इंद्रजाल एक बहुत ही दुर्लभ, जादुई और रहस्यमयी वनस्पति है. जो समुद्रों में शैवालों मूंगे की चट्टानों और समुद्र की तलहटी में बेहद गहराई में पायी जाती है।
इसका आकार शिराओं की भांति लहरदार लकीरों के रूप में होता है. प्रजाति के अनुरूप कुछ में शिराओं के मध्य समस्त स्थान खाली रहता है तो कुछ की शिराओं में रोयेंदार भराव भी होता है.
ये लक्ष्मी और भौतिक सुख प्रदान करने वाला माना जाता है. भारत में जहां इसे तंत्र से जोड़कर देखते हैं. वहीँ पश्चिम में ये मात्र सजावट की वस्तु है पर बेहद महंगी.
मिस्र में इसे सुख समृद्धि और उन्नति का प्रतीक माना गया है। मान्यताओं के अनुसार-सिद्ध इंद्रजाल को अपने पास रखने से नजरदोष, ऊपरी बाधा, नकारात्मक शक्तियों और जादू टोने का प्रभाव आदि का प्रभाव खत्म हो जाता है. यह प्रबल आकर्षण शक्ति संपन्न भी है।
रवि पुष्य नक्षत्र, नवरात्र, होली, दीपावली इत्यादि शुभ समय में मंत्रों से इंद्रजाल वनस्पति को मंत्रों से अभिमंत्रित कर साधक अपने कर्मक्षेत्र में और अध्यात्मिक क्षेत्र में आशातीत लाभ प्राप्त कर सकता है।
घर के मुख्य द्वार पर लगाने से घर में नकारात्मक शक्तियों का प्रवेश नहीं होता और वास्तु जनित दोषों का भी नाश होता है. रोगी व्यक्ति के दक्षिण दिशा में लगाने से मृत्यु भय नहीं होता और उत्तर में लगाने से स्वास्थ्य लाभ होता है।
दुकान या व्यापार स्थल के दक्षिण दिशा में लगाने से व्यापार में उन्नति होती है. और दुश्मनों प्रतिद्वंदियों द्वारा किये कराये के असर से बचाव होता है।
वही चिकित्सा के क्षेत्र में ये जीवन दायिनी भी है. अन्य वनस्पति यौगिकों के साथ मिलाकर ये लीवर के गम्भीर रोगों और पुरुषों के प्रोस्टेट समस्या तथा कैंसर के लिये अतिउपयोगी औषधि भी है।
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