Sunday, 10 March 2013

हिंदू धर्म में विभिन्न धार्मिक कर्म-कांडों में फूलों का विशेष महत्व है।

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हिंदू धर्म में विभिन्न धार्मिक कर्म-कांडों में फूलों का विशेष महत्व है। धार्मिक अनुष्ठान, पूजन, आरती आदि कार्य बिना पुष्प के अधूरे ही माने जाते हैं। कुछ फूल होते हैं जो देवताओं को विशेष प्रिय होते हैं। कौन से भगवान की पूजा किस फूल से करें, इसके बारे में यहां संक्षिप्त जानकारी दी जा रही है। इन फूलों को चढ़ाने से आपकी हर मनोकामना शीघ्र ही पूरी हो जाती है-
श्रीगणेश- आचार भूषण ग्रंथानुसार भगवान श्रीगणेश को तुलसीदल को छोड़कर सभी प्रकार के फूल चढ़ाए जा सकते हैं।
शंकरजी- भगवान शंकर को धतूरे के पुष्प, हरसिंगार, व नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश आदि के पुष्प चढ़ाने का विधान है।
सूर्य नारायण- इनकी उपासना कुटज के पुष्पों से की जाती है। इसके अलावा कनेर, कमल, चंपा, पलाश, आक, अशोक आदि के पुष्प भी प्रिय हैं।
भगवती गौरी- शंकर भगवान को चढऩे वाले पुष्प मां भगवती को भी प्रिय हैं। इसके अलावा बेला, सफेद कमल, पलाश, चंपा के फूल भी चढ़ाए जा सकते हैं।
श्रीकृष्ण- अपने प्रिय पुष्पों का उल्लेख महाभारत में युधिष्ठिर से करते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं- मुझे कुमुद, करवरी, चणक, मालती, नंदिक, पलाश व वनमाला के फूल प्रिय हैं।
लक्ष्मीजी- इनका सबसे अधिक प्रिय पुष्प कमल है।
विष्णुजी- इन्हें कमल, मौलसिरी, जूही, कदम्ब, केवड़ा, चमेली, अशोक, मालती, वासंती, चंपा, वैजयंती के पुष्प विशेष प्रिय हैं।
किसी भी देवता के पूजन में केतकी के पुष्प नहीं चढ़ाए जाते।

हनुमान् वडवानल स्तोत्र

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हनुमान् वडवानल स्तोत्र
 यह स्तोत्र सभी रोगों के निवारण में, शत्रुनाश, दूसरों के द्वारा किये गये पीड़ा कारक कृत्या अभिचार के निवारण, राज-बंधन विमोचन आदि कई प्रयोगों में काम आता है ।
विधिः- सरसों के तेल का दीपक जलाकर १०८ पाठ नित्य ४१ दिन तक करने पर सभी बाधाओं का शमन होकर अभीष्ट कार्य की सिद्धि होती है ।
विनियोगः- ॐ अस्य श्री हनुमान् वडवानल-स्तोत्र-मन्त्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिः, श्रीहनुमान् वडवानल देवता, ह्रां बीजम्, ह्रीं शक्तिं, सौं कीलकं, मम समस्त विघ्न-दोष-निवारणार्थे, सर्व-शत्रुक्षयार्थे सकल-राज-कुल-संमोहनार्थे, मम समस्त-रोग-प्रशमनार्थम् आयुरारोग्यैश्वर्याऽभिवृद्धयर्थं समस्त-पाप-क्षयार्थं श्रीसीतारामचन्द्र-प्रीत्यर्थं च हनुमद् वडवानल-स्तोत्र जपमहं करिष्ये ।
ध्यानः-
मनोजवं मारुत-तुल्य-वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं ।
वातात्मजं वानर-यूथ-मुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये ।।

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते प्रकट-पराक्रम सकल-दिङ्मण्डल-यशोवितान-धवलीकृत-जगत-त्रितय वज्र-देह रुद्रावतार लंकापुरीदहय उमा-अर्गल-मंत्र उदधि-बंधन दशशिरः कृतान्तक सीताश्वसन वायु-पुत्र अञ्जनी-गर्भ-सम्भूत श्रीराम-लक्ष्मणानन्दकर कपि-सैन्य-प्राकार सुग्रीव-साह्यकरण पर्वतोत्पाटन कुमार-ब्रह्मचारिन् गंभीरनाद सर्व-पाप-ग्रह-वारण-सर्व-ज्वरोच्चाटन डाकिनी-शाकिनी-विध्वंसन ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महावीर-वीराय सर्व-दुःख निवारणाय ग्रह-मण्डल सर्व-भूत-मण्डल सर्व-पिशाच-मण्डलोच्चाटन भूत-ज्वर-एकाहिक-ज्वर, द्वयाहिक-ज्वर, त्र्याहिक-ज्वर चातुर्थिक-ज्वर, संताप-ज्वर, विषम-ज्वर, ताप-ज्वर, माहेश्वर-वैष्णव-ज्वरान् छिन्दि-छिन्दि यक्ष ब्रह्म-राक्षस भूत-प्रेत-पिशाचान् उच्चाटय-उच्चाटय स्वाहा ।
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः आं हां हां हां हां ॐ सौं एहि एहि ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते श्रवण-चक्षुर्भूतानां शाकिनी डाकिनीनां विषम-दुष्टानां सर्व-विषं हर हर आकाश-भुवनं भेदय भेदय छेदय छेदय मारय मारय शोषय शोषय मोहय मोहय ज्वालय ज्वालय प्रहारय प्रहारय शकल-मायां भेदय भेदय स्वाहा ।
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-हनुमते सर्व-ग्रहोच्चाटन परबलं क्षोभय क्षोभय सकल-बंधन मोक्षणं कुर-कुरु शिरः-शूल गुल्म-शूल सर्व-शूलान्निर्मूलय निर्मूलय नागपाशानन्त-वासुकि-तक्षक-कर्कोटकालियान् यक्ष-कुल-जगत-रात्रिञ्चर-दिवाचर-सर्पान्निर्विषं कुरु-कुरु स्वाहा ।
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-हनुमते राजभय चोरभय पर-मन्त्र-पर-यन्त्र-पर-तन्त्र पर-विद्याश्छेदय छेदय सर्व-शत्रून्नासय नाशय असाध्यं साधय साधय हुं फट् स्वाहा ।
।। इति विभीषणकृतं हनुमद् वडवानल स्तोत्रं ।।

