Wednesday, 11 August 2021

व्यापार मैं वृद्धि हेतु उपाय

व्यापार मैं वृद्धि हेतु उपाय

शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से इसे प्रारंभ करें। सर्वप्रथम साधक, ब्रह्म मुहूर्त में, शैय्या त्याग, दैनिक नित्य कार्यों से निवृत्त हो, घर, या व्यापार स्थल के उत्तरी कोण को गंगा जल से धो कर पवित्र करे। उसपर शुद्ध पिसी हल्दी, जिसमें मिर्चादि का अंश न हो, ले कर एक सुंदर स्वस्तिक बनाएं। स्वास्तिक में 4 बिंदियां अवश्य हों। स्वस्तिक के मध्य भाग में चने की दाल 50 ग्राम तथा 50 ग्राम गुड़ रख कर, आवश्यक हो तो एक नयी टोकरी से ढक दें, या ऐसे ही खुला छोड़ दें। इसे बार-बार न देखें। प्रत्येक गुरुवार इस क्रिया को दोहराएं। अशुद्ध स्त्री की छाया से यथासंभव बचाए रखें।

Tuesday, 10 August 2021

Shriramjyotishsadan

 

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Saturday, 8 February 2020

रुके हुए सारे काम अब होंगे पुरे


श्री भैरव मन्त्र
“ॐ नमो भैंरुनाथ, काली का पुत्र! हाजिर होके, तुम मेरा कारज करो तुरत। कमर बिराज मस्तङ्गा लँगोट, घूँघर-माल। हाथ बिराज डमरु खप्पर त्रिशूल। मस्तक बिराज तिलक सिन्दूर। शीश बिराज जटा-जूट, गल बिराज नोद जनेऊ। ॐ नमो भैंरुनाथ, काली का पुत्र ! हाजिर होके तुम मेरा कारज करो तुरत। नित उठ करो आदेश-आदेश।”
विधिः पञ्चोपचार से पूजन। रविवार से शुरु करके २१ दिन तक मृत्तिका की मणियों की माला से नित्य अट्ठाइस (२८) जप करे। भोग में गुड़ व तेल का शीरा तथा उड़द का दही-बड़ा चढ़ाए और पूजा-जप के बाद उसे काले श्वान को खिलाए। यह प्रयोग किसी अटके हुए कार्य में सफलता प्राप्ति हेतु है।

श्रीराम ज्योतिष सदन
पंडित आशु बहुगुणा
मोबाइल व्हाट्सएप नंबर-9760924411

र्सव सिद्धि प्रदायक प्रत्यक्ष दुर्गा सिद्धि प्रयोग


र्सव सिद्धि प्रदायक प्रत्यक्ष दुर्गा सिद्धि प्रयोग
यह प्रयोग किसी भी दिन सम्पन्न किया जा सकता है, दुर्गा पूजा के लिए किसी भी प्रकार के मुहूर्त की आवश्यकता नहीँ रहती, देवी रहस्य तन्त्र के अनुसार-दुर्गा पूजा मेँ न तो कोई विशेष विधान है, न विध्न है और न कठिन आचार।
प्रातः र्सूयोदय से र्पुव उठ कर साधक स्नान कर शुद्ध पीले वस्त्र धारण कर अपने पूजा स्थान को स्वच्छ करेँ, जल से धोकर स्थान शुद्धि और भूमि शुद्धि कर अपना आसन बिछाएं, आसन पर बैठ कर ध्यान करेँ , अपने चित को एकाग्र करेँ, कार्य सिद्धि साधना के संबंध मेँ पूरे विश्वाश के आधार पर कार्य करते हुए, संकल्प लेँ ।
अपने सामने सिँह पर स्थित देवी का एक चित्र स्थापित करेँ, और "श्री गणेशाय नमः" बोले फिर एक ओर घी का दीपक तथा दूसरी ओर धूप अगरबत्ती इत्यादि जयाएं ।
अब बाएं हाथ मे जल लेकर दाएं हाथ से अपने मुख, शरीर इत्यादि पर छिडकते हुए निम्न मंत्रों के उच्चारण के साथ तत्व - न्यास सम्पन्न करते हुए, थोडा जल दोनो आखो मे लगा कर भूमि पर छोड देँ ।
ॐ आत्म तत्वाय नमः ।
ॐ ह्रीँ विद्या तत्वाय नमः ।
ॐ दुं शिव तत्वाय नमः ।
ॐ गुं गुरु तत्वाय नमः ।
ॐ ह्रीं शक्ति तत्वाय नमः ।
ॐ श्रीँ शक्ति तत्वाय नमः ।
सामने चौकी पर पीला वस्त्र बिछा कर उस पर पुष्प की पंखुडियोँ का आसन बनाएं, तथा दुर्गा यंत्र को दुग्ध धारा से फिर जल धारा से धो कर , साफ कपडे से पोछ कर--
ॐ ह्रीँ वज्रनख दंष्ट्रायुधाय महासिँहाय फट् ।
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए दुर्गा यंत्र को पुष्प के आसन पर स्थापित कर अबीर, गुलाल , कुंकुंम , केशर , मौली , सिंन्दूर अर्पित करेँ , इसके पश्चात् एक पुष्प माला देवी के चित्र पर चढाए तथा दूसरी माला इस इस देवी यंत्र के सामने रख देँ ।
अब दुर्गा की शक्तियो का पूजन कार्य सम्पन्न करेँ, सामने दुर्गा यंत्र के आगे 9 गोमती चक्र स्थापित करेँ, (गोमती चक्र के आभाव मे यंत्र पे ही) प्रत्येक चक्र के नीचे पुष्प की एक एक पंखुडी रखे, तथा चावल को कुंकुंम से रंग कर मंत्र जप करते हुए इन 9 शक्तियो का जप करेँ ।
ॐ प्रभायै नमः ।
ॐ जयायै नमः ।
ॐ विशुद्धाय नमः ।
ॐ सुप्रभायै नमः
ॐ मायायै नमः ।
ॐ सूक्ष्मायै नमः ।
ॐ नन्दिन्यै नमः ।
ॐ विजयायै नमः ।
ॐ र्सव सिद्धिदायै नमः ।
अब गणेश पूजन कर देवी का पूजन सम्पन्न करेँ, अपने हाथ मे धूप लेकर 21 बार धूप करेँ , फिर दुर्गा अष्टाक्षर मंत्र का जप प्रारम्भ करेँ ।
प्रत्यक्ष दुर्गा सिद्धि अष्टाक्षर मंत्र--
॥ ॐ ह्रीँ दुं दुर्गायै नमः ॥
शारदा तिलक मे लिखा है कि शान्त ह्रदय से चित्त मे शान्ति तथा एकाग्रता रखते हुए, साधक इस मंत्र की रोज 51 माला का जप 121 दिन उसी स्थान पर बैठ कर करेँ तो उसे साक्षात स्वरुप मेँ प्रगट हो कर माँ अष्ट सिद्धि वरदान देती है. साधक को जो वर प्राप्त होता है, उस से साधक भैरव के समान हो जाता है, उसे अभय का वह स्वरुप प्राप्त हो जाता है कि उसके मन से भय डर पूण रुप से समाप्त हो जाता है. शरीर की व्याधियो का निवारण तथा दीर्धायु प्राप्ति के लिए भी यही र्सवश्रेष्ठ विधान है ।
प्रतिदिन पूजा के पश्चात साधक देवी की आरती तथा ताम्र पात्र मे जल को आचमनी मे ले कर ग्रहण करेँ तो उसके भीतर शक्ति का प्रादुर्भाव होता है ।

