Friday, 11 February 2022

ॐ श्री हनुमते नमः

सीताराम
ॐ श्री हनुमते नमः
इसका नित्य प्रातः और रात्री में सोते समय पांच पांच बार पाठ करने मात्र से ही समस्त शत्रुओं का नाशहोता है और शत्रुअपनी शत्रुता छोड़ कर मित्रता का व्यवहार करने लगते है.....................
"ॐ नमो भगवते महा - प्रतापाय
महा-विभूति - पतये , वज्र -देह
वज्र - काम वज्र - तुण्ड वज्र -नख
वज्र - मुख वज्र - बाहु वज्र - नेत्र वज्र -
दन्त वज्र - कर- कमठ भूमात्म -कराय ,
श्रीमकर - पिंगलाक्ष उग्र - प्रलय
कालाग्नि-रौद्र -वीर-
भद्रावतार पूर्ण - ब्रह्म परमात्मने ,
ऋषि - मुनि -वन्द्य -शिवास्त्र-
ब्रह्मास्त्र -वैष्णवास्त्र-
नारायणास्त्र -काल -शक्ति-
दण्ड - कालपाश- अघोरास्त्र-
निवारणाय , पाशुपातास्त्र -
मृडास्त्र- सर्वशक्ति-प रास्त-
कराय, पर -विद्या -निवारण
अग्नि -दीप्ताय , अथर्व - वेद-
ऋग्वेद- साम- वेद - यजुर्वेद-सिद्धि
-कराय , निराहाराय , वायु -वेग
मनोवेग श्रीबाल -
कृष्णः प्रतिषठानन्द -
करः स्थल -जलाग्नि - गमे मतोद् -
भेदि, सर्व - शत्रु छेदि - छेदि , मम
बैरीन् खादयोत्खादय ,
सञ्जीवन -पर्वतोच्चाटय ,
डाकिनी - शाक िनी - विध्वंस -
कराय महा - प्रतापाय निज -
लीला - प्रदर्शकाय निष्कलंकृत -
नन्द -कुमार - बटुक - ब्रह्मचारी-
निकुञ्जस्थ- भक्त - स्नेह-कराय
दुष्ट -जन - स्तम्भनाय सर्व - पाप-
ग्रह- कुमार्ग- ग्रहान् छेदय छेदय ,
भिन्दि - भिन्दि , खादय,
कण्टकान् ताडय ताडय मारय
मारय, शोषय शोषय, ज्वालय-
ज्वालय, संहारय -संहारय ,
( देवदत्तं ) नाशय नाशय , अति -
शोषय शोषय, मम सर्वत्र रक्ष
रक्ष, महा - पुरुषाय सर्व - दुःख -
विनाशनाय ग्रह - मण्डल- भूत-
मण्डल -प्रेत -मण्डल- पिशाच-मण्डल
उच्चाटन उच्चाटनाय अन्तर -
भवादिक -ज्वर - माहेश्वर -ज्वर-
वैष्णव- ज्वर- ब्रह्म -ज्वर- विषम -
ज्वर - शीत -ज्वर -वात- ज्वर- कफ-
ज्वर -एकाहिक- द्वाहिक-
त्र्याहिक -चातुर्थिक - अर्द्ध-
मासिक मासिक षाण्मासिक
सम्वत्सरादि - कर भ्रमि - भ्रमि ,
छेदय छेदय , भिन्दि भिन्दि ,
महाबल - पराक्रमाय महा -
विपत्ति - निवारणाय भक्र - जन-
कल्पना- कल्प- द्रुमाय- दुष्ट- जन-
मनोरथ - स्तम्भनाय क्लीं कृष्णाय
गोविन्दाय गोपी - जन-
वल्लभाय नमः।।
श्रीराम ज्योतिष सदन
 पंडित आशु बहुगुणा । Muzaffarnagar.(up) –PinCod-251001

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