Tuesday, 16 April 2019

यदि किसी को अपने आस-पास सर्पों का भय हो, तो इस प्रयोगों में से किसी एक अथवा सभी का उपयोग कर उक्त भय से मुक्त हो सकते हैं । *** निम्न मन्त्र का पाठ करें - “नर्मदायै नमो प्रातः, नर्मदायै नमो निशि । नमोऽस्तु ते नर्मदे ! तुभ्यं, त्राहि मां विष-सर्पतः ।। सर्पाय सर्प-भद्रं ते, दूरं गच्छ महा-विषम् । जनमेजय-यज्ञान्ते, आस्तिक्यं वन्दनं स्मर ।। आस्तिक्य-वचनं स्मृत्वा, यः सर्पो न निवर्तते । भिद्यते सप्तधा मूर्घ्नि, शिंश-वृक्ष-फलं यथा ।। यो जरुत्कारुण यातो, जरुत्-कन्या महा-यशाः । तस्य सर्पश्च भद्रं ते, दूरं गच्छ महा-विषम् ।। दोहाई राजा जनमेजय ! दोहाई आस्तीक मुनि की ! दोहाई जरुत्कार की ! ।” *** नीली सरसों हाथ में लेकर सरसों पर फूँक मारकर ३ बार हथेली पर ताली बजावे । ऐसे ही क्रिया करते हुए ७ बार सरसों घर में बिखेर दें ।

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