श्रीराम ज्योतिष सदन. भारतीय वैदिक ज्योतिष.और मन्त्र  यन्त्र तन्त्र एवं रत्न परामँश दाता ।आपका दैवज्ञ पंडित आशु बहुगुणा ।  अपनी जन्मकुण्डली के अनुकूल विशिष्ट मन्त्र यन्त्र तन्त्र के माध्यम से कायॅ सिद्ध करने के लिये सम्पकॅ करे । --- संपर्क सूत्र---9760924411

शत्रुओं से छुटकारा पाने हेतु एक लघु प्रयोग

शत्रुओं से छुटकारा पाने हेतु एक लघु प्रयोग:- ऐसे ही लोगों से पीछा छुड़ाने का एक प्रयोग दे रहा हूँ। जो स्वयं भी कई बार कर चूका हूँ और दूसरों से भी सफलता पूर्वक करवा चूका हूँ।
एक बार से ही शत्रु शांत हो जाता है और परेशान करना छोड़ देता है पर यदि जल्दी न सुधरे तो पांच बार तक प्रयोग कर सकते हैं।

इसके लिए किसी भी मंगलवार या शनिवार को भैरवजी के मंदिर जाएँ और उनके सामने एक आटे का चौमुखा दीपक जलाएं। दीपक की बत्तियों को रोली से लाल रंग लें। फिर शत्रु या शत्रुओं को याद करते हुए एक चुटकी पीली सरसों दीपक में डाल दें। फिर निम्न श्लोक से उनका ध्यान कर 21बार निम्न मन्त्र का जप करते हुए एक चुटकी काले उड़द के दाने दिए में डाले। फिर एक चुटकी लाल सिंदूर दिए के तेल के ऊपर इस तरह डालें जैसे शत्रु के मुंह पर डाल रहे हों। फिर 5 लौंग ले प्रत्येक पर 21 21 जप करते हुए शत्रुओं का नाम याद कर एक एक कर दिए में ऐसे डालें जैसे तेल में नहीं किसी ठोस चीज़ में गाड़ रहे हों। इसमें लौंग के फूल वाला हिस्सा ऊपर रहेगा।
फिर इनसे छुटकारा दिलाने की प्रार्थना करते हुए प्रणाम कर घर लौट आएं।

ध्यान :-
ध्यायेन्नीलाद्रिकान्तम शशिश्कलधरम
मुण्डमालं महेशम्।
दिग्वस्त्रं पिंगकेशं डमरुमथ सृणिं
खडगपाशाभयानि।।
नागं घण्टाकपालं करसरसिरुहै
र्बिभ्रतं भीमद्रष्टम।
दिव्यकल्पम त्रिनेत्रं मणिमयविलसद
किंकिणी नुपुराढ्यम।।

मन्त्र:-
ॐ ह्रीं भैरवाय वं वं वं ह्रां क्ष्रौं नमः।

यदि भैरव मन्दिर न हो तो शनि मन्दिर में भी ये प्रयोग कर सकते हैं।

दोनों न हों तो पूरी क्रिया घर में दक्षिण मुखी बैठ कर भैरव जी के चित्र के समक्श पूजन कर उनके लें और दीपक मध्य रात्रि में किसी चौराहे पर रख आएं। चौराहे पर भी ये प्रयोग कर सकते हैं। परन्तु याद रहे चौराहे पर करेंगे तो कोई देखे न वरना कोई टोक सकता है जादू टोना करने वाला भी समझ सकता है। चौराहें पर करें तो चुपचाप बिना पीछे देखे घर लौट आएं हाथ मुंह धोकर ही किसी से बात करें।

यदि एक बार में शत्रु पूर्णतः शांत न हो तो 5 बार तक एक एक हफ्ते बाद कर सकते हैं।

उक्त प्रयोग शत्रु के उच्चाटन हेतु भी कर सकते हैं पर उसमे बत्ती मदार के कपास की बनेगी और दीपक शत्रु के मुख्य द्वार के सामने जलाना होगा।

जय श्री राम ------
आपका दैवज्ञश्री पंडित आशु बहुगुणा । पुत्र श्री ज्योतिर्विद पंडित टीकाराम बहुगुणा ।
मोबाईल न0॰है (9760924411) इसी नंबर पर संपर्क करें। मुजफ्फरनगर ॰उ0॰प्र0.•

सर्व मनोकामना पूरक भैरव मंत्र प्रयोग


सर्व मनोकामना पूरक भैरव देव जी का नित्य जाप करने के लिए शाबर मंत्र जन हितार्थ प्रस्तुत है।

ॐ सत् नमो आदेश गुरु को आदेश
गुरूजी चंडी चंडी तो प्रचंडी
अला-वला फिरे नवखंडी
तीर बांधू तलवार बांधू बीस कोस पर बांधू वीर
चक्र ऊपर चक्र चले भैरव वली के आगे धरे
छल चले वल चले तब जानबा काल भैरव तेरा रूप कौन भैरव
आदि भैरव युगादी भैरव त्रिकाल भैरव कामरु देश रोला मचाबे
हिन्दू का जाया मुसलमान का मुर्दा फाड़ फाड़ बगाया
जिस माता का दूध पिया सो माता कि रक्षा करना
अबधूत खप्पर मैं खाये
मशान मैं लेटे
काल भैरव तेरी पूजा कोण मेटे
रजा मेटे राज-पाठ से जाये
योगी मेटे योग ध्यान से जाये
परजा मेटे दूध पूत से जाये
लेना भैरव लोंग सुपारी
कड़वा प्याला भेंट तुम्हारी
हाथ काती मोंडे मड़ा जहा सुमिरु ताहा हाज़िर खड़ा
श्री नाथ जी गुरूजी आदेश आदेश। ।

किसी भी पुष्य नक्षत्र या गुप्त नवरात्रि से किसी भी शुभ  पर्व आदि को इस मंत्र को जाग्रत कर लें उसके बाद नित्य भैरव जी के सामने इस मंत्र कि दो माला का जाप करे। या यथाशक्ति जाप करे।
श्रीराम ज्योतिष सदन
पंडित आशु बहुगुणा
मोबाइल
व्हाट्सएप नंबर-9760924411

