Sunday 4 January 2015

निरंकार जागर



निरंकार जागर : ब्राह्मणवाद के विरुद्ध एक धार्मिक गीत
ओंकार सतगुरु प्रसाद ,
प्रथमे ओंकार , ओंकार से फोंकार
फोंकार से वायु , वायु से विषन्दरी
विषन्दरी से पाणी , पाणी से कमल,
कमल से ब्रह्मा पैदा ह्वेगे
गुसैं को सब देव ध्यान लेगे
जल का सागरु मा तब गुसैं जीन सृस्ठी रच्याले
तब देंदा गुसैं जी ब्रम्हा का पास
चार वेद , चौद शास्तर , अठार पुराण
चौबीस गायत्री
सुबेर पध्द ब्रह्मा स्याम भूलि जांद
अठासी हजार वर्स तक ब्रह्मा
नाभि कमल मा रैक वेद पढ़दो
तब चार वेद , अठार पुराण चौबीस गायत्री
वे ब्रह्मज्ञानी तैं गर्व बढ़ी गे
वेद शाश्त्रों धनी ह्वेई गयों
मेरा अग्वाड़ी कैन हूण?
मि छऊँ ब्रह्मा श्रिश्थी का धनी
तब चले ब्रह्मा गरुड़ का रास्ता
पंचनाम देवतौं की गरुड़ मा सभा लगीं होली
बुढा केदार की जगा बीरीं होली
सबकू न्यूतो दियो वैन गुसैं नी न्यूतो
वे जोगी को हमन जम्मा नी न्यूतण
स्यो त डोमाण खैक आन्द , स्यो त कनो जोगी होलो
तब पुछ्दो ब्रह्मा - को होलू भगत
नारद करदो छयो गंगा मै की सेवा
पैलो भगत होलू कबीर , कमाल तब कु भगत होलू
तब को भगत होलू रैदास चमार
बार बर्स की धूनी वैकी पूरी ह्व़े गे
तब पैटदू ब्रह्मा गंगा माई क पास
तुम जाणा छ्न्वां ब्रह्मा , गंगा मै का दर्शन
मेरी भेंट भी लिजावा , माई को दीण
एक पैसा दिन्यो वैन ब्रह्मा का पास
तब झिझडांद ब्रह्मा यो रैदास चमार
क्न्कैकू लीजौलू ये की भेंट
तब बोल्दो रैदास भगत ---
मेरी भेंट को ब्रह्मा , गंगा माई हाथ पसारली
मेरी भेंट कु ब्रह्मा , गंगा माई बाच गाडलो
चली गये ब्रह्मा तब गंगा माई का पास
नहाए धोये ब्रह्मा छाला खड़ो ह्व़े गये
घाघु मारे वेन गंगा न बाच नी गाडी
तब उदास ह्व़ेगे ब्रह्मा घर बौडिक आये
रैदास की भेंट वू भूलि गए
अध्बाट आये ब्रह्मा , आंखी फूटी गेन
गंगा माई जथें दिखे आँखी खुली जैन
तब याद आये ब्रह्मा रैदास की भेंट
बौडी तब वो गंगा माई को छाला
रैदास की भेंट छ दीनी या माई
रैदास को नाम सुणीक तब
गंगा माई न बाच दियाले
रैदास होलू म्यारो पियारो भगत
एक शोभनी कंकण गंगा माई न गाड्यो
ब्रह्मा मेरी या समूण तू रैदास देई
ब्रह्मा का मन कपट ऐगे लोभ बसी गे
यो शोभनी कंकण होलू मेरी नौनि जुगत
तब रैदास का घर का बाटा
ब्रह्मा लौटिक नी औंदो
पर जै भी बाटा जांद रैदास खड़ो ह्व़े जांद
ब्रह्मा गंगा माई की मैं समूण दी होली
त्वेकू बोल्युं रैदास --
ब्याखुनी दां मैं तेरा घर औण
सुणदो रैदास तब प्रफुल्ल ह्वेगे
सुबेरी बिटे गौंत छिड़कदो
घसदो छ भीतरी लीप्दो छ पाळी
आज मेरा डेरा गंगा माई न आण
वैकु चेला होलू जल कुंडीहीत
जादू मेरा हीत बद्री का बाड़ा केदार का कोण्या
ल़ी आओ मैकू अखंड बभूत
देवतों न सुणे रैदास की बात
जोगी हीत तब पिंजरा बंद करयाले
इन होलो सत जत को पूरो
जोगी चाखुली बणी उडी जान्दो

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https://youtu.be/XfpY7YI9CHc

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