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Tuesday 16 April 2019
ॐ नमो भगवते सदा-शिवाय । त्र्यम्बक सदा-शिव ! नमस्ते-नमस्ते । ॐ ह्रीं ह्लीं लूं अः एं ऐं महा-घोरेशाय नमः । ह्रीं ॐ ह्रौं शं नमो भगवते सदा-शिवाय । सकल-तत्त्वात्मकाय, आनन्द-सन्दोहाय, सर्व-मन्त्र-स्वरूपाय, सर्व-यंत्राधिष्ठिताय, सर्व-तंत्र-प्रेरकाय, सर्व-तत्त्व-विदूराय,सर्-तत्त्वाधिष्ठिताय, ब्रह्म-रुद्रावतारिणे, नील-कण्ठाय, पार्वती-मनोहर-प्रियाय, महा-रुद्राय, सोम-सूर्याग्नि-लोचनाय, भस्मोद्-धूलित-विग्रहाय, अष्ट-गन्धादि-गन्धोप-शोभिताय, शेषाधिप-मुकुट-भूषिताय, महा-मणि-मुकुट-धारणाय, सर्पालंकाराय, माणिक्य-भूषणाय, सृष्टि-स्थिति-प्रलय-काल-रौद्रावताराय, दक्षाध्वर-ध्वंसकाय, महा-काल-भेदनाय, महा-कालाधि-कालोग्र-रुपाय, मूलाधारैक-निलयाय । तत्त्वातीताय, गंगा-धराय, महा-प्रपात-विष-भेदनाय, महा-प्रलयान्त-नृत्याधिष्ठिताय, सर्व-देवाधि-देवाय, षडाश्रयाय, सकल-वेदान्त-साराय, त्रि-वर्ग-साधनायानन्त-कोटि-ब्रह्माण्ड-नायकायानन्त-वासुकि-तक्षक-कर्कोट-शङ्ख-कुलिक-पद्म-महा-पद्मेत्यष्ट-महा-नाग-कुल-भूषणाय, प्रणव-स्वरूपाय । ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः, हां हीं हूं हैं हौं हः । चिदाकाशायाकाश-दिक्स्वरूपाय, ग्रह-नक्षत्रादि-सर्व-प्रपञ्च-मालिने, सकलाय, कलङ्क-रहिताय, सकल-लोकैक-कर्त्रे, सकल-लोकैक-भर्त्रे, सकल-लोकैक-संहर्त्रे, सकल-लोकैक-गुरवे, सकल-लोकैक-साक्षिणे, सकल-निगम-गुह्याय, सकल-वेदान्त-पारगाय, सकल-लोकैक-वर-प्रदाय, सकल-लोकैक-सर्वदाय, शर्मदाय, सकल-लोकैक-शंकराय । शशाङ्क-शेखराय, शाश्वत-निजावासाय, निराभासाय, निराभयाय, निर्मलाय, निर्लोभाय, निर्मदाय, निश्चिन्ताय, निरहङ्काराय, निरंकुशाय, निष्कलंकाय, निर्गुणाय, निष्कामाय, निरुपप्लवाय, निरवद्याय, निरन्तराय, निष्कारणाय, निरातङ्काय, निष्प्रपंचाय, निःसङ्गाय, निर्द्वन्द्वाय, निराधाराय, नीरागाय, निष्क्रोधाय, निर्मलाय, निष्पापाय, निर्भयाय, निर्विकल्पाय, निर्भेदाय, निष्क्रियाय, निस्तुलाय, निःसंशयाय, निरञ्जनाय, निरुपम-विभवाय, नित्य-शुद्ध-बुद्धि-परिपूर्ण-सच्चिदानन्दाद्वयाय, ॐ हसौं ॐ हसौः ह्रीम सौं क्षमलक्लीं क्षमलइस्फ्रिं ऐं क्लीं सौः क्षां क्षीं क्षूं क्षैं क्षौं क्षः । परम-शान्त-स्वरूपाय, सोहं-तेजोरूपाय, हंस-तेजोमयाय, सच्चिदेकं ब्रह्म महा-मन्त्र-स्वरुपाय, श्रीं ह्रीं क्लीं नमो भगवते विश्व-गुरवे, स्मरण-मात्र-सन्तुष्टाय, महा-ज्ञान-प्रदाय, सच्चिदानन्दात्मने महा-योगिने सर्व-काम-फल-प्रदाय, भव-बन्ध-प्रमोचनाय, क्रों सकल-विभूतिदाय, क्रीं सर्व-विश्वाकर्षणाय । जय जय रुद्र, महा-रौद्र, वीर-भद्रावतार, महा-भैरव, काल-भैरव, कल्पान्त-भैरव, कपाल-माला-धर, खट्वाङ्ग-खङ्ग-चर्म-पाशाङ्कुश-डमरु-शूल-चाप-बाण-गदा-शक्ति-भिन्दिपाल-तोमर-मुसल-मुद्-गर-पाश-परिघ-भुशुण्डी-शतघ्नी-ब्रह्मास्त्र-पाशुपतास्त्रादि-महास्त्र-चक्रायुधाय । भीषण-कर-सहस्र-मुख-दंष्ट्रा-कराल-वदन-विकटाट्ट-हास-विस्फारित ब्रह्माण्ड-मंडल नागेन्द्र-कुण्डल नागेन्द्र-हार नागेन्द्र-वलय नागेन्द्र-चर्म-धर मृत्युञ्जय त्र्यम्बक त्रिपुरान्तक विश्व-रूप विरूपाक्ष विश्वम्भर विश्वेश्वर वृषभ-वाहन वृष-विभूषण, विश्वतोमुख ! सर्वतो रक्ष रक्ष, ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल स्फुर स्फुर आवेशय आवेशय, मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय, प्रस्फुर प्रस्फुर । महा-मृत्युमप-मृत्यु-भयं नाशय-नाशय, चोर-भय-मुत्सादयोत्सादय, विष-सर्प-भयं शमय शमय, चोरान् मारय मारय, मम शत्रुनुच्चाट्योच्चाटय, मम क्रोधादि-सर्व-सूक्ष्म-तमात् स्थूल-तम-पर्यन्त-स्थितान् शत्रूनुच्चाटय, त्रिशूलेन विदारय विदारय, कुठारेण भिन्धि भिन्धि, खड्गेन छिन्धि छिन्धि, खट्वांगेन विपोथय विपोथय, मुसलेन निष्पेषय निष्पेषय, वाणैः सन्ताडय सन्ताडय, रक्षांसि भीषय भीषय, अशेष-भूतानि विद्रावय विद्रावय, कूष्माण्ड-वेताल-मारीच-गण-ब्रह्म-राक्षस-गणान् संत्रासय संत्रासय, सर्व-रोगादि-महा-भयान्ममाभयं कुरु कुरु, वित्रस्तं मामाश्वासयाश्वासय, नरक-महा-भयान्मामुद्धरोद्धर, सञ्जीवय सञ्जीवय, क्षुत्-तृषा-ईर्ष्यादि-विकारेभ्यो मामाप्याययाप्यायय दुःखातुरं मामानन्दयानन्दय शिवकवचेन मामाच्छादयाच्छादय । मृत्युञ्जय त्र्यंबक सदाशिव ! नमस्ते नमस्ते, शं ह्रीं ॐ ह्रों । विशेषः नित्य-पाठ ही फल-दायक
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