रोग मुक्ति के अदभूत उपाय करे।


    घर के प्रत्येक सदस्य और अतिथियों की संख्या गिनकर उसमे जोड़कर कुल संख्या के अनुसार मीठी रोटी प्रत्येक माह एक बार कुत्तों या कोओं को खिलाये !
    पका हुआ फोफा कद्दू जो अन्दर से खोखला हो , धर्म स्थल (मंदिर) में तीन या छः माह में एक बार अवश्य रखे !
    रात्रि में रोगी के पास ताम्बे के दो सिक्के रखकर प्रातः किसी भंगी को चालीस तेतालीस दिन तक देते रहे !
    भोजन जहाँ बनाएं वहां ही खाएं तो राहू के कुप्रभाव से बच पायेंगे व मंगल राहु का शुभ प्रभाव मिलेगा !
    रात्रि में थोडा जल किसी बर्तन में रखकर सोयें और अगले दिन ऐसी जगह डाल दें, तुलसा में डाल दें, इसको अपने प्रयोग में नहीं लाना चाहिए !
    एक गोमती चक्र को चांदी में पिरोकर पलंग के सिरहाने बाँधने से रोग घटना शुरू हो जाता है!
    मंगलवार-रविवार को फिटकरी का टुकड़ा बच्चे के सिरहाने रख दें, इससे बच्चे को नजर नहीं लगेगी !
    अष्टधातु का कडा बच्चे को पहना दें, रोग ठीक होता है!
श्री राम ज्योतिष सदन 
भारतीय वैदिक ज्योतिष एवं मंत्र यंत्र तंत्र परामर्शदाता 
दैवज्ञ पंडित आशु बहुगुणा मोबाइल नंबर 97 6092 4411 यही हमारा WhatsApp नंबर भी है।
मुजफ्फरनगर उत्तर

