क्षेत्रपाल बलीदान मंत्र, ऊँ यं यं यं यंक्ष रूपं दशदिशि वदनं भूमि कंपायमानं । सं सं सं संहार मूर्ति शिर मुकुट जटा शेखरं चंद्र बिम्बं । दं दं दं दीर्घकायं विकृत नखमुखं च उर्ध्व रेखा कपालं । पं पं पं पाप नाशं प्रणमत सततं पशुपतिं भैरवं क्षेत्रपालम। ऊँ आध्यो भैरवो भीषणो नीगदीतः श्री कालराजः क्रमात श्री संहारक भैरवो अप्यथ रूरूश्च उन्मन्तको भैरवः क्रोधश्च चंड कपाल भैरव मूर्तयः प्रतिदिनं दध्यु सदा मंगलम् दुन्दुभितीकृताऽवाहनम् समस्त रिपु भैरवं भैरवं शवारूढा दिगंबरमुपाश्रये । ऊँ ह्रीं बटुकाय आपद्उद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं ऊँ।
इस मंत्र का जाप करते हुए चौमुखा दिपक जला कर भैरव बाबा के लिए चौराहे पर छोड दें। दुर्भाग्य का नाश होता है।रविवार के दिन भी करना है सरसों के तेल से।किसी भी समय कर सकते हैं जब मन प्रसन्न हो। समय का बंधन नहीं है। दिपक को चौराहे पर रखने के बाद पिछे पलट कर ना देखें। दिपक जलाने के बाद 1 नीम्बू के 4 टुकडे काट कर चारों दिशाओ में दूर फेक सकते है क्या?? मन्त्र जाप घर में करने के बाद ही चोमुहं का दीपक चोराए पे छोड़ना हैं या चौराहे पे मन्त्र पढके छोड़ना हैं घर और चौराहे दोनों जगह करना है।सिंदूर का तिलक लगाएं।दिपक में और अपने मस्तक पर तिलक लगाएं।
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