शनिवार, 17 अगस्त 2019

तंत्र मे इन्द्रजाल का प्रयोग


इन्द्रजाल तंत्र
1. इन्द्रजाल को ताबीज़ में यत्न से भरकर बच्चों के गले में धारण करवा दें, बुरी नज़र से बच्चे की सदैव रक्षा होगी।
2. पढ़ाई करने वाले बच्चे बुकमार्क की तरह इसका उपयोग अपनी पुस्तकों में करें, उनकी पढ़ाई के
प्रति रूचि बढ़ने लगें।
3. गर्भवती महिला को यदि एक काले कपड़े में बन्द करके इन्द्रजाल धारण करवा दिया जाए तो यह सुरक्षित गर्भ के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगा।
4. मंगलवार के दिन माँ दूर्गा का ध्यान करके इन्द्रजाल को पीसकर पाउडर बना लें। यदि शत्रु के ऊपर किसी तरह अथवा उसके भवन में यह पाउडर छिड़क दिया जाएगा तो उसके शत्रुवत व्यवहार में आशातीत परिवर्तन होने लगेगा।
5. संतान सुख की इच्छा रखने वाले पती-पत्नी इन्द्रजाल को ताबीज़ की तरह धारण करके नित्य कम से कम तीन माला मंत्र, "ॐकृष्णाय दामोदराय धीमहि तन्नो विष्णु प्रयोदयात्" की जप किया करें।
6. भवन के वास्तु जनित कैसे भी दोष के लिए, बद्नज़र तथा दुष्टआत्माओं से रक्षा के लिए इन्द्रजाल को स्थापित कर लें।
7. शुक्रवार के दिन शुभ मुहूर्त में एक इन्द्रजाल भवन में किसी ऐसे स्थान पर स्थापित कर लें जहाँ से आते-जाते वह दिखाई दिया करे। शुक्रवार को अपनी नित्य की पूजा में मंत्र "ॐ दुं दुर्गायै नमः" जप कर लिया करें, आपदा-विपदा से घर की सदैव रक्षा होगी।
इन्द्रजाल नाम से अधिकांशतः भ्रम होता है एक वृहत्त ग्रंथ का जो अनेकों प्रकाशकों द्वारा भिन्न-भिन्न रंग-रूप में प्रकाशित होता आ रहा है। यह ग्रंथ और कुछ नहीं मंत्र, यंत्र तथा तंत्राहि, टोने-टोटके, शाबर मंत्र, स्वरशास्त्र आदि गुह्य विषयों का खिचड़ी रूपी संग्रह है। परन्तु इन्द्रजाल वस्तुतः एक वनस्पति है। यह कुछ-कुछ मोर पंख झाड़ी के पत्ते से मिलती-जुलती है। यह परस्पर उलझी हुई एक जाली सी प्रतीत होती है। भूत-प्रेत, जादू-टोने,दुषआत्माओं के दुष्प्रभाव को दूर करने आदि में इसका व्यापक प्रयोग किया जाता है। यदि इसको सिद्ध कर लिया जाए तो वाणी के प्रभाव से अनेक कार्यों में सफलता प्राप्त करने तथा भविष्य की घटनाओं की भविष्य वाणी करने की दिव्य शक्ति तक इसके प्रयोग से प्राप्त की जा सकती है। इन्द्रजाल की एक पूरी टहनी अपने कार्य अथवा निवास स्थल पर लगा लेने से वहाँ कोई भी अदृष्ट दुष्प्रभाव हानि नहीं पहुँचा पाता।
एक प्रकार से इन्द्रजाल एक सुरक्षा कवच का कार्य करता है। इसको अच्छा प्रभाव प्राप्त करने के साथ-साथ यदि सुन्दरता से अलंकरण कर लिया जाए तो सजावट के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है। इसकी स्थापना के लिए शुभ दिन मंगल और शनिवार है। यदि यह मंगल और शनि की होरा में उपयोग की जाए तो और भी शुभत्व का प्रतीक सिद्ध हो सकती है।

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