दैनिक जीवन मे काम आने वाले तंत्र उपाय

शत्रु शमन के लिए :
साबुत उड़द की काली दाल के 38 और चावल के 40 दाने
मिलाकर किसी गड्ढे में दबा दें और ऊपर से नीबू निचोड़ दें।
नीबू निचोड़ते समय शत्रु का नाम लेते रहें, उसका शमन
होगा और वह आपके विरुद्ध कोई कदमनहींउठाएगा।
अकारण परेशान करने वाले व्यक्ति से शीघ्र छुटकारा पाने के
लिए :
यदि कोई व्यक्ति बगैर किसी कारण के परेशान कर रहा हो,
तो शौच क्रिया काल में शौचालय में बैठे-बैठे वहीं के पानी से
उस व्यक्ति का नाम लिखें और बाहर निकलने से पूर्व
जहां पानी से नाम लिखा था, उस स्थान पर अप बाएं पैर से
तीन बार ठोकर मारें। ध्यान रहे, यहप्रयोग स्वार्थवश न
करें, अन्यथा हानि हो सकती है।
नजर उतारने के प्राचीन उपाय
1. नमक, राई, राल, लहसुन, प्याज के सूखे छिलके व
सूखी मिर्च अंगारे पर डालकर उस आग को रोगी के ऊपर सात
बार घुमाने से बुरी नजर का दोष मिटता है।
2. शनिवार के दिन हनुमान मंदिर में जाकर प्रेमपूर्वक
हनुमान जी की आराधना कर उनके कंधे पर से सिंदूर लाकर
नजर लगे हुए व्यक्ति के माथे पर लगाने से बुरी नजर
का प्रभाव कम होता है।
3. खाने के समय भी किसी व्यक्ति को नजर लग जाती है। ऐसे
समय इमली की तीन छोटी डालियों को लेकर आग में जलाकर
नजर लगे व्यक्ति के माथे पर से सात बार घुमाकर पानी में
बुझा देते हैं और उस पानी को रोगी को पिलाने से नजर दोष
दूर होता है।
4. कई बार हम देखते हैं, भोजन में नजर लग जाती है। तब
तैयार भोजन में से थोड़ा-थोड़ा एक पत्ते पर लेकर उस पर
गुलाब छिड़ककर रास्ते में रख दे। फिर बाद में
सभी खाना खाएँ। नजर उतर जाएगी।
5. नजर लगे व्यक्ति को पान में गुलाब की सात
पंखुड़ियाँ रखकर खिलाए। नजर लगा हुआ व्यक्ति इष्ट देव
का नाम लेकर पान खाए। बुरी नजर का प्रभाव दूर
हो जाएगा।
6. लाल मिर्च, अजवाइन और पीली सरसों को मिट्टी के एक
छोटे बर्तन में आग लेकर जलाएँ। ‍िफर उसकी धूप नजर लगे
बच्चे को दें। किसी प्रकार की नजर हो ठीक हो जाएगी।
नज़र बाधा
1. आप अपने नए मकान को बुरी नजर से बचाना चाहते हैं
तो मुख्य द्वार की चौखट पर काले धागे से
पीली कौड़ी बांधकर लटकाने से समस्त ऊपरी बाधाओं से
मुक्ति मिलती है।
2. यदि आपने कोई नया वाहन खरीदा है और आप इस बात से
परेशान हैं कि कुछ न कुछ रोज वाहन में गड़बड़ी हो जाती है।
यदि गड़बड़ी नहीं होती तो दुर्घटना में चोट-चपेट लग
जाती है औरबेकार के खर्च से सारी अर्थ-व्यवस्था चौपट
हो जाती है। अपने वाहन पर काले धागे से पीली कौड़ी बांधने
से आप इस बुरी नजर से बच सकेंगे, करके परेशानी से मुक्त
हो जाएं।
3. यदि आपके घर पर रोज कोई न कोई आपदा आ रही है।
आप इस बात को लेकर परेशान हैं कि कहीं किसी ने कुछ कर
तो नहीं दिया। ऐसे में आपको चाहिए कि एक नारियल
को काले कपड़े मेंसिलकर घर के बाहर लटका दें।
4. मिर्च, राई व नमक को पीड़ित व्यक्ति के सिर से वार कर
आग में जला दें। चंद्रमा जब राहु से पीड़ित होता है तब नजर
लगती है। मिर्च मंगल का, राई शनि का और नमक राहु
का प्रतीक है। इन तीनों को आग (मंगल का प्रतीक) में डालने
से नजर दोष दूर हो जाता है। यदि इन तीनों को जलाने पर
तीखी गंध न आए तो नजर दोष समझना चाहिए। यदि आए
तो अन्य उपाय करने चाहिए।
टोटका तीन-यदि आपके बच्चे को नजर लग गई है और हर
वक्त परेशान व बीमार रहता है तो लाल साबुत मिर्च
को बच्चे के ऊपर से तीन बार वार कर जलती आग में डालने
से नजर उतर जाएगी और मिर्च का धचका भी नहीं लगेगा।
5. यदि कोई व्यक्ति बुरी नजर से परेशान है तो कि शनिवार
के दिन कच्चा दूध उसके ऊपर से सात बार वारकर कुत्ते
को पिला देने से बुरी नजर का प्रभाव दूर हो जाता है।
6. यदि कोई व्यक्ति बुरी नजर से परेशान है तो कि मंगलवार
के दिन हनुमान मंदिर जाकर उनके कन्धे से सिन्दुर लेकर
नजर लगे व्यक्ति के माथे पर यह सोचकर तिलक कर दें
कि यह नजर दोष से मुक्त हो गया है।
दिमाग से चिन्ता हटाने का टोटका
अधिकतर पारिवारिक कारणों से दिमाग बहुत ही उत्तेजना में
आजाता है,परिवार की किसी समस्या से या लेन देन
से,अथवा किसी रिस्तेनाते को लेकर दिमाग एक दम उद्वेलित
होने लगता है,ऐसा लगने लगता है कि दिमाग फ़ट
पडेगा,इसका एक अनुभूत टोटका है कि जैसे ही टेंसन हो एक
लोटे में या जग में पानी लेकर उसके अन्दर चार लालमिर्च के
बीज डालकर अपने ऊपर सात बार उबारा (उसारा) करने के
बाद घर के बाहर सडक पर फ़ेंक दीजिये,फ़ौरन आराम मिल
जायेगा।
.
7. यदि आपके बच्चे को बार-बार नजर लग जाती है
तो आपको चाहिए कि आप उसके गले में रीठे का एक फल काले
धागे में उसके गले में पहना दें।
8. यदि आप नजर दोष से मुक्त होना चाहते हैं तो सूती कोरे
कपड़े को सात बार वारकर सीधी टांग के नीचे से निकालकर
आग में झोंक दें। यदि नजर होगी तो कपड़ा जल जाएगा व
जलने की बदबू भी नहीं आएगी। यह प्रयोग बुधवार एवं
शनिवार को ही कर सकते हैं।
9. टोटका नौ-यदि कोई बच्चा नजर दोष से बीमार रहता है
और उसका समस्त विकास रुक गया है तो फिटकरी एवं
सरसों को बच्चे पर से सात बार वारकर चूल्हे पर झोंक देने से
नजर उतर जाती है। यदि यह सुबह, दोपहर एवं सायं
तीनों समय करें तो एक ही दिन में नजर दोष दूर हो जाता है।
घर से पराशक्तियों को हटाने का टोटका
एक कांच के गिलास में पानी में नमक मिलाकर घर के नैऋत्य
के कोने में रख दीजिये,और उस बल्ब के पीछे लाल रंग का एक
बल्व लगा दीजिये,जब भी पानी सूख जाये तो उस गिलास
को फ़िर से साफ़ करने के बाद नमक मिलाकर पानी भर
दीजिये।
बच्चे के उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु के लिए :
1-एक काला रेशमी डोरा लें ! “ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय
नमः” का जाप करते हुए उस डोरे में थोडी थोडी दूरी पर सात
गांठें लगायें ! उस डोरे को बच्चे के गले या कमर में बांध दें !
2- प्रत्येक मंगलवार को बच्चे के सिर पर से कच्चा दूध 11
बार वार कर किसी कुत्ते को शाम के समय पिला दें !
बच्चा दीर्घायु होगा !
3- यदि किसी को टायफाईड हो गया हो तो उसे प्रतिदिन
एक नारियल पानी पिलायें ! कुछ ही दिनों में आराम
हो जायगा !
4- सिन्दूर लगे हनुमान जी की मूर्ति का सिन्दूर लेकर
सीता जी के चरणों में लगाएँ। फिर माता सीता से एक श्वास
में अपनी कामना निवेदित कर भक्ति पूर्वक प्रणाम कर
वापस आ जाएँ। इस प्रकार कुछ दिन करने पर सभी प्रकार
की बाधाओं का निवारण होता है।
ससुराल में सुखी रहने के लिए :
1- कन्या अपने हाथ से हल्दी की 7 साबुत गांठें, पीतल
का एक टुकड़ा और थोड़ा-सा गुड़ ससुराल की तरफ फेंके,
ससुराल में सुरक्षित और सुखी रहेगी।
2- सवा पाव मेहंदी के तीन पैकेट (लगभग सौ ग्राम
प्रति पैकेट) बनाएं और तीनों पैकेट लेकर काली मंदिर
या शस्त्र धारण किए हुए किसी देवी की मूर्ति वाले मंदिर में
जाएं। वहां दक्षिणा, पत्र, पुष्प, फल, मिठाई, सिंदूर
तथा वस्त्र के साथ मेहंदी के उक्त तीनों पैकेट चढ़ा दें। फिर
भगवती से कष्ट निवारण की प्रार्थना करें और एक फल
तथा मेहंदी के दो पैकेट वापस लेकर कुछ धन के साथ
किसी भिखारिन या अपने घर के आसपास सफाई करने
वाली को दें। फिर उससे मेहंदी का एक पैकेट वापस ले लें और
उसे घोलकर पीड़ित महिला के हाथों एवं पैरों में लगा दें।
पीड़िता की पीड़ा मेहंदी के रंग उतरने के साथ-साथ धीरे-धीरे
समाप्त हो जाएगी।
पति-पत्नी के बीच वैमनस्यता को दूर करने हेतु :
1. रात को सोते समय पत्नी पति के तकिये में सिंदूर की एक
पुड़िया और पति पत्नी के तकिये में कपूर की २ टिकियां रख
दें। प्रातः होते ही सिंदूर की पुड़िया घर से बाहर फेंक दें
तथा कपूर को निकाल कर उस कमरे जला दें।
पति को वश में करने के लिए :
2- शनिवार की रात्रि में ७ लौंग लेकर उस पर २१ बार
जिस व्यक्ति को वश में करना हो उसका नाम लेकर फूंक मारें
और अगले रविवार को इनको आग में जला दें। यह प्रयोग
लगातार ७ बार करने से अभीष्ट व्यक्ति का वशीकरण
होता है।
3- अगर आपके पति किसी अन्य स्त्री पर आसक्त हैं और
आप से लड़ाई-झगड़ा इत्यादि करते हैं। तो यह प्रयोग आपके
लिए बहुत कारगर है, प्रत्येक रविवार को अपने घर
तथा शयनकक्ष में गूगल की धूनी दें। धूनी करने से पहले उस
स्त्री का नाम लें और यह कामना करें कि आपके पति उसके
चक्कर से शीघ्र ही छूट जाएं। श्रद्धा-विश्वास के साथ करने
से निश्चिय ही आपको लाभ मिलेगा।
घर की कलह को समाप्त करने का उपाय
रोजाना सुबह जागकर अपने स्वर को देखना चाहिये,नाक के
बायें स्वर से जागने पर फ़ौरन बिस्तर छोड कर अपने काम में
लग जाना चाहिये,अगर नाक से दाहिना स्वर चल रहा है
तो दाहिनी तरफ़ बगल के नीचे तकिया लगाकर दुबारा से
सो जाना चाहिये,कुछ समय में बायां स्वर चलने
लगेगा,सही तरीके से चलने पर बिस्तर छोड देना चाहिये।
परिवार में शांति बनाए रखने के लिए :
बुधवार को मिट्टी के बने एक शेर को उसके गले में लाल
चुन्नी बांधकर और लाल टीका लगाकर माता के मंदिर में रखें
और माता को अपने परिवार की सभी समस्याएं बताकर उनसे
शांति बनाए रखने की विनती करें। यह क्रिया निष्ठापूर्वक
करें, परिवार में शांति कायम होगी।
सफलता प्रा प्ति के लिए :
1. किसी कार्य की सिद्धि के लिए जाते समय घर से निकलने
से पूर्व ही अपने हाथ में रोटी ले लें। मार्ग में जहां भी कौए
दिखलाई दें, वहां उस रोटी के टुकड़े कर के डाल दें और आगे
बढ़ जाएं। इससे सफलता प्राप्त होती है।
2॰ किसी भी आवश्यक कार्य के लिए घर से निकलते समय
घर की देहली के बाहर, पूर्व दिशा की ओर, एक
मुट्ठी घुघंची को रख कर अपना कार्य बोलते हुए, उस पर
बलपूर्वक पैर रख कर, कार्य हेतु निकल जाएं, तो अवश्य
ही कार्य में सफलता मिलती है।
3॰ अगर किसी काम से जाना हो, तो एक नींबू लें। उसपर 4
लौंग गाड़ दें तथा इस मंत्र का जाप करें : `ॐ श्री हनुमते
नम:´। 21 बार जाप करने के बाद उसको साथ ले कर जाएं।
काम में किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी।
4 चुटकी भर हींग अपने ऊपर से वार कर उत्तर दिशा में फेंक
दें। प्रात:काल तीन हरी इलायची को दाएँ हाथ में रखकर
“श्रीं श्रीं´´ बोलें, उसे खा लें, फिर बाहर जाए¡
प्रातः सोकर उठने के बाद नियमित रूप से
अपनी हथेलियों को ध्यानपूर्वक देखें और तीन बार चूमें। 
ऐसा करने से हर कार्य में सफलता मिलती है। यह
क्रिया शनिवार से शुरू करें।

