Thursday, 26 September 2024

भैरव आपत्तिविनाशकएवं मनोकामना पूर्ति के देवता हैं।

 


भूतभावनभगवान भैरव की महत्ता असंदिग्ध है। भैरव आपत्तिविनाशकएवं मनोकामना पूर्ति के देवता हैं। भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति में भी उनकी उपासना फलदायीहोती है। भैरव की लोकप्रियता का अनुमान उसी से लग सकता है कि प्राय: हर गांव के पूर्व में स्थित देवी-मंदिर में स्थापित सात पीढियों के पास में आठवीं भैरव-पिंडी भी अवश्य होती है। नगरों के देवी-मंदिरों में भी भैरव विराजमान रहते हैं। देवी प्रसन्न होने पर भैरव को आदेश देकर ही भक्तों की कार्यसिद्धि करा देती हैं। भैरव को शिव का अवतार माना गया है, अत:वे शिव-स्वरूप ही हैं-

भैरव: पूर्णरूपोहि शंकरस्यपरात्मन:।

मूढास्तेवैन जानन्तिमोहिता:शिवमायया॥

भैरव पूर्ण रूप से परात्पर शंकर ही हैं। भगवान शंकर की माया से ग्रस्त होने के फलस्वरूप मूर्ख, इस तथ्य को नहीं जान पाते। भैरव के कई रूप प्रसिद्ध हैं। उनमें विशेषत:दो अत्यंत ख्यात हैं-काल भैरव एवं बटुकभैरव या आनंद भैरव।

काल के सदृश भीषण होने के कारण इन्हें कालभैरवनाम मिला। ये कालों के काल हैं। हर प्रकार के संकट से रक्षा करने में यह सक्षम हैं। काशी का कालभैरवमंदिर सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर से कोई डेढ-दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर का स्थापत्य ही इसकी प्राचीनताको प्रमाणित करता है। गर्भ-गृह के अंदर काल भैरव की मूर्ति स्थापित है, जिसे सदा वस्त्र से आवेष्टित रखा जाता है। मूर्ति के मूल रूप के दर्शन किसी-किसी को ही होते हैं। गर्भ-गृह से पहले बरामदे के दाहिनी ओर दोनों तरफ कुछ तांत्रिक अपने-अपने आसन पर विराजमान रहते हैं। दर्शनार्थियोंके हाथों में ये उनके रक्षार्थकाले डोरे बांधते हैं और उन्हें विशेष झाडू से आपादमस्तकझाडते हैं। काशी के कालभैरवकी महत्ता इतनी अधिक है कि जो काशी विश्वनाथ के दर्शनोपरान्तकालभैरवके दर्शन नहीं करता उसको भगवान विश्वनाथ के दर्शन का सुफल नहीं मिलता। नई दिल्ली के विनय मार्ग पर नेहरू पार्क में बटुकभैरव का पांडवकालीनमंदिर अत्यंत प्रसिद्ध है। यह सर्वकामनापूरकसर्वआपदानाशकहै। रविवार भैरव का दिन है। इस दिन यहां सामान्य और विशिष्ट जनों की अपार भीड होती है। मंदिर के सामने की लम्बी सडक पर कारों की लम्बी पंक्तियां लग जाती हैं। संध्या से शाम अपितु देर रात तक पुजारी इन दर्शनार्थियोंसे निपटते रहते हैं। ऐसी भीड देश के किसी भैरव मंदिर में नहीं लगती। यह प्राचीन मूर्ति इस तरह ऊर्जावान है कि भक्तों की यहां हर सम्भव इच्छा पूर्ण होती है। इस भीड का कारण यही है। इस मूर्ति की एक विशेषता है कि यह एक कुएं के ऊपर स्थापित है। न जाने कब से, एक क्षिद्रके माध्यम से पूजा-पाठ एवं भैरव स्नान का सारा जल कुएं में जाता रहा है पर कुंआ अभी तक नहीं भरा। पुराणों के अनुसार भैरव की मिट्टी की मूर्ति बनाकर भी किसी कुएं के पास उसकी पूजा की जाय तो वह बहुत फलदायीहोती है। यही कारण है कि कुएं पर स्थापित यह भैरव उतने ऊर्जावान हैं। इन्हें भीमसेन द्वारा स्थापित बताया जाता है। नीलम की आंखों वाली यह मूर्ति जिसके पार्श्व में त्रिशूल और सिर के ऊपर सत्र सुशोभित है, उतनी भारी है कि साधारण व्यक्ति उसे उठा भी नहीं सकता। पांडव-किला की रक्षा के लिए भीमसेन इस मूर्ति को काशी से ला रहे थे। भैरव ने शर्त लगा दी कि जहां जमीन पर रखे कि मैं वहां से उठूंगा ही नहीं एवं वहीं मेरा मंदिर बना कर मेरी स्थापना करनी होगी। इस स्थान पर आते-आते भीमसेन ने थक कर मूर्ति जमीन पर रख दी और फिर वह लाख प्रयासों के बावजूद उठी ही नहीं। अत:बटुकभैरव को यहीं स्थापित करना पडा। पांडव-किला (नई दिल्ली) के भैरव भी बहुत प्रसिद्ध हैं। यहां भी खूब भीड लगती है। माना जाता है कि भैरव जब नेहरू पार्क में ही रह गए तो पांडवों की चिंता देख उन्होंने अपनी दो जटाएं दे दी। उन्हीं के ऊपर पांडव किला की भैरव मूर्ति स्थापित हुई जो आज तक वहां पूजित है।

