गुरुवार, 26 सितंबर 2024

सिद्ध बागला भगवती मंत्र

 


मंत्र : ॐ मलयाचल बागला भगवती माहाक्रूरी माहाकराली
राज मुख बन्धनं , ग्राम मुख बन्धनं , ग्राम पुरुष बन्धनं ,
काल मुख बन्धनं , चौर मुख बन्धनं , व्याघ्र मुख बन्धनं ,
सर्व दुष्ट ग्रेह बन्धनं , सर्व जन बन्धनं , वाशिकुरु हूँ फट स्वाहः ||

विधान : इस मंत्र का जाप माता बागला के सामान्य नियमो का पालन करते हुए १ माला प्रतिदिन करें ११ दिनों तक और दसांश हवन करें और नित्य १ माला जाप करते रहें मंत्र जागृत हो जाए गा | किसी भी प्रयोग को करने के लिए संकल्प लें (इछित गिनती का कम से कम ३ माला) और हवन कर दें प्रयोग सिद्ध होगा | रक्षा के लिए ७ बार मंत्र पढ़ के छाती पे और दसो दीशाओ मैं फुक मार दें , किसी भी चीज़ का भये नहीं रहे गा | नियमित जाप से मंत्र मैं लिखे सभी कार्य स्वम सिद्ध होते हैं अलग से प्रयोग की अवशाकता नहीं है | मंत्र का ग्रहन , दिवाली आदी पर्व में जाप कर पूर्णता जागृत कर लें | नज़र दोष के लिए मंत्र को पढ़ते हुए मोर पंख से झाडे | पिला नवद्य ज़रोर अर्पित करे | ध्यान मग्न होकर जाप करने से जल्दी सिद्ध हो |

श्रीराम ज्योतिष सदन पंडित आशु बहुगुणा

 मोबाईल नं- और व्हाट्सएप नंबर है।-9760924411

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परेशानी से बचने का उपाय श्री लक्ष्मीविनायक मंत्र

 


परेशानी से बचने का उपाय

वैदिक चिंतनधारा में व्यक्ति के विचार एवं निर्णयों को विकृत करने वाला तत्व ‘विघ्न’ तथा उसके काम-धंधे में रुकावटें डालने वाला तत्व बाधा कहलाता है। इन विघ्न-बाधाओं को दूर करने की क्षमता भगवान श्रीगणोश जी में है। मां लक्ष्मी तो स्वभाव से ही धन, संपत्ति एवं वैभव स्वरूपा हैं, इसीलिए व्यापार एवं काम-धंधे में आने वाली विघ्न-बाधाओं को दूर कर धन-संपत्ति प्राप्त करने के लिए श्रीलक्ष्मी गणोशजी के पूजन की परंपरा हमारे यहां आदिकाल से है।
श्री लक्ष्मीविनायक मंत्र :

ऊं श्रीं गं सौम्याय गणपतये वरवरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
विनियोग :

ऊं अस्य श्री लक्ष्मी विनायक मंत्रस्य अंतर्यामी ऋषि:गायत्री छन्द: श्री लक्ष्मी विनायको देवता श्रीं बीजं स्वाहा शक्ति: सर्वाभीष्ट सिद्धये जपे विनियोग:।
करन्यास - अंगन्यास

ऊं श्रीं गां अंगुष्ठाभ्यां नम:। - ऊं श्रीं गां हृदयाय नम:।
ऊं श्रीं गीं तर्जनीभ्यां नम:। - ऊं श्रीं गीं शिरसे स्वाहा।
ऊं श्रीं गूं मध्यमाभ्यां नम:। - ऊं श्रीं गूं शिखायै वषट्।
ऊं श्रीं गैं अनामिकाभ्यां नम:। - ऊं श्रीं गैं कवचाय हुम्।
ऊं श्रीं गौं कनिष्ठकाभ्यां नम:। - ऊं श्रीं गौं नेत्रत्रयाय वौषट्।
ऊं श्रीं ग: करतलकरपृष्ठाभ्यां नम:। ऊं श्रीं ग: अस्त्रायं फट्।
ध्यान

दन्ताभये चक्रदरौदधानं कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जयालिंगितमब्धिपु˜या लक्ष्मीगणोशं कनकाभमीडे ।।
विधि

नित्य नियम से निवृत्त होकर आसन पर पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख बैठकर आचमन एवं प्राणायाम कर श्रीलक्ष्मी विनायक मंत्र के अनुष्ठान का संकल्प करना चाहिए। तत्पश्चात चौकी या पटरे पर लाल कपड़ा बिछाएं। भोजपत्र/रजत पत्र पर असृगंध एवं चमेली की कलम से लिखित इस लक्ष्मी विनायक मंत्र पर पंचोपचार या षोडशोपचार से भगवान लक्ष्मी गणोश जी का पूजन करना चाहिए। इसके बाद विधिवत विनियोग, न्यास एवं ध्यान कर एकाग्रतापूर्वक मंत्र का जप करना चाहिए। इस अनुष्ठान में जपसंख्या सवा लाख से चार लाख तक है।
अनुष्ठान के नियम