श्रीराम ज्योतिष सदन
पंडित आशु बहुगुणा
मोबाइल नं
व्हाट्सएप नंबर-9760924411

शाबर धूमावती साधना से शत्रुओ का नाश


शाबर धूमावती साधना 
दस महाविद्याओं में माँ धूमावती का स्थान सातवां है और माँ के इस स्वरुप को बहुत ही उग्र माना जाता है ! माँ का यह स्वरुप अलक्ष्मी स्वरूपा कहलाता है किन्तु माँ अलक्ष्मी होते हुए भी लक्ष्मी है ! एक मान्यता के अनुसार जब दक्ष प्रजापति ने यज्ञ किया तो उस यज्ञ में शिव जी को आमंत्रित नहीं किया ! माँ सती ने इसे शिव जी का अपमान समझा और अपने शरीर को अग्नि में जला कर स्वाहा कर लिया और उस अग्नि से जो धुआं उठा )उसने माँ धूमावती का रूप ले लिया ! इसी प्रकार माँ धूमावती की उत्पत्ति की अनेकों कथाएँ प्रचलित है जिनमे से कुछ पौराणिक है और कुछ लोक मान्यताओं पर आधारित है !
नाथ सम्प्रदाय के प्रसिद्ध योगी सिद्ध चर्पटनाथ जी माँ धूमावती के उपासक थे ! उन्होंने माँ धूमावती पर अनेकों ग्रन्थ रचे और अनेकों शाबर मन्त्रों की रचना भी की !
यहाँ मैं माँ धूमावती का एक प्रचलित शाबर मंत्र दे रहा हूँ जो बहुत ही शीघ्र प्रभाव देता है !
कोर्ट कचहरी आदि के पचड़े में फस जाने पर अथवा शत्रुओं से परेशान होने पर इस मंत्र का प्रयोग करे !
माँ धूमावती की उपासना से व्यक्ति अजय हो जाता है और उसके शत्रु उसे मूक होकर देखते रह जाते है !
|| मंत्र ||
ॐ पाताल निरंजन निराकार
आकाश मंडल धुन्धुकार
आकाश दिशा से कौन आई
कौन रथ कौन असवार
थरै धरत्री थरै आकाश
विधवा रूप लम्बे हाथ
लम्बी नाक कुटिल नेत्र दुष्टा स्वभाव
डमरू बाजे भद्रकाली
क्लेश कलह कालरात्रि
डंका डंकिनी काल किट किटा हास्य करी
जीव रक्षन्ते जीव भक्षन्ते
जाया जीया आकाश तेरा होये
धुमावंतीपुरी में वास
ना होती देवी ना देव
तहाँ ना होती पूजा ना पाती
तहाँ ना होती जात न जाती
तब आये श्री शम्भु यती गुरु गोरक्षनाथ
आप भई अतीत
ॐ धूं: धूं: धूमावती फट स्वाहा !
|| विधि ||
41 दिन तक इस मंत्र की रोज रात को एक माला जाप करे ! तेल का दीपक जलाये और माँ को हलवा अर्पित करे ! इस मंत्र को भूल कर भी घर में ना जपे, जप केवल घर से बाहर करे ! मंत्र सिद्ध हो जायेगा !
|| प्रयोग विधि १ ||
जब कोई शत्रु परेशान करे तो इस मंत्र का उजाड़ स्थान में 11 दिन इसी विधि से जप करे और प्रतिदिन जप के अंत में माता से प्रार्थना करे –
“ हे माँ ! मेरे (अमुक) शत्रु के घर में निवास करो ! “
ऐसा करने से शत्रु के घर में बात बात पर कलह होना शुरू हो जाएगी और वह शत्रु उस कलह से परेशान होकर घर छोड़कर बहुत दुर चला जायेगा !
|| प्रयोग विधि २ ||
शमशान में उगे हुए किसी आक के पेड़ के साबुत हरे पत्ते पर उसी आक के दूध से शत्रु का नाम लिखे और किसी दुसरे शमशान में बबूल का पेड़ ढूंढे और उसका एक कांटा तोड़ लायें ! फिर इस मंत्र को 108 बार बोल कर शत्रु के नाम पर चुभो दे !
ऐसा 5 दिन तक करे , आपका शत्रु तेज ज्वर से पीड़ित हो जायेगा और दो महीने तक इसी प्रकार दुखी रहेगा !
नोट – इस मंत्र के और भी घातक प्रयोग है जिनसे शत्रु के परिवार का नाश तक हो जाये ! किसी भी प्रकार के दुरूपयोग के डर से मैं यहाँ नहीं लिखना चाहता ! इस मंत्र का दुरूपयोग करने वाला स्वयं ही पाप का भागी होगा !कोई भी जप-अनुष्ठान करने से पूर्व मंत्र की शुद्धि जांचा लें ,विधि की जानकारी प्राप्त कर लें तभी प्रयास करें |गुरु की अनुमति बिना और सुरक्षा कवच बिना तो कदापि कोई साधना न करें |उग्र महाशक्तियां गलतियों को क्षमा नहीं करती कितना भी आप सोचें की यह तो माँ है |उलट परिणाम तुरत प्राप्त हो सकते हैं |अतः बिना सोचे समझे कोई कार्य न करें |पोस्ट का उद्देश्य मात्र जानकारी उपलब्ध करना है ,अनुष्ठान या प्रयोग करना नहीं |अतः कोई समस्या होने पर हम जिम्मेदार नहीं होंगे |.................................
श्री राम ज्योतिष सदन 
भारतीय वैदिक ज्योतिष एवं मंत्र यंत्र तंत्र परामर्शदाता 
दैवज्ञ पंडित आशु बहुगुणा मोबाइल नंबर 97 6092 4411 यही हमारा WhatsApp नंबर भी है।
मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश

भुवनेश्वरी दरिद्रता नाशक साधना

भुवनेश्वरी दरिद्रता नाशक साधना
( ग्रहण काल का अचूक प्रयोग )
नाम से ही स्पष्ट है की ये साधना कितनी महत्वपूर्ण है,जिस पर माँ भुवनेश्वरी की कृपा हो जाये,वो कभी दरिद्र नहीं रह सकता,क्युकी माँ कभी अपनी संतान को दुखी नहीं देख सकती है।अतः ज्यादा न लिखते हुए विधान दे रहा हु।
ग्रहण काल में स्नान कर सफ़ेद वस्त्र धारण करे,और उत्तर की और मुख कर सफ़ेद आसन पर बैठ जाये।सामने ज़मीन पर सफ़ेद वस्त्र बिछाये और उस पर,अक्षत से बीज मंत्र " ह्रीं " लिखे और उस पर एक कोई भी रुद्राक्ष स्थापित करे,गुरु तथा गणेश पूजन संपन्न करे,अब रुद्राक्ष का सामान्य पूजन करे,तथा निम्न मंत्र को २१ बार पड़े और अक्षत अर्पण करते जाये,अक्षत भी २१ बार अर्पण करने होंगे।
मंत्र :
||ॐ ह्रीं भुवनेश्वरी इहागच्छ इहतिष्ठ इहस्थापय मम सकल दरिद्रय नाशय नाशय ह्रीं ॐ||
अब पुनः रुद्राक्ष का सामान्य पूजन कर मिठाई का भोग लगाये,तील के तेल का दीपक लगाये।और बिना किसी माला के निम्न मंत्र का लगातार २ घंटे तक जाप करे,जाप करते वक़्त लगातार अक्षत रुद्राक्ष पर अर्पण करते रहे।साधना के बाद भोग स्वयं खा ले,और रुद्राक्ष को स्नान कराकर लाल धागे में पिरो ले और गले में धारण कर ले।और सारे अक्षत उसी वस्त्र में बांध कर कुछ दक्षिणा के साथ देवी मंदिर में रख आये और दरिद्रता नाश की प्रार्थना कर ले।
मंत्र :
||हूं हूं ह्रीं ह्रीं दारिद्रय नाशिनी भुवनेश्वरी ह्रीं ह्रीं हूं हूं फट||
यह साधना अद्भूत है,अतः स्वयं कर अनुभव प्राप्त करे।
सभी बीजाक्षरों मे मकार का उच्चारन होगा।..........
श्री राम ज्योतिष सदन 
भारतीय वैदिक ज्योतिष एवं मंत्र यंत्र तंत्र परामर्शदाता 
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देवी पंचांगुली सिद्ध साधना करके भविष्यवक्ता बने


देवी पंचांगुली साधना
देवी पंचांगुली साधना....यह साधना किसी भी समय से प्रारम्भ की जा सकती है, परन्तु साधकको चाहिए कि वह पूर्ण विधि विधान के साथ इस साधना को सम्पन्नकरेँ, मन्त्र जप तीर्थ भूमि, गंगा-यमुना संगम, नदी-तीर, पर्वत,गुफा, या किसी मन्दिर मे की जा सकती है, साधक चाहे तो साधना केलिए घर के एकांत कमरे का उपयोग भी कर सकते हैँ ।इस साधना मेँ यन्त्र आवश्यक है, शुभ दिन शुद्ध , समय मेसाधना स्थान को स्वच्छ पानी से धो ले, कच्चा आंगन हो तो लीप लेँ ,तत्पश्चात लकडी के एक समचौरस पट्टे पर श्वेत वस्त्र धो करबिछा देँ, और उस पर चावलोँ से यन्त्र का निर्माण करेँचावलोँ को अलग-अलग 5 रंगो मे रंग देँ , यन्त्र को सुघडता से सही रुपमेँ बनावे यन्त्र की बनावट मे जरा सी भी गलती सारे परिश्रम को व्यर्थकर देती है ।तत्पश्चात यन्त्र के मध्य ताम्र कलश स्थापित करेँ और उस पर लालवस्त्र आच्छादित कर ऊपर नारियल रखेँ और फिर उस परपंचागुली देवी की मूर्ति स्थापित करे इसके बाद पूर्ण षोडसोपचार से 9दिन तक पूजन करेँ और नित्य पंचागुली मन्त्र का जप तरेँ ।सर्व प्रथम मुख शोधन कर पंचागुली मन्त्र चैतन्य करेँ ,पंचांगुली की साधना मेँ मन्त्र चैतन्य ' ई ' है अतः मन्त्र के प्रारम्भऔर अन्त मे ' ई ' सम्पुट देने से मंत्र चैतन्य हो जाता है ।मन्त्र चैतन्य के बाद योनि-मुद्रा का अनुष्ठान किया जाय यदि योनि-मुद्रा अनुष्ठान का ज्ञान न हो तो भूत लिपि - विधान करना चाहिए ।इसके बाद यन्त्र पूजा कर पंचांगुली ध्यान करेँ ।पंचांगुली ध्यान-पंचांगुली महादेवीँ श्री सोमन्धर शासने ।अधिष्ठात्री करस्यासौ शक्तिः श्री त्रिदशोशितुः ।।पंचांगुली देवी के सामने यह ध्यान करके पंचांगुली मन्त्र का जपकरना चाहिए -

देवी पंचांगुली मन्त्र -

ॐ नमो पंचागुली पंचांगुली परशरी माता मयंगल वशीकरणी लोहमयदडमणिनी चौसठ काम विहंडनी रणमध्ये राउलमध्ये शत्रुमध्येदीपानमध्ये भूतमध्ये प्रेतमध्ये पिशाचमध्ये झोटिगमध्ये डाकिनिमध्येशाखिनीमध्ये यक्षिणीमध्ये दोषणिमध्ये गुणिमध्ये गारुडीमध्येविनारिमध्ये दोषमध्ये दोषशरणमध्ये दुष्टमध्ये घोर कष्ट मुझ ऊपरबुरो जो कोई करे करावे जडे जडावे चिन्ते चिन्तावे तस माथेश्री माता पंचांगुली देवी ताणो वज्र निर्घार पडे ॐ ठं ठं ठं स्वाहा

।वस्तुतः यह साधना लम्बी और श्रम साध्य है, प्रारम्भ मेगणपति पूजन, संकल्प, न्यास , यन्त्र-पूजा , प्रथम वरण पूजा ,द्वतिया, तृतिया , चतुर्थ, पंचम, षष्ठम् सप्तम, अष्टम औरनवमावरण के बाद भूतीपसंहार करके यन्त्र से प्राण-प्रतिष्ठाकरनी चाहिए ।इसके बाद पंचागुली देवी को संजीवनी बनाने के लिए ध्यान ,अन्तर्मातृका न्यास , कर न्यास, बहिर्मातृका न्यास करनी चाहिए ,यद्यपि इन सारी विधि को लिखा जाय तो लगभग 40-50 पृष्ठो मेआयेगी , यहां मेरा उद्देश्य आप सब को मात्र इस साधना से

