फोड़ी बायाळी /ततार दीण मंत्र और
वैदिक मंत्र
वैदिक मंत्र किसी देवता या भगवान
निर्मित मंत्र नही हैं अपितु स्थानीय भाषाओँ में उपलब्ध साहित्य को ग्यानी ऋषियों
ने
वैदिक संस्कृत में रचे और
श्रुतियों द्वारा हजारों सालों तक सुरक्षित रखा .
गढवाल कुमाओं में कई स्थानीय
आवश्कता हेतु मंत्र रचे गये . फोड़ी बयाळी या ततार दीण वला मंत्र एक चिकित्सा मंत्र है . सीट पीत शरीर
पर आने पर भी इसी तरह का मंत्र पढ़ा जाता है जिसमे मान्त्रिक या तांत्रिक घाव पर दूब या सिंवळ /सिंयारू ( बोयमीरिया मैक्रोफिला ) के पत्तों को
पाणी में भिगोकर घाव या फोड़ी पर धीरे धीरे स्पर्श करता है . पाणी अधिक गिराया
जाता है. सिंयारू के पत्ते वास्तव में एंटी
वाइरल या एंटी बैकटी रियल पत्ते हैं . साथ साथ मान्त्रिक फोड़ी ब्याली का मंत्र भी पढ़ता है .
यदि गाव प गया हो तो गरम सुई से उसे छेदा जाता है और पीप बाहर निकाला जाता है
फोड़ी बयालि मंत्र नरसिंग वाली
मन्त्रावली का एक भाग है जिसमे ७० पंक्ति हैं जो इस प्रकार है
ॐ नमो आदेस मोट पीर का आदेस मर्दाने
पीर को आदेस ......माता मन्दोगीरी की दुद्दी खाई : इस पिण्डा की रखल करी ... ॐ नमो आदेस : आदेस
पर्थमे ड़ोंकी ड़ोंकी की सौंकी सोंकी की मदोगीरी : मन्दोगीरी की सात बैण कुई बैण , फोड़ी की बयाळी ; कु डैण : कुई टाणगेणा : कुई चुडळी , कुई बैण चमानी, ......रक्त फोड़ी , अनुन फोड़ी ...जल फोड़ी , थल फोड़ी , वरणफोड़ी , सीत , पीत खतम करे माराज .............इस पिंड की रखल करी .... सिर चढ़ी पेट
पढ़ी श्री राजा रामचन्द्र की दूवाई फोर्मन्त्र इसुरोवाच यो च फोड़ बयालि को मंत्र
वैदिक मंत्र
अथर्व वेद में इसी भाँति कई मंत्र
मिलते हैं अथर्व वेद की एक संहिता में दूब की प्रशंशा इस प्रकार है (अध्याय एक, संहिता सात )
पिशाचादी से उत्पन पाप , विप्र श्राप आदि को नाश करने वाली देव निर्मित बीरुष जड़ी मुझको हर
प्रकार के शापों से मुक्त कर .......
हे मणे ! नीचा मुख करके फैली हुयी जड़ के समान उपर उठी हुयी सैकड़ों
ग्रन्थि वाली " दुर्बा " द्वारा
तुम हमे श्राप मुक्त करो .......
इस तरह कहा जा सकता है की जल , जड़ी बूटी के साथ साथ मंत्र के योग से चिकित्सा प्ध्हती भारत में वेदों से
भी पहले रही है
मंत्र जहां मानसिक बल प्रदान करते
हैं वहीं जड़ी बूटी भौतिक चिकत्सा में सहायक होती थीं
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