साधक स्नान कर रेशमी वस्त्र धारण करे। भस्म का त्रिपुंड या तिलक लगाकर रुद्राक्ष या लाल चंदन की माला पर जप करना चाहिए। इस जप को परेशानियों का नाश करने वाला माना गया है।
पूजन में लाल चंदन, दूर्वा, रक्तकनेर, कमल के पुष्प, मोदक एवं पंचमेवा अर्पित किए जाते हैं।
भक्ति भाव से पूजन, मनोयोगपूर्वक जप एवं श्रद्धा सहित हवन करने से सभी कामनाएं पूरी होती हैं।
अनुष्ठान के दिनों में गणपत्यथर्वशीर्षसूक्त, श्रीसूक्त, लक्ष्मीसूक्त कनकधारास्तोत्र आदि का पाठ करना फलदायक है।

श्रीराम ज्योतिष सदन पंडित आशु बहुगुणा

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मंत्र जाप करने के भी कुछ नियम होते हैं।

 

मंत्र जाप करने के नियम


मंत्र जाप करने के भी कुछ नियम होते हैं। यदि आप उन नियमों का पालन करेंगे तो आपके घर में न केवल सुख-शांति आयेगी, बल्कि आपका स्वाकस्य्े भी अच्छाी रहेगा
1-वाचिक जप
वाणी द्वारा सस्वर मंत्र का उच्चारण करना वाचिक जप की श्रेणी में आता है।
2- उपांशु जप- अपने इष्ट भगवान के ध्यान में मन लगाकर, जुबान और ओंठों को कुछ कम्पित करते हुए, इस प्रकार मंत्र का उच्चारण करें कि केवल स्वंय को ही सुनाई पड़े। ऐसे मंत्रोचारण को उपांशु जप कहते है।
3- मानसिक जप- इस जप में किसी भी प्रकार के नियम की बाध्यता नहीं होती है। सोते समय, चलते समय, यात्रा में एंव शौच आदि करते वक्त भी ’ मंत्र’ जप का अभ्यास किया जाता है। मानसिक जप सभी दिशाओं एंव दशाओं में करने का प्रावधान है।
इन नियमों का भी पालन करें
1- शरीर की शुद्धि आवश्यक है। अतः स्नान करके ही आसन ग्रहण करना चाहिए। साधना करने के लिए सफेद कपड़ों का प्रयोग करना सर्वथा उचित रहता है।
2- साधना के लिए कुश के आसन पर बैठना चाहिए क्योंकि कुश उष्मा का सुचालक होता है। और जिससे मंत्रोचार से उत्पन्न उर्जा हमारे शरीर में समाहित होती है।
3- मेरूदण्ड हमेशा सीधा रखना चाहिए, ताकि सुषुम्ना में प्राण का प्रवाह आसानी से हो सके।
4- साधारण जप में तुलसी की माला का प्रयोग करना चाहिए। कार्य सिद्ध की कामना में चन्दन या रूद्राक्ष की माला प्रयोग हितकर रहता है।
5- ब्रह्रममुहूर्त में उठकर ही साधना करना चाहिए क्योंकि प्रातः काल का समय शुद्ध वायु से परिपूर्ण होता है। साधना नियमित और निश्चित समय पर ही की जानी चाहिए।
6- अक्षत, अंगुलियों के पर्व, पुष्प आदि से मंत्र जप की संख्या नहीं गिननी चाहिए।
7- मंत्र शक्ति का अनुभव करने के लिए कम से कम एक माला नित्य जाप करना चाहिए।
8- मंत्र का जप प्रातः काल पूर्व दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए एंव सांयकाल में पश्चिम दिशा की ओर मुख करके जप करना श्रेष्ठ माना गया है।

 

श्रीराम ज्योतिष सदन पंडित आशु बहुगुणा

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तांत्रिक क्रियाओ से और इनके नुकसान से बचाव की उपाय



