जहाँ चंदन का वृक्ष होगा वहाँ सर्प अपने आप लिपट जाते है चन्दन की खुशबु के कारण|इसी प्रकार हर सुगंध को कोई ना कोई पसंद करता है फिर वो जिव-जन्तु हो या देवता-मानव-दानव।सब की दो सोच होती है एक पसंदिता सुगंध जिससे जिव आकर्षित होता है और दूसरी वह गंध जिससे उच्चाटन होता है या विकर्षण होता है।
पूजन संस्कार,भक्ति में सुगंध का महत्त्व सबसे ज्यादा होता है अपने आराध्य को अपनी और रिझाने के लिए या आकर्षित करने के लिए।किन्तु पहले ये जानना आवश्यक होता है की आपके आराध्य देवता या गुरु की पसंद की सुगंध क्या है।जिस प्रकार चमेली के पेड़ से सर्प आकर्षित नहीं होता उसी प्रकार यदि विपरीत सुगंध का प्रयोग करने से आपके आराध्य आकर्षित नहीं होते।
हर देवता का एक विशेष सुगंध से प्रेम होता है जैसे हनुमान जी को गूगूल,भैरवजी को गुलाब , शिवजी को चन्दन एवम् देवी को धुप प्रिय होती है।
मृतक आत्माओ को भी चन्दन की एवम् लुभान की खुशबु पसंद होती है।इसी कारण पूजन -विधि के पहले संकलप की आवश्यकता होती है या फिर उस देवता के नाम के उच्चारन की आवश्यकता होती है जिनको आप आकर्षित करना चाहते है अन्यथा नाम उच्चारण के अभाव में उस सुगंध को पसंद करने वाल कोई और देवता या असुर आकर्षित हो कर साधना या पूजन-विधि को भंग कर देता है।
अतः सावधानी एवम् चेतन रहना आवश्यक होता है।
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