ऊं ह्रींबटुकायआपदुद्धारणाय

कुरु कुरु बटुकायह्रीं

यही है बटुक-भैरवका मंत्र जिसका जप कहीं भी किया जा सकता है और बटुकभैरव की प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है। नैनीताल के समीप घोडा खाड का बटुकभैरव मंदिर भी अत्यंत प्रसिद्ध है। यहां गोलू देवता के नाम से भैरव की प्रसिद्धि है। पहाडी पर स्थित एक विस्तृत प्रांगण में एक मंदिर में स्थापित इस सफेद गोल मूर्ति की पूजा के लिए नित्य अनेक भक्त आते हैं। यहां महाकाली का भी मंदिर है। भक्तों की मनोकामनाओंके साक्षी, मंदिर की लम्बी सीढियों एवं मंदिर प्रांगण में यत्र-तत्र लटके पीतल के छोटे-बडे घंटे हैं जिनकी गणना कठिन है। मंदिर के नीचे और सीढियों की बगल में पूजा-पाठ की सामग्रियां और घंटों की अनेक दुकानें हैं। बटुकभैरव की ताम्बे की अश्वारोही, छोटी-बडी मूर्तियां भी बिकती हैं जिनकी पूजा भक्त अपने घरों में करते हैं। उज्जैनके प्रसिद्ध भैरव मंदिर की चर्चा आवश्यक है। यह मनोवांक्षापूरक हैं और दूर-दूर से लोग इनके पूजन को आते हैं। उनकी एक विशेषता उल्लेखनीय है। मनोकामना पूर्ति के पश्चात् भक्त इन्हें शराब की बोतल चढाते हैं। पुजारी बोतल खोल कर उनके मुख से लगाता है और बात की बात में भक्त के समीप ही मूर्ति बोतल को खाली कर देती है। यह चमत्कार है। हरिद्वार में भगवती मायादेवी के निकट आनंद भैरव का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां सबकी मनोकामना पूर्ण होती है। भैरव जयंती पर यहां बहुत बडा उत्सव होता है। लोकप्रिय है भैरवकायह स्तुति गान- कंकाल: कालशमन:कला काष्ठातनु:कवि:। त्रिनेत्रोबहुनेत्रश्यतथा पिङ्गललोचन:। शूलपाणि:खड्गपाणि:कंकाली धू्रमलोचन:।अमीरुभैरवी नाथोभूतयोयोगिनी पति:।

श्रीराम ज्योतिष सदन पंडित आशु बहुगुणा

 मोबाईल नं- और व्हाट्सएप नंबर है।-9760924411

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श्रीगणेश को प्रसन्न करने के कुछ तांत्रिक उपाय

 


श्रीगणेश को प्रसन्न करने के कुछ तांत्रिक उपाय
1- एक कांसे की थाली लें और उस पर चंदन से ऊँ गं गणपतयै नम: लिखें। इसके बाद इस थाली में पांच बूंदी के लड्डू रखें व समीप स्थित किसी गणेश मंदिर में दान कर आएं।
2- यंत्र शास्त्र के अनुसार गणेश यंत्र बहुत ही चमत्कारी यंत्र है। घर में इसकी स्थापना बुधवार, चतुर्थी या किसी शुभ मुहूर्त में करने से बहुत लाभ होता है।
3- सुबह स्नान अदि करने के बाद समीप स्थित किसी गणेश मंदिर जाएं और भगवान श्रीगणेश को 21 गुड़ की ढेली के साथ दूर्वा रखकर चढ़ाएं।
4- बुधवार या चतुर्थी तिथि के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान श्रीगणेश को शुद्ध घी और गुड़ का भोग लगाएं। थोड़ी देर बाद घी व गुड़ गाय को खिला दें। ये उपाय करने से धन संबंधी समस्या का निदान हो जाता है।
5- चतुर्थी के दिन भगवान श्रीगणेश का अभिषेक करने से विशेष लाभ होता है। यह अभिषेक शुद्ध पानी से करें। साथ में गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ भी करें। बाद में मावे का लड्डुओं का भोग लगाकर सभी में बांट दें।
6- इस दिन किसी गणेश मंदिर जाएं और दर्शन करने के बाद नि:शक्तों को यथासंभव दान करें। दान से पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान श्रीगणेश भी अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं।
7- चतुर्थी के दिन सुबह उठकर नित्य कर्म करने के बाद पीले रंग के श्रीगणेश भगवान की पूजा करें। पूजन में श्रीगणेश को हल्दी की पांच गठान श्री गणाधिपतये नम: मंत्र का उच्चारण करते हुए चढ़ाएं इसके बाद 108 दूर्वा पर गीली हल्दी लगाकर श्री गजवकत्रम नमो नम: का जप करके चढ़ाएं।
8- यदि किसी कन्या का विवाह नहीं हो पा रहा है तो वह कन्या आज विवाह की कामना से भगवान श्रीगणेश को मालपुए का भोग लगाए तो शीघ्र ही उसका विवाह हो जाता है।
यदि किसी युवक के विवाह में परेशानियां आ रही हैं तो वह भगवान श्रीगणेश को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं तो उसका विवाह भी जल्दी हो जाता है।
9- चतुर्थी के दिन दूर्वा (एक प्रकार की घास) के गणेश बनाकर उसका पूजा करना बहुत ही शुभ होता है। श्रीगणेश की प्रसन्नता के उन्हें मोदक, गुड़, फल, मावा-मिïष्ठान आदि अर्पण करें। ऐसा करने से भगवान गणेश सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
10- अगर आपके जीवन में बहुत परेशानियां हैं और कम नहीं हो रही हंै तो आप चतुर्थी के दिन किसी हाथी को हरा चारा खिलाएं और गणेश मंदिर जाकर भगवान श्रीगणेश से परेशानियों का निदान करने के लिए प्रार्थना करें। इससे आपके जीवन की परेशानियां कुछ ही दिनों में दूर हो जाएंगी।
11- चतुर्थी के दिन घर में श्वेतार्क गणपति (सफेद आंकडे की जड़ से बनी गणपति) की स्थापना करने से सभी प्रकार की तंत्र शक्ति का नाश हो जाता है व ऊपरी हवा का असर भी नहीं होता।

