Tuesday, 16 April 2019

शक्ति पात्र शक्ति पात्र साधक जब ही हो पाता है जब वह स्वयम के अन्दर इतनी उर्जा एकत्रित कर लेता है की शक्ति को सुन य महसूस कर सके । वो पात्रता थोड़े ध्यान से आ जाती है । जिससे मन और दिमाग ठहर जाता है उस अवस्था में आप जब किसी शक्ति का आवाहन करते है तो फिर प्रश्न भी करते है उसके बाद यदि उरजा अधिक है तो पूर्ण रूप से शक्ति के दर्शन होते है अन्यथा किसी परछाई का आभास होता है और मन में जवाब आता है य दिमाग में । जैसे हम खुद तो नही बोल रहे मगर वो हम नही शक्ति ही होती है ।

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