday, 16 April 2019

कार्यालय बंधन के लक्षण • कार्यालय बराबर नहीं जाना। • साथियों से अनावश्यक तकरार। • कार्यालय में मन नहीं लगना। • कार्यालय और घर के रास्ते में शरीर में भारीपन व दर्द की शिकायत होना। • कार्यालय में बिना गलती के भी अपमानित होना। घर-परिवार में बाधा के लक्षण • परिवार में अशांति और कलह। • बनते काम का ऐन वक्त पर बिगड़ना। • आर्थिक परेशानियां। • योग्य और होनहार बच्चों के रिश्तों में अनावश्यक अड़चन। • विषय विशेष पर परिवार के सदस्यों का एकमत न होकर अन्य मुद्दों पर कुतर्क करके आपस में कलह कर विषय से भटक जाना। • परिवार का कोई न कोई सदस्य शारीरिक दर्द, अवसाद, चिड़चिड़ेपन एवं निराशा का शिकार रहता हो। • घर के मुख्य द्वार पर अनावश्यक गंदगी रहना। • इष्ट की अगरबत्तियां बीच में ही बुझ जाना। • भरपूर घी, तेल, बत्ती रहने के बाद भी इष्ट का दीपक बुझना या खंडित होना। • पूजा या खाने के समय घर में कलह की स्थिति बनना। व्यक्ति विशेष का बंधन • हर कार्य में विफलता। • हर कदम पर अपमान। • दिल और दिमाग का काम नहीं करना। • घर में रहे तो बाहर की और बाहर रहे तो घर की सोचना। • शरीर में दर्द होना और दर्द खत्म होने के बाद गला सूखना। • हमें मानना होगा कि भगवान दयालु है। हम सोते हैं पर हमारा भगवान जागता रहता है। वह हमारी रक्षा करता है। जाग्रत अवस्था में तो वह उपर्युक्त लक्षणों द्वारा हमें बाधाओं आदि का ज्ञान करवाता ही है, निद्रावस्था में भी स्वप्न के माध्यम से संकेत प्रदान कर हमारी मदद करता है। आवश्यकता इस बात की है कि हम होश व मानसिक संतुलन बनाए रखें। हम किसी भी प्रतिकूल स्थिति में अपने विवेक व अपने इष्ट की आस्था को न खोएं, क्योंकि विवेक से बड़ा कोई साथी और भगवान से बड़ा कोई मददगार नहीं है। इन बाधाओं के निवारण हेतु हम निम्नांकित उपाय कर सकते हैं। उपाय : पूजा एवं भोजन के समय कलह की स्थिति बनने पर घर के पूजा स्थल की नियमित सफाई करें और मंदिर में नियमित दीप जलाकर पूजा करें। एक मुट्ठी नमक पूजा स्थल से वार कर बाहर फेंकें, पूजा नियमित होनी चाहिए। o इष्ट पर आस्था और विश्वास रखें। o स्वयं की साधना पर ज्यादा ध्यान दें। o गलतियों के लिये इष्ट से क्षमा मांगें। o इष्ट को जल अर्पित करके घर में उसका नित्य छिड़काव करें। o जिस पानी से घर में पोछा लगता है, उसमें थोड़ा नमक डालें। o कार्य क्षेत्र पर नित्य शाम को नमक छिड़क कर प्रातः झाडू से साफ करें। o घर और कार्यक्षेत्र के मुख्य द्वार को साफ रखें। o हिंदू धर्मावलंबी हैं, तो गुग्गुल की और मुस्लिम धर्मावलम्बी हैं, तो लोबान की धूप दें। व्यक्तिगत बाधा निवारण के लिए o व्यक्तिगत बाधा के लिए एक मुट्ठी पिसा हुआ नमक लेकर शाम को अपने सिर के ऊपर से तीन बार उतार लें और उसे दरवाजे के बाहर फेंकें। ऐसा तीन दिन लगातार करें। यदि आराम न मिले तो नमक को सिर के ऊपर वार कर शौचालय में डालकर फ्लश चला दें। निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। o हमारी या हमारे परिवार के किसी भी सदस्य की ग्रह स्थिति थोड़ी सी भी अनुकूल होगी तो हमें निश्चय ही इन उपायों से भरपूर लाभ मिलेगा। o अपने पूर्वजों की नियमित पूजा करें। प्रति माह अमावस्या को प्रातःकाल ५ गायों को फल खिलाएं। o गृह बाधा की शांति के लिए पश्चिमाभिमुख होकर क्क नमः शिवाय मंत्र का २१ बार या २१ माला श्रद्धापूर्वक जप करें। o यदि बीमारी का पता नहीं चल पा रहा हो और व्यक्ति स्वस्थ भी नहीं हो पा रहा हो, तो सात प्रकार के अनाज एक-एक मुट्ठी लेकर पानी में उबाल कर छान लें। छने व उबले अनाज (बाकले) में एक तोला सिंदूर की पुड़िया और ५० ग्राम तिल का तेल डाल कर कीकर (देसी बबूल) की जड़ में डालें या किसी भी रविवार को दोपहर १२ बजे भैरव स्थल पर चढ़ा दें। o बदन दर्द हो, तो मंगलवार को हनुमान जी के चरणों में सिक्का चढ़ाकर उसमें लगी सिंदूर का तिलक करें। o पानी पीते समय यदि गिलास में पानी बच जाए, तो उसे अनादर के साथ फेंकें नहीं, गिलास में ही रहने दें। फेंकने से मानसिक अशांति होगी क्योंकि पानी चंद्रमा का कारक है।

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