 

श्रीराम ज्योतिष सदन पंडित आशु बहुगुणा

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Sunday, 22 September 2024

प्रतियोगिता परीक्षा में निश्चित सफलता के लिए करें

 


 

 

प्रतियोगिता परीक्षा में निश्चित सफलता के लिए करें

देवी बगलामुखी के मन्त्रों का जाप

अगर किसी छात्र को बहुत मेहनत के बाद भी इंटरव्यू या प्रतियोगिता परीक्षा में मनचाहा रिजल्ट नहीं मिल पा रहा हो तो देवी बगलामुखी के इस मन्त्र का नियमपूर्वक जाप कर लाभ पा सकते हैं

ॐ ह्रींह्रींह्रींबगामुखीदेव्यैह्लींसाफल्यंदेहिदेहि स्वाहा:”

जाप पूर्व दिशा मुख करके पीले आसन पर बैठकर देवी को पीले रंग का भोग लगाकर और देवी के सामने तिल के तेल का दीपक जलाकर हल्दी की माला से रोज़ रात्रि में कम से कम पांच माला की जाप ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए , मांस - मदिरा का त्याग करके जप करना चाहिए

मन्त्र किसी बगलामुखी साधक से प्राप्त कर ही जपना चाहिए चूँकि यह एक उग्र शक्ति की देवी है.

क्या आप भी ऐसी ही किसी अदृश्य शक्तियों के तांडव से परेशान है. ?

 

 

 


क्या आप भी ऐसी ही किसी अदृश्य शक्तियों के तांडव से परेशान है. ?

कभी कभी कुछ लोगों को अहसास होता है कि उनके आस पास कोई और भी है ,पर नजरें घुमाने पर कोई दिखाई नहीं देता ।कभी अकेले कमरे या एकांत में महसूस होता है कि कमरे में आपके अलावा भी कोई है जबकि वास्तव में सशरीर केवल आप वहां होते हैं ।ऐसा कभी एकाध बार तो बहुतों को महसूस होता है ,किंतु कुछ लोगों को बार बार या कई बार ऐसा महसूस होता है ।जिन्हें बार बार ऐसा महसूस होता है उसे कोई न कोई कमी या समस्या भी परेशान करती है ,चाहे घर परिवार की हो ,कमाई धंधे की हो ,सन्तान की हो ,स्वास्थ्य की हो या किसी और प्रकार की ।एकाध बार की अनुभूति तो भ्रम से भी हो सकती है ,किंतु बार बार का महसूस होना भ्रम नहीं होता ।इसके अपने कारण होते हैं ।

ऐसी अनुभूतियां सामान्य नकारात्मक शक्तियों जो घर परिवार के आस पास होती है उनके कारण होती हैं

यदि ऐसा महसूस हो तो बजाय खुद कोई उपाय करने के किसी अच्छे उच्च शक्ति के साधक ,तांत्रिक से सम्पर्क करना चाहिए ।खुद के छोटे मोटे उपाय ,पूजा जप आदि किसी शक्ति को छेड़कर छोड़ देने जैसे हो जाते हैं ,जिससे वह और अधिक उग्र हो क्षति की या प्रभावित करने कीकोशिश करता है ।अतः खूब सोच समझकर योग्य साधक के मार्गदर्शन में ही उपाय करने और करवाने चाहिए

दुर्गा सप्तशती पाठ विधि

  दुर्गा सप्तशती दुर्गा सप्तशती पाठ विधि पूजनकर्ता स्नान करके, आसन शुद्धि की क्रिया सम्पन्न करके, शुद्ध आसन पर बैठ जाएँ। माथे पर अपनी पसंद क...