स्वप्न जो धन दिलाते हैं

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स्वप्न जो धन दिलाते हैं
1.
स्वप्न मेे कोई देवता दिखाई दे तो लाभ के साथ-साथ सफलता मिलती है।
2.
स्वप्न में कोई व्यक्ति गौमाता के दर्शन करता है यह अत्यन्त शुभ होता है। उस व्यक्ति को यश, वैभव एवं परिवार वृद्घि का लाभ मिलता
है।
3.
स्वप्न में गाय का दूध दोहना धन प्राçप्त का सूचक है।
4.
सफेद घोडे का दिखाई देना-सुन्दर भाग्य के साथ-साथ धन की प्राप्ति कराता है।
5.
स्वप्न में चूहों का दिखाई देना उत्तम भाग्य का प्रतीक माना जाता है जो धन प्रदायक है।
6.
स्वप्न में नीलकण्ठ या सारस दिखता है उसे राज सम्मान के साथ-साथ धन लाभ भी होता है।
7.
स्वप्न में क्रोंच पक्षी दिखने पर अनायास धन प्राçप्त होती है।
8.
यदि मरी हुई चिç़डया दिखाई दे तो अनायास ही धन लाभ होता है।
9.
स्वप्न में तोते को खाता हुआ देखना प्रचूर मात्रा में धनप्राçप्त माना जाता है।
10.
स्वप्न में यदि घोंघा दिखाई दे तो व्यक्ति के वेतन में वृद्घि तथा व्यापार में लाभ होता है।
11.
स्वप्न में सफेद चीटियाँ धन लाभ कराती हंै।
12.
स्वप्न में काले बिच्छू का दिखना धन दिलवाता है।
13.
स्वप्न में नेवले का दिखाई देना स्वर्णाभूषण की प्राçप्त करवाता है।
14.
मधुमक्खी का छत्ता देखना शुभ शकुन है जो धन प्रदायक है।
15.
सर्प को फन उठाये हुये स्वप्न में देखना धन प्राçप्त का सूचक होता है।
16.
सर्प यदि बिल में जाता या आता हुआ दिखाई दे तो यह अनायास धन प्राçप्त का सूचक होता है।
17.
स्वप्न में आम का बाग देखना या बाग में घूमना अनायास धन की प्राçप्त करवाता है।
18.
स्वप्न में कदम्ब के वृक्ष को देखना बहुत ही शुभ होता है जो व्यक्ति को धन-दौलत निरोगी काया मान सम्मान एवं राजसम्मान की प्राçप्त करवाता है।
19.
यदि हाथ की छोटी अंगुली में अंगूठी पहनें तो अनायास ही धन की प्राçप्त।
20.
स्वप्न में कानों में कुण्डल धारण करना शुभ शकुन होता है जो धन प्राçप्त कराता है।
21.
स्वप्न में नर्तकी नृत्य करती दिखाई दें तो यह धन प्रदायक है।
22.
सफेद चूडियां देखना धन आगमन का सूचक है।
23.
स्वप्न से कुमुद-कुमुदनी को देखना धनदायक होता है।
24.
स्वप्न में किसान को देखना धन लाभ कराता है।
25.
स्वप्न में गौ, हाथी, अश्व, महल, पर्वत और वृक्ष पर चढ़ना भोजन करना तथा रोना धन प्रदायक कहा गया है।
26.
स्वप्न में युद्घ में घायल शरीर दिखाई दें तो धनदायक।
27.
हाथी, राजा, वृषभ, धेनु, स्वर्ण अन्न, दीपक, फल, पुष्प, कन्या, छत्र, ध्वज और रथ के दर्शन धन और कीर्ति की प्राçप्त करवाते हैं भरा हुआ ƒ़ाडा, ब्राrाण, अग्नि, पान मंदिर, श्वेत धान्य नट गौ दुग्ध, घी, फल वाले वृक्ष और सर्प धन प्राçप्त के सूचक होते हैं।
28.
आंवला और कमल धन प्रदायक होते हैं।

दुर्गा सप्तशती पाठ विधि

  दुर्गा सप्तशती दुर्गा सप्तशती पाठ विधि पूजनकर्ता स्नान करके, आसन शुद्धि की क्रिया सम्पन्न करके, शुद्ध आसन पर बैठ जाएँ। माथे पर अपनी पसंद क...