परिचितकराना है ।

देश के श्रेष्ठ साधको का मत है कि यदि साधक ये सारे क्रियाकलाप नकरके केवल घर मे मन्त्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त पंचांगुली यन्त्रतथा चित्र स्थापित कर उसके सामने नित्य पंचांगुली मंत्र 21 बार जपकरें तो कुछ समय बाद स्वतः पंचांगुली साधना सिद्ध हो जाती है ।सामान्य साधक को लम्बे चौडे जटिल विधि विधान मे न पड कर अपनेघर मे पंचांगुली देवी का चित्र स्थापना चाहिए और प्रातः स्नान कर गुरुमंत्र जप कर पंचांगुली मन्त्र का 21 बार उच्चारण करना चाहिए ।कुछ समय बाद मन्त्र सिद्ध हो जाता है और यह साधना सिद्ध करसाधक सफल भविष्यदृष्टा बन जाता है , साधक मेजितनि उज्जवला और पवित्रता होती है उसी के अनुसार उसे फलमिलता है ।वर्तमान समय मे यह श्रैष्ठतम और प्रभावपूर्ण मानी जाती हैतथा प्रत्येक मन्त्र मर्मज्ञ और तांत्रिक साधक इस बात को स्वीकारकरते है कि वर्तमान समय मे यह साधना अचूक फलदायक है ।

इस साधना में कार्तिक माह के हस्त नक्षत्र का ज्यादा महत्व है क्योंकि ये हस्तरेखा और भविष्य दर्शन से जुडी है। ज्यादा उचित ये रहेगा की गुरु के सानिंध्य में साधना करें ये।
श्री राम ज्योतिष सदन 
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चमत्कारी स्तोत्र से श्री नवग्रह शांति होती है।


आप सभी के लिये चमत्कारी  स्तोत्र दे रहा हु ।
सु-प्रभात स्तोत्र
ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च ।
गुरुश्च शुक्रः सह भानुजेन कुर्वन्तु सर्वे मम सु-प्रभातम् ।।
भृगुर्वसिष्ठः क्रतुरङ्गिराश्च मनुः पुलस्त्यः पुलहः सगौतमः ।
रैभ्यो मरीचिश्च्यवनो ऋभुश्च कुर्वन्तु सर्वे मम सु-प्रभातम् ।।
सनत्कुमारः सनकः सनन्दन सनातनोऽप्यासुररिपिङ्गलौ च ।
सप्त स्वराः सप्त रसातलाश्च कुर्वन्तु सर्वे मम सु-प्रभातम् ।।
पृथ्वी सगन्धा सरसास्तथापः स्पर्शश्च वायुर्ज्वलनः सतेजाः ।
नभः सशब्दं महता सहैव यच्छन्तु सर्वे मम सु-प्रभातम् ।।
सप्तार्णवाः सप्त कुलाचलाश्च सप्तर्षयो द्वीपवराश्च सप्त ।
भूरादि कृत्वा भुवनानि सप्त ददन्तु सर्वे मम सु-प्रभातम् ।।
इत्थं प्रभाते परमं पवित्रं पठेत् स्मरेद्वा शृणुयाच्च भक्त्या ।
दुःस्वप्ननाशोऽनघ सु-प्रभातं भवेच्च सत्यं भगवत्प्रसादात् ।।
ब्रह्मा, विष्णु, शंकर, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनैश्चर – ये सब देवता मेरे प्रभात को मंगलमय बनायें । भृगु, वसिष्ठ, क्रतु, अंगिरा, मनु, पुलस्त्य, पुलह, गौतम, रैभ्य, मरीचि, च्यवन तथा ऋभु – ये सब (ऋषि) मेरे प्रातः-काल को मंगलमय बनायें । सनत्कुमार, सनक, सनन्दन, सनातन, आसुरि, पिंगल, सातों स्वर एवं सातों रसातल – ये सब मेरे प्रभात को मंघलमय बनायें । गन्ध-गुण-मयी पृथ्वी, रस-गुण-युक्त जल, स्पर्श-गुण-वाली वायु, तेजो-गुण-युक्त अग्नि, शब्द-गुण-मय आकाश एवं महतत्त्व (बुद्धि) – ये सब मेरे प्रातः-काल को मंगलमय बनायें । सातों समुद्र, सातों कुल-पर्वत, सप्तर्षि, सातों श्रेष्ठ द्वीप और भू-आदि सातों लोक – ये सब प्रभात-काल में मुझे मंगल प्रदान करें । (हे अनघ !) इस प्रकार प्रातः-काल में परम पवित्र सु-प्रभात-स्तोत्र को यदि कोई भक्ति-पूर्वक पाठ करे या स्मरण करे अथवा सुने तो भगवान् की कृपा से निश्चय ही उसके दुःस्वप्न का नाश होता है तथा प्रभात मंगलमय होता है ।
पंडित आशु बहुगुणा
मोबाइल-9760924411

घर की सुख शान्ति के लिए चमत्कारी कर्पूर का प्रयोग


घर की सुख शान्ति के लिए चमत्कारी कर्पूर प्रयोग
आप रात्री मे भोजन के बाद थोङा कर्पूर पर थोङा शुध्द घी २ लौंग , थोङी सी धूनी की राल और गुगुल ङालकर अग्नि प्रज्वलित करें | ऐसा आप नित्य शयन कक्ष मे करें। ऐसा नित्य रात्री मे करने से निंद न आने की समस्या , ङरावने सपने आना , घर मे वाद विवाद होना , पितृ दोष से उत्पन्न कष्ट , घर की नकारात्मक ऊर्जा का दूर करने मे यह कर्पूर प्रयोग नित्य करने से लाभ होता है किसी प्रकार की आकस्मिक आने वाली आपदा से भी हमारी रक्षा करता है और भी बहुत से अनेक लाभ है।पति-पत्नी में लगाव बढ़ता है |कलह समाप्त होता है |किसी प्रकार के आभिचारिक कृत्य के प्रभाव में कमी आती है |
ओं रां रामाय नम:
आप अपनी जन्म कुंडली के दोष निवारण हेतू सटीक उपाय और
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सुन्दरकाण्ड के विषय में कुछ रोचक जानकारी


सुन्दरकाण्ड के विषय में कुछ रोचक जानकारी,
सुन्दरकाण्ड का नित्यप्रति पाठ करना हर प्रकार से लाभ दायक होता है, इसकेअनंत लाभ है, इस पाठ को हनुमान जी के सामने चमेली के तेल का दीपक लगा करकरने से अधिक फल प्राप्त होता है, सुन्दरकाण्ड एक ऐसा पाठ है जो की हरप्रकार की बाधा और परेशानियों को खतम कर देने में पूर्णतः समर्थ है. आजकलके व्यस्तता भरे दिनचर्या में बहुत अधिक समय तक पूजा कर पाना हमेशा संभवनहीं होता, ऐसे में इस पाठ को आप पूरा पढ़ सके तो बहुत अच्छा है पर नहीं पढ़सकते या समय का आभाव है तो ऐसा करे के इसमें कुल ६० दोहे है, हर दिन १०दोहों का आप पाठ कर ले, ये आप मंगलवार से शुरू कर सकते है जो की रविवार तकखतम हो जायेगा, ऐसे आप बार बार कर सकते है पर इस चीज़ का विशेष ख्याल रखनाबहुत जरुरी है के आप जब तक पाठ करे न तो मांस मदिरा का सेवन करे न ही अपनेघर में मांस मदिरा लाये जब तक पाठ हो आपको ब्रह्मचर्य और सदाचार अपनानाहोगा अन्यथा दोष के भागी बनेंगे..

आइये जाने ज्योतिष के अनुसार सुन्दरकाण्ड का पाठ किसके लिए विशेष फलदाई मन जाता है-
ज्योतिष के अनुसार भी सुन्दरकाण्ड एक अचूक उपाय है ज्योतिषो के द्वाराउपाय के तौर पर अक्सर बताया जाता है, उन लोगो के लिए ये विशेष फलदाई होताहै जिनकी जन्म कुंडली में – मंगल नीच का है, पाप ग्रहों से पीड़ित है, पापग्रहों से युक्त है या उनकी दृष्टि से दूषित हो रहा है, मंगल में अगर बलबहुत कम हो, अगर जातक के शरीर में रक्त विकार हो, अगर आत्मविश्वास की बहुतकमी हो, अगर मंगल बहुत ही क्रूर हो तो भी ये पाठ आपको निश्चित रहत देगा.अगर लगन में राहू स्थित हो, लगन पर राहू या केतु की दृष्टि हो, लगन शनि यामंगल के दुष्प्रभावो से पीड़ित हो, मंगल अगर वक्री हो या गोचर में मंगल केभ्रमण से अगर कोई कष्ट आ रहे हो, शनि की सादे साती या ढैय्या से आप परेशानहो, इत्यादि….. इन सभी योगो में सुन्दरकाण्ड का पाठ अचूक फल दायक मानाजाता है…
सुन्दरकाण्ड के पाठ से बहुत सारे लाभ होते है उनमे से कुछ हम यहाँ बता रहे है -

१) इसका पाठ करने से विद्यार्थियों को विशेष लाभ मिलता है, ये आत्मविश्वासमें बढोतरी करता है और परीक्षा में अच्छे अंक लाने में मददगार होता है, बुद्धि कुशाग्र होती है, अगर बहुत छोटे बच्चे है तो उनके माता या पिता उनकेलिए इसका पाठ करे.
२) इसका पाठ मन को शांति और सुकून देता है मानसिक परेशानियों और व्याधियो से ये छुटकारा दिलवाने में कारगर है,
३) जिन लोगो को गृह कलेश की समस्या है इस पाठ से उनको विशेष फल मिलते है,
४) अगर घर का मुखिया इसका पाठ घर में रोज करता है तो घर का वातावरण अच्छा रहता है,
५) घर में या अपने आप में कोई भी नकारात्मक शक्ति को दूर करने का ये अचूक उपाय है,
६) अगर आप सुनसान जगह पर रहते है और किसी अनहोनी का डर लगा रहता हो तो उसस्थान या घर पर इसका रोज पाठ करने से हर प्रकार की बाधा से मुक्ति मिलती हैऔर आत्मबल बढ़ता है.
७) जिनको बुरे सपने आते हो रात को अनावश्यक डर लगता हो इसके पाठ निश्चित से आराम मिलेगा.
८) जो लोग क़र्ज़ से परेशान है उनको ये पाठ शांति भी देता है और क़र्ज़ मुक्ति में सहायक भी होता है,
९) जिस घर में बच्चे माँ पिता जी के संस्कार को भूल चुके हो, गलत संगत मेंलग गए हो और माँ पिता जी का अनादर करते हो वहा भी ये पाठ निश्चित लाभकारीहोता है.
१०) किसी भी प्रकार का मानसिक या शारीरिक रोग भले क्यों न हो इसका पाठ लाभकारी होता है.
११) भूत प्रेत की व्याधि भी इस पाठ को करने से स्वतः ही दूर हो जाती है.
१२) नौकरी में प्रमोशन में भी ये पाठ विशेष फलदाई होता है.
१३) घर का कोई भी सदस्य घर से बाहर हो आपको उसकी कोई जानकारी मिल पा रहीहो या न भी मिल पा रही हो तो भी आप अगर इसका पाठ करते है तो सम्बंधितव्यक्ति की निश्चित ही रक्षा होगी, और आपको चिंता से भी राहत मिलेगी.

और इसके अलावा ऐसे बहुत से लाभ है जो सुन्दरकाण्ड से मिलते है आप सभी इसपाठ का लाभ उठाये और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस करे, जीवन सार्थकबनाये इस पाठ के मदद से हर दिन को नए उत्साह से जिए और परेशानियों सेनिजात पाए..
ओं रां रामाय नम:
आप अपनी जन्म कुंडली के दोष निवारण हेतू सटीक उपाय और
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भैरव जी की कृपा प्राप्ति हेतु एक दुर्लभ प्रयोग


भैरव जी की कृपा प्राप्ति हेतु एक दुर्लभ प्रयोग --

कुछ थोड़ी लॉन्ग-इलायची-सौंफ पीसकर एक सेर आटे में मिला ले ! पाव भर देशी खांड और ओउ उतना ही पानी मिला ले की जिससे आटा सुलभता से गुंथा जा सके ! इस गुंथे आटे से केवल एक ही रोटी बनानी है !

 जब रोटी बन जाये तो उसमे कुछ सरसों का तेल चुपड़ दे ! इस रोटी के ठीक बीच में सिंदूर का एक टीका लगाये ! टीके से कुछ दूरी पर रोटी का एक गोलाकार टुकड़ा काटे -[यानि गोल टुकड़े के बीच में टीका आना चाहिए] ! अब इस गोलाकार टुकड़े को भी बीच में से काटकर-[निम्बू की तरह] दो भाग बना ले , किन्तु ऐसा काटे की एक भाग में टीका पूरा आना चाहिए ! अब इन टुकडो को फिर से जोड़ -मिलाकर रोटी के बीच में रख दे ! अब भैरव मंदिर जाकर भगवान को धूप-दीप दे ! रोटी के सभी भागो को भगवान के भोग हेतु अर्पित कीजिये और अपने किसी भी कार्य की सिद्धि हेतु प्रार्थना कीजिये ! अब टीका लगा हुवा टुकड़ा श्वान-[कुत्ता] को खिला दे , बचा हुवा आधा गोल टुकड़ा किसी कुए में फेंक दे ! शेष बची हुयी रोटी को भी टुकड़े करके श्वान को ही दे ,,, किन्तु एक टुकड़ा बचाकर अपने घर ले आये ! और घर में ही किसी सुरक्षित स्थान में रख दे ! इस क्रिया के फल स्वरूप प्रयोगकर्ता का असाध्य कार्य में सफलता सिद्ध होगी ! और उस पर भैरव जी की विशिष्ट कृपा बनी रहेगी ! प्रयोगकर्ता को चाहिए की अपने और अपने परिवार की प्रसन्नता -सुख समृद्धि हेतु ही ये प्रयोग करे ।

-किसी के अनिष्ट की कामना को ध्यान में कदापि भी न रखे ।।।
पंडित आशु बहुगुणा ज्योतिषी
मोबाइल--9760924411

दुर्गा सप्तशती पाठ विधि

  दुर्गा सप्तशती दुर्गा सप्तशती पाठ विधि पूजनकर्ता स्नान करके, आसन शुद्धि की क्रिया सम्पन्न करके, शुद्ध आसन पर बैठ जाएँ। माथे पर अपनी पसंद क...