तांत्रिक क्रियाओ से और इनके नुकसान से बचाव की उपाय
पहली बात तो ये की आज के ज़माने में दुसरो से ज़्यादा अपने लोगो से ही ज्यादा खतरा है।किसी भी स्त्री,पुरुष,उनके बच्चों,उनके घर,उनके परिवार,उनके व्यवसाय,उनके स्वास्थ्य पर अगर कोई तंत्र विद्या का गलत उपयोग करता है तो ये जरुरी नहीं की वो आपका दुश्मन ही हो वो आपका खास परिचित या पारिवारिक सदस्य या पडोसी या रिश्तेदार भी हो सकता है।मैं इस बात से भी इनकार नहीं करता की वो आपका दुश्मन नहीं हो सकता ।मगर तंत्र का जिस पर भी उपयोग करना है उसकी कई चीजे चाहिये होती है जो की आपका कोई परचित ही हासिल कर सकता है या कोई आपका दुश्मन भी हो तो वो भी किसी न किसी मार्ग से ये चीजे हासिल करेगा।
तंत्र से तांत्रिक अभिन्त्रण 2 प्रकार से होता है
1. किसी के द्वारा किसी पर करवाने पर
2.स्वयं के द्वार किसी गलती से स्वयं तंत्र शक्तियो को आमंत्रण देकर मगर आजकल किसी दूसरे के द्वारा ही मुख्या रूप से तंत्र क्रिया करवाई जाती है।कुछ सावधानी आप रखे तो इन तंत्र क्रियाओ से आप बच सकते है जो की ये है:---
1.यदि अचानक से आपका कोई कपडा (मुख्या रूप से अंतः वस्त्र) गायब हुआ है तो सम्भावना है की किसी ने उसको तंत्र में उपयोग हेतु चुराया हो।
2.अगर कोई सात शनिवार लगातार आपके पैर (स्त्री का बांया और पुरुष का दांया पाँव) के निचे की माटी लेने का प्रयास करे।
3.अगर बच्चों के बाल सिर के बीचो बिच से कोई काट ले।
4.कोई बार बार आकर आपके सिरहाने चुप चाप लाल सिंदूर लगा कर जाये।
5.स्त्री या पुरुष द्वारा घर से बहार यात्रा के समय किसी रज पेड़ के निचे मूत्र करने पर।
6.अगर कोई भिन्डी का बीज या काली मिर्च खिलाए।
7.स्त्री द्वारा बाल बनाने के बाद टूटे हुए बालो को बिना वत्र क्रिया के घर से बहार फेकने पर उनका उपयोग तंत्र में हो सकता है।
8.स्त्री कोे रजोधर्म का रक्त का कपडा लापरवाही से बाहर फेकने से बचना चाहिए उसको किसी नाली या किसी ऐसी जगह फेकना चाहिए जहा वो किसी के हाथ न लगे।
9.भूल के भी शनिवार के दिन किसी के बीही कहने या दबाव देने पर सोंठ नहीं कहानी चाहिए।
10. बचो कइ कपडे पुराने होने पर उन्हें सीधा घर से फेकने की बजाय उन्हें धोकर फेकना चाहिए। ये कुछ सावधानिया है जिनसे आप कुछ हद तक बच सकते है।मगर अगर आप तंत्र क्रियाओ के घेरे में फस गए है तो सिर्फ तंत्र के द्वारा ही आप उन क्रियाओ की काट कर सकते है बीलकुल वैसे ही जैसे ज़हर ज़हर को मारता है और लोहा लोहे को काटता है।

 

श्रीराम ज्योतिष सदन पंडित आशु बहुगुणा

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आप या आपके संबधि के बवासीर हो तो यह मन्त्र प्रयोग

 


आप या आपके संबधि के बवासीर हो तो यह मन्त्र प्रयोग करवा कर भारतिय विज्ञान का चम्तकार देखें यह मन्त्र खुनी और बादी दोनो बवासीर पर काम करता है तथा यहां तक लिखा है कि कोई इसका लाख बार जाप करले तो उसके वंश में किसी को बवासीर नहीं हो सकती है।यहां पर बवासीर के रोगी को तो खाली 21 बार रोज ही जाप करना है।

रोज रात को पानी रखकर सोवे तथा सुबह उठकर इस मन्त्र से 21 बार अभिमंत्रित करे तथा अभिमंत्रित करने के पश्चात उससे गुदा को धोना है।यहां यह भी प्रावधान है कि इस मन्त्र को जानने वाला यदि बवासीर के रोगी को मन्त्र नहीं बताएगा और रोगी पीड़ा भुगत रहा है तो मन्त्र जानने वाले को 12 ब्रहमहत्या का पाप लगता है।

बवासीर वालों से निवेदन है कि पहले दिन कोई लाभ न भी हो तो भी भगवान पर विश्वास रखकर सात दिन जरूर करें जरूर जरूर लाभ होगा एक माह लगातार करने से कुछ रोगी तो इतने ठीक हो जाते हैं कि जैसे उनको बवासीर थी या नहीं यह मंत्र भगंदर पर भी काम करता है।

मन्त्रः- ॐ काका कता क्रोरी कर्ता ॐ कर्ता से होय यरसना दश हंस प्रगटे खुनी बादी बवासीर न होय मन्त्र जानकर न बतावे तो द्वाद्वश ब्रहम हत्या का पाप होय लाख पढ़े उसके वंश में न होय शब्द सांचा पिण्ड काचा फुरो मन्त्र इश्वरो वाचा.


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