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Tuesday, 7 September 2021
बाबा भैरव साधना
दर्शन हेतु बाबा भैरव साधना ।महा भैरव मंत्र:- नमो काली कंकाली महाकाली के पूत कंकाली भैरव हुक्मे हाजिर रहे मेरा भेजा तुरत करे रछा करे । आन बांधू बान बांधू चलते फूल मेँ जाये काठेजी पड़े थर थर काँपे , हल हल हिलै , गिर गिर परै उठ उठ भागै , बक बक बकै । मेरा भेजा सवा घड़ी सवा पहर सवा दिन सवा मास सवा बरस को बाबला न करै तो माता काली की शय्या पै पग धरै । वाचा को चूके तो ऊमा सूखे । वाचा छोड़ कुवाचा करै. धोबी की नाद चमार के कूंडे मेँ परै । मेरा भेजा बाबला न करै तो रुद्र के नेत्र के आग की ज्वाला कढ़ै. सिर की जटा टूट भूमि मेँ गिरै . माता पार्वती के चीर पे चोट पड़ै । बिना हुकुम नहीँ मारना हो काली के पुत्र कंकाल भैरव फुरो मंत्र इशवरो वाचा सत्य नाम आदेश गुरु को ।। विधी:-रात्र मे ग्यारह बजे काले वस्त्र धारण कर काला अश एक बेजोट पै काला वस्त्र बिछाकर भागवान भैरव की स्थापना करे फिर उनकी षोडशोपचार पुजन करना है । फिर रुद्राछ माला से भैरव के 108 नामो का जाप करना है । फिर ईस साबर मंत्र की भी 1 माला मंत्र जाप करना है जप पुर्ण होने के बाद बाबा भैरव की आरती करना हैँ । कांशे या तांबे की थाली मेँ पान का पत्ता रखकर, उस पर कपूर ढेली जलाकर आरती उतारना हैँ । आरती के पश्चात भगवान भैरव को नमस्कार कर , आसन से उठ जावेँ । यह साधना 41 दिनो की हैँ 41 दिनो मेँ 41 माला मंत्र जाप करना हैँ मतलब रोज 1 माला मंत्र जाप करना हैँ । भगवान भैरव का आसन पहले दिन का लगा हुआ 41 दिन तक रहेगा । परन्तु दुसरे दिन से षोड़शोपचार पुजन करने की आवाश्यक्ता नही हैँ ।केवल पंचोपचार पुजन कर सक्ते हैँ । दिपक सुद्ध देशी घी का होगा या फिर तिल के तेल का भी दिपक जगा सक्ते हैँ । अन्तिम रात्रि मतलब 41 वे रात्रि को जप सम्पन्न होने के बाद एक माला मंत्र का हवन करना हैँ । हवन के बाद आरती करेँ । तभी भगवान भैरव प्रकट होँगे तो उन्हैँ लाल पुष्पो की माला उन्के गले मे डाल दे और वो खुश होकर वरदान माँगने को कहेंगे तो उनसे डरे ना जो वर माँगना हो